बोल उठा ‘नमक’: झुकने लगी सरकार, अन्नदाताओं की दो मांगें मानी, बाकी पर रजामंदी

  • मंत्रियों ने खाया अन्नदाता का खाना, किसानों ने अपने पैसों से मंगाया था लंच
  • पांच घंटे तक चली सातवें दौर की वार्ता, चार जनवरी को फिर होगी बैठक

TISMedia@नेशनल डेस्क/दिल्ली.  अन्नदाता का ‘नमक’ खाने के बाद बुधवार को सरकार पटरी पर आती हुई दिखी। किसानों के साथ विज्ञान भवन में सरकार ने पांच घंटे तक सातवें दौर की बैठक की। बैठक में शामिल चार में से दो मुद्दे सरकार ने मान लिए। एमएसपी सहित बाकी बचे दो मुद्दों पर भी रजामंदी जाहिर कर दी है। बैठक की शुरुआत तल्खी भरी रही, लेकिन लंच ब्रेक के दौरान किसानों का खाना खाने के बाद केंद्रीय मंत्री पटरी पर आते हुए दिखाई दिए।  narendra singh tomar, Piyush goyal, farmers leaders, kisan andolan, government farmers meeting, farmers protest, Agriculture Act 2020, Agriculture Bill, MSP,  Contract Farming in India,

इस वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार ने समिति बनाने की सहमति दी है। उन्होंने बताया कि किसानों ने बैठक में चार मुद्दे रखे थे। जिनमें से पर्यावरण और पराली के साथ बिजली के मुद्दे पर सरकार ने सहमति जता दी है। जिसके मुताबिक किसानों को सिंचाई के लिए बिजली सब्सिडी जारी रखी जाएगी। जबकि पराली जलाने के मामले में कानूनी कार्रवाई से उन्हें अलग रखा जाएगा।

आधा मिला, आधा बाकी

30 दिसंबर को किसानों के आंदोलन का 35वां दिन था। शीत लहर के बावजूद भारी संख्या में देश भर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमे हैं। सरकार के अड़यिल रवैये से अभी तक  किसान खासे नाखुश थे, लेकिन बुधवार को सरकार के रुख में आई नमी से किसानों के खेमे में खुशी नजर आई। कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की कि “दिल्ली में सर्द मौसम को देखते हुए बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चे अपने घरों को लौट जाएं। बातचीत बेहद सकारात्मक माहौल में हुई है। जल्द ही हम समाधान निकाल लेंगे। एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी”  किसान नेता राकेश टिकैत भी बुधवार की वार्ता के बाद संतुष्ट नजर आए। टिकैत ने कहा कि “ 34 दिन बाद ही सही, सरकार लाइन पर आ ही गई। बुधवार को बातचीत का माहौल अच्छा रहा और सरकार ने दो शर्तें मान ली हैं। अब दो चीजें शेष रह गई हैं, उन पर चार जनवरी को बात होगी।“

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चीनी और नमक से पिघली बर्फ

अब तक चली वार्ताओं के दौरान किसानों ने हमेशा सरकारी खानपान का वॉकआउट ही किया है, लेकिन पहली बार बुधवार को किसानों ने सरकार की चाय पी। जिसके बाद माहौल बनता देख दोनों मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और पियूष गोयल ने किसानों का खाना खाया। बातचीत में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।

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