माफ कीजिए सीएम साहब! आपके कंट्रोल रूम किसी काम के नहीं हैं…

विनीत सिंह, कोटा. रात के 10 बज रहे थे… फोन की घंटी बजी… दूसरी तरफ राजस्थान के जानेमाने कवि एवं साहित्यकार अतुल कनक थे…! बेहद घबराए हुए, सिर्फ इतना बोल सके… भैया ऑक्सीजन कहां मिल पाएगी… हॉस्पीटल में ऑक्सीजन खत्म हो चुकी है। मैने उन्हें दिलासा दिया… कि आप घबराइए मत। मैं कोशिश करता हूं।

मैने उन्हें तो दिलासा दे दिया, लेकिन फोन रखते ही मेरे हाथ पैर फूल चुके थे… क्योंकि हम दोनों दो दिन से एक रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने में जुटे थे। जो नहीं कर पाए थे। कोटा में कौन ऐसा था जिससे मदद नहीं मागी, लेकिन हर जगह से टका सा जवाब मिला… अभी इंतजाम कर रहे हैं। सिफारिशें तक करवा ली, लेकिन हर जगह से एक ही दिलासा दिया जा रहा था कि मरीज का नाम लिस्ट में हैं। हम इंतजाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

बेड तक के लिए मारे मारे फिरे
अतुल कनक का फोन मेरे पास शनिवार शाम को आया… बोले- जीजा जी की हालत बेहद खराब है। उन्हें ऑक्सीजन बेड चाहिए…। मुख्यमंत्री जी, हमने तुरंत आपकी ओर से ऑनलाइन अपडेट किए जा रहे हॉस्पीटल के डेटा बेस को खंगाला… (https://covidinfo.rajasthan.gov.in/COVID19HOSPITALBEDSSTATUSSTATE.aspx) पोर्टल पर उस वक्त 18 ऑक्सीजन बेड खाली दिखाई दे रहे थे… लेकिन, जब फोन करके पूछा गया तो शहर के एक भी अस्पताल ने बेड नहीं दिया। आखिरकार, बेहद छोटे एक हॉस्पीटल में एक ऑक्सीजन बेड का जैसे-तैसे इंतजाम हुआ। लेकिन, मुसीबत यह कि सोमवार रात होते ही हॉस्पीटल में ऑक्सीजन खत्म हो गई। अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए कि हमारे पास सिर्फ तीन घंटे की ऑक्सीजन बची है…। पांच खाली सिलेंडर ऑक्सीजन प्लांट को भरने के लिए भेजे हैं, लेकिन अभी तक नहीं आए। आप देख लीजिए क्या करना है…।

अब क्या करते
आखिरी के शब्द कि आप देख लीजिए क्या करना है… सुनकर दिमाग झन्ना गया…। मुख्यमंत्री जी कुछ नहीं सूझा तो कोटा में स्थापित किए गए आपके कंट्रोल रूम के फोन 0744-2450260 और 0744-2329259 पर कॉल लगाकर पूछा कि कहीं किसी अस्पताल में कोई ऑक्सीजन बेड खाली हो तो उसकी सूचना दे दें या फिर ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन का कोई इंतजाम हो सके तो बता दें। मुख्यमंत्री साहब, आपको जानकर हैरानी होगी कि मुझे पांच मिनट यही समझाने में लग गए कि मैने आपसे मदद मांगने के लिए कॉल किया है। इस दौरान अलग-अलग छह लोगों ने मुझसे बात की और फिर दूसरे शख्स को बात करने के लिए फोन दे दिया। आखिर में खुद को मेल नर्स बताने वाले शख्स ने कहा कि यह नंबर सीएमएचओ दफ्तर का है। इस नंबर का इस्तेमाल गांव में वैक्सीन लगाने और 108 एंबुलेंस भेजने के लिए ही करते हैं। किस अस्पताल में बेड खाली होगा हमें जानकारी नहीं है। रही बात प्राइवेट हॉस्पीटल की तो वह जाने कैसे इंतजाम करेंगे हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। काफी मनावने करने के बाद वह न्यू मेडिकल कॉलेज के कंट्रोल रूम का नंबर देने को राजी हुआ।

बेड तो हैं, ऑक्सीजन नहीं है
कंट्रोल रूम से मिले नंबर 9462568921 पर कॉल की गई तो फोन उठाने वाले शख्स ने साफ कह दिया कि बेड तो खाली हैं, लेकिन ऑक्सीजन नहीं है।उसने साफ कह दिया कि डॉक्टर साहब ने मरीज भर्ती करने से साफ मना कर दिया है। हम कुछ नहीं कर सकते। काफी पूछने पर उसने बताया कि कमरा नंबर 10 में डॉक्टर साहब हैं उनसे बात करो वह बताएंगे कि क्या करना है। हाथों हाथ यहां भी एक साथी को भेजा गया, लेकिन पता चला कि कमरे में उस वक्त कोई मौजूद नहीं था। थोड़ी देर बाद लोग पहुंचे तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि अभी ऑक्सीजन नहीं है।

शुक्रिया भाई… सांस देने के लिए 
मुख्यमंत्री साहब, इसके बाद कई नामचीन अस्पतालों को भी फोन खटखटाए, लेकिन सभी ने मना कर दिया कि बेड नहीं है। सांस ही फूल चुकी थी… हालात सुन और समझ कर…। तभी फिर फोन घनघना उठा… दूसरी तरफ एक मित्र थे जिनसे मदद मांगी थी… गनीमत हो उस दोस्त की जिसने रातों-रात न जाने कहां से पांच सिलेंडर ऑक्सीजन का इंतजाम कर डाला। वह भी सिर्फ हमारे मरीज के लिए नहीं, बल्कि अन्य मरीजों के लिए भी। नहीं तो सोचकर देखिए… बिस्तर पर पड़े आदमी के लिए एक इंजेक्शन और एक बेड का इंतजाम नहीं कर पा रहे थे हम लोग…। एक ऐसा आदमी जिसे पूरा शहर ही नहीं प्रदेश उसके नाम से जानता है… अतुल कनक… उनके साथ ऐसी बीती तो आप अंदाज लगा सकते हैं कि आम आदमी के क्या हालात होंगे। सीएम साहब यह खबर पेनिक क्रिएट करने के लिए नहीं, बल्कि असल हालात दिखाने के लिए लिख रहा हूं। नहीं जानता आप तक पहुंचेगी या नहीं, लेकिन, इतना पता है जिस तक भी पहुंचेगी उसे हालात समझ में आ जाएंगे और यह भी समझ आ जाएगा कि कुछ भी हो जाए कोरोना की चपेट में नहीं आना… क्योंकि इलाज की बात तो दूर ऑक्सीजन भी मिलेगी या नहीं कोई नहीं बता सकता। खैर, ऑक्सीजन का इंतजाम तो हो गया। अब यदि हो सके तो अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए दवाओं का भी इंतजाम कर दीजिए।

किस काम के ऑक्सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर 
मुख्यमंत्री साहब, एक बात और इस सारी कवायद के बीच एक और बात समझ नहीं आई… ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजाम करने की कोशिशों के बीच एक मित्र ने बताया कि उनके पास 10 लीटर का आक्सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर रखा है और जब तक इंतजाम न हो जाए वह इसे भेज सकते हैं। हमने चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने साफ कह दिया कि किसी काम का नहीं है ऑक्सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर … क्योंकि इससे सामान्य मरीज को ही ऑक्सीजन दी जा सकती है… जरा से भी गंभीर मरीज के लिए किसी भी तरह से उपयोगी नहीं है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि जब यह ऑक्सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर किसी काम के नहीं है तो इनकी लंबी चौड़ी खरीद क्यों करवाई जा रही है। इससे बेहतर तो ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदवाए जा सकते थे। खैर यह आप लोग जाने, क्या बेहतर है और क्या नहीं। मेरा बस आपसे यही अनुरोध है कि खोले गए नियंत्रण कक्षों पर ऐसे लोग तो बिठा दीजिए जो मदद न कर पाएं तो मुश्किलें भी न बढ़ाएं।

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