2 लाख का प्लॉट 70 लाख का हुआ तो फिसली नीयत, RAS अधिकारी ने कर दिया खेल

-निरस्त हुए प्लाट को फिर से बहाल करने का मामला
– तत्कालीन यूआईटी उप सचिव, वरिष्ठ लिपिक व लाभार्थी के खिलाफ एसीबी ने दर्ज किया मुकदमा

कोटा. निरस्त भूखंड को मिलीभगत कर वापस बहाल करने के दो साल पुराने मामले में एसीबी ने आरएएस ऑफिसर व यूआईटी की तत्कालीन उपसचिव कृष्णा शुक्ला व वरिष्ठ लिपिक हाल रिटायर्ड चंद्रप्रकाश व लाभार्थी पुष्पेन्द्र नागर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
एसीबी के एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्रशील ने बताया कि अक्टूबर 2018 में आरोग्य नगर में निरस्त हो चुके प्लाट को वापस बहाल करने का मामला सामने आया था। जांच में यूआईटी से लेकर नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी।

आरोग्य नगर में 220 गुना 05 वर्ग मीटर का भूखंड संख्या -137 वर्ष 1996 में पुष्पेंद्र कुमार नागर के नाम से आवंटित हुआ था। 2 लाख 28 हजार 217 रुपए की राशि जमा करवानी थी। लेकिन, आवंटी द्वारा राशि जमा नहीं करवाने से प्लॉट निरस्त हो गया था। बाद में इस भूखण्ड की कीमत करीब 70 लाख रुपए हो गई। पुष्पेंद्र कुमार ने अपनी मानसिक स्थिति खराब होने का कारण बताते हुए समय पर पैसा जमा नहीं करवाने का हवाला दिया और भूखण्ड फिर से बहाल करने के लिए आवेदन किया।

भूखण्ड निरस्त किए अधिक समय हो गया था। इस कारण नगरीय विकास विभाग जयपुर को पत्र भिजवाया गया। जांच में पाया गया कि उप-शासन सचिव नगरीय विकास विभाग द्वारा हस्ताक्षरित पत्र 27 सितम्बर 2018 को फर्जी रूप से तैयार किया गया था। इतना ही नहीं निरस्त हुए भूखण्ड के आवंटन का काम तत्कालीन उपसचिव कृष्णा शुक्ला के क्षेत्राधिकार में नहीं था। इसके बावजूद शुक्ला ने पत्रावली रिपोर्ट प्रत्येक रजिस्टर में इंद्राज करती हुई पत्रावली की नोटशीट पत्रों पर हस्ताक्षर कर डिस्पेच करवाकर रवाना कर दिया। एसीबी ने इसकी जांच की तो मामले में तत्कालीन उप सचिव कृष्णा शुक्ला व वरिष्ठ लिपिक हाल रिटायर्ड चंद्रप्रकाश की मिलीभगत सामने आई। जिसके बाद एसीबी ने आरएएस अधिकारी व तत्कालीन उप सचिव यूआईटी, लिपिक ग्रेड प्रथम व छावनी निवासी लाभार्थी पुष्पेंद्र नागर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

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