खुलासा : मानसिक रोगों से घिर रहे कोरोना कर्मवीर
– शोधकर्ताओं ने 571 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर किया अध्ययन
– 56 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में पाया गया मानसिक विकार
TISMedia@Kota. कोरोना न सिर्फ शारीरिक रूप से क्षति पहुंचा रहा है बल्कि मानसिक रूप से भी लोगों को काफी प्रभावित किया है। कोरोना काल से पहले जहां मानसिक रोग के लक्षणों वाले लोगों की संख्या काफी कम थी, वहीं, कोविड के शिकार होने के बाद ऐसे लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। वहीं, अब दावा किया जा रहा है कि कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टर्स, नर्सिंगकर्मी सहित अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी भी मानसिक रोग से घिर रहे हैं। जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक रिसर्च में प्रकाशित स्टडी के अनुसार कोरोना रोगियों की देखभाल में शामिल डॉक्टर्स, नर्सों और आपातकालीन सेवाओं से जुड़े लोगों को एक या उससे अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।
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56 फीसदी में पाया गया मानसिक विकार
शोधकर्ताओं ने 571 स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अध्ययन किया। इनमें 473 आपातकालीन सेवाओं से जुड़े लोग (अग्निशामक, पुलिस, ईएमटी) और 98 नर्स और डॉक्टर शामिल थे। अध्ययन में पाया गया कि 56 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों में कम से कम एक मानसिक स्वास्थ्य विकार पाया गया। 15 से 30 फीसदी में प्रत्येक विकार की व्यापकता पाई गई। शराब का उपयोग, अनिद्रा और अवसाद सबसे अधिक रिपोर्ट की गई समस्याएं हैं।
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कुछ दिनों के लिए बदलें भूमिका
स्टडी के शोधकर्ता अमरीकी यूनिवर्सिटी के एंड्रयू जे स्मिथ का सुझाव है कि ऐसे व्यक्तियों (कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले, जो मानसिक रोग से ग्रसित) की पहचान करना जरूरी है। इन लोगों को अपने काम के बजाए वैकल्पिक भूमिकाएं सौंपी जानी चाहिए। ताकि, उनमें चिंता, भय और असहाय होने की भावना खत्म हो सके। कहना का मतलब यह है कि ऐसे कर्मचारियों को कुछ दिनों तक दूसरी भूमिका देकर मानसिक तौर पर स्वस्थ्य होने का समय दिया जाना चाहिए।
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वायरस के सम्पर्क में रहने वालों को अधिक खतरा
शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जो वायरस के सम्पर्क में थे या जिन्हें संक्रमण का अधिक खतरा था, उनमें तनाव, चिंता और अवसाद का खतरा काफी बढ़ गया।