कांग्रेस ने कब्जाया कोटा, उत्तर में मंजू तो दक्षिण में राजीव बने महापौर
- ‘शांति’ ने साबित किया हाड़ौती का एक ही लाल ‘धारीवाल’
- भाजपा पर भारी पड़ी बगावत, योगी भी नहीं आया किसी काम
कोटा. कोटा नगर निगम चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को जबरदस्त पकटनी दी है। महापौर के लिए मंगलवार को हुई मतगणना में कांग्रेस ने कोटा उत्तर के साथ-साथ कांटे की टक्कर होने के बावजूद कोटा दक्षिण में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। कोटा उत्तर में मंजू मेहरा और कोटा दक्षिण में राजीव अग्रवाल को महापौर निर्वाचित घोषित किया गया है।
कोटा में कांग्रेस धमाकेदार जीत के साथ दोनों नगर निगमों पर अपना राज कायम करने में सफल हो गई है। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अकेले ही भारतीय जनता पार्टी के सियासी दिग्गजों को धूल चटा दी। कांग्रेस ने अपने गढ़ उत्तर में तो एकतरफा जीत का परचम लहराया ही, दशकों से भाजपा का गढ़ माने जाने वाले दक्षिण को भी फतेह कर लिया। दक्षिण में भाजपा के मोहरे इस कदर पिटे कि सूबे के दिग्गजों के सारे पेंतरे धराशाई हो गए।
मंजू मेहरा उत्तर की महापौर
नगर निगम चुनाव के नतीजों में कोटा उत्तर की जनता से कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दिया था। 03 नवंबर को आए नतीजों में कांग्रेस ने उत्तर में 47 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप किया था। जबकि इस नगर निगम से भाजपा के महज 14 पार्षद ही जीत पाए थे। कांग्रेस ने यहां से मंजू मेहरा को महापौर का प्रत्याशी बनाया। मुकाबले से पूरी तरह बाहर होने के बावजूद भाजपा ने संतोष बैरवा को महापौर के चुनाव में उतारकर कांग्रेस का रास्ता रोकने की कोशिश की, लेकिन मंगलवार को महापौर का मतदान होने के बाद जब नतीजे आए तो मंजू मेहरा ने 50 वोट हासिल कर संतोष बैरवा को 31 वोट के करारी मात दी। एक पार्षद का वोट खारिज हो गया।
पंजे में दबोचा दक्षिण
दशकों से भाजपा का गढ़ रहा दक्षिण आखिरकार मंगलवार को ढ़ह गया। निर्दलीयों के कंधे पर चढ़कर कांग्रेसी पंजे ने मंगलवार को आखिरकार जीत को दबोच ही लिया। कोटा दक्षिण नगर निगम चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के 36-36 पार्षद जीते थे। वहीं दोनों दलों के 4-4 बागियों ने चुनाव जीतकर सियासी माहौल गर्मा दिया था। दोनों खेमों ने भीतरघात से बचने के लिए अपने पार्षदों की बाड़ाबंदी तक कर डाली, लेकिन भाजपा बागियों को अपने पाले में लाने में नाकामियाब रही और आखिरकार मंगलवार को दो वोट की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। कांग्रेस के राजीव अग्रवाल ने 41 वोट हासिल कर न सिर्फ महापौर की कुर्सी पर कब्जा किया, बल्कि भगवा के खेमें में सेंध लगा भाजपा की सियासी जमीन ही हिलाकर रख दी। भाजपा के प्रत्याशी विवेक राजवंशी को सिर्फ 39 वोट मिल सके।