सर वीके बंसलः “बुंदेले” कभी मरा नहीं करते…

कोटा कोचिंग के पितामह सर वीके बंसल को TIS Media की आत्मिक श्रद्धांजलि

यकीनन बंसल साहब की लौ नापने की जुर्रत कर रहा हूं… वो भी तब जब ऊर्जा से ओत प्रोत यह मशाल आज बुझ चुकी है… लेकिन, कोई एक वजह तो हो ऐसी जुर्रत न करने की… मशाल ही तो बुझी है, लेकिन वीके बसंल ऐसा लाइट हाउस खड़ा करके गए जिसकी रोशनी में न सिर्फ कोटा, बल्कि हजारों आईआईटियंस देश ही नहीं दुनिया भर में अपनी रोशनी फैलाते रहेंगे… हमेशा हमेशा के लिए…। दीगर है कि… रोशनी की चकाचौंध, अक्सर हमारी आंखें ऐसे चौंधिया देती है कि हम भूल जाते हैं कि जिंदगी किसी दीपक का ही दूसरा नाम है… जहां हर रोज खुद के इर्द गिर्द उजाला करने को जलना पड़ता है … जिंदगी के तमाम अंधेरों से लड़कर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले ‘‘कोचिंग गुरु’’ पितामह सर वीके बंसल जैसे दीपक की तरह…!!! – विनीत सिंह

ये जो तस्वीर में व्हीलचेयर पर बैठा शख्स दिखाई पड़ रहा है, वो किसी पहचान का मोहताज नहीं है… हजारों आईआईटियंस का ‘लाइट हाउस’ है… जी हां ! सही पहचाने आप, इंजीनियर विनोद कुमार बंसल ही है इनका नाम… पूरी दुनिया इन्हें वीके बंसल यानि बंसल सर के नाम से जानती है… आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम के एक दो नहीं बल्कि पूरे छह ऑल इंडिया टॉपर दिए हैं इन्होंने… और 25 हजार से ज्यादा आईआईटियंस तैयार कर चुके हैं बंसल सर… वो भी अकेले के दम पर!!

जवानी के उस मोड़ पर जब जिंदगी सबसे हसीन होती है… कदम ही साथ छोड़ दें तो लोग जीने तक से इन्कार कर देते हैं, लेकिन इस बुंदेले ने कुदरत की बेरुखी को भी रोशनी बिखेरने का जरिया बना डाला… एक लालटेन, एक मेज और एक बच्चे के साथ चल पड़ा सफलताओं की नई इबारत लिखने… इस शख्स ने महज कोटा कोचिंग की नींव ही नहीं रखी, बल्कि पहला आईआईटियंस और आईआईटी-जेईई का पहला टॉपर देकर सफलताओं का ऐसा चस्का लगाया जो तीन दशक बाद भी जारी है…!!!

“पिताजी सभी के घर रोशन हैं,  हमारे घर में ही अंधेरा क्यों है? मैं रात को ज्यादा नहीं पढ़ पाता हूं।”  मुश्किलें बया करते मासूम बच्चे का सवाल जब पिता के कानों से टकराया तो दो पल के लिए वह सन्न रह गए… लेकिन, हड़बड़ाने और झुंझलाने के बजाय उस पिता ने बच्चे को ऐसा जवाब दिया जिसने उसके साथ ही बेरोजगारी और फांका परस्ती के मुश्किल दौर में फंसे हजारों कोटा वासियों की भी जिंदगी बदल दी… !

पिता बोले ‘बेटा तुम पढ़ोगे तभी घर में बिजली आ सकेगी…!’ कक्षा 6 के इस वाकये को कोई और होता तो भूल भी जाता, लेकिन वो बुंदेला यानि वीके बंसल नहीं भूला… पिता का जवाब सुनने के बाद उस बच्चे ने इतनी मेहनत की, कि कक्षा 6 का टॉपर बन गया… रिपोर्ट कार्ड देखकर सरकार ने 372 रुपए की स्कॉलरशिप भी दे डाली… स्कॉलरशिप के इसी पैसे से मासूम विनोद के घर बिजली जल सकी… पंखा लगा और बल्ब चमक उठा…!

वर्ष 1971 में बीएचयू से मैकेनिकल ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने कोटा की जेके सिंथेटिक में काम शुरू किया… यहां भी महज कुछ ही रोज में योग्यता और लगन के झंडे गाढ़ दिए… लेकिन, किस्मत फिर इम्तहान लेने निकल पड़ी… खुशियों की शुरुआत ही हुई थी कि जिस्म धोखा दे बैठा… और लाइलाज बीमारी का शिकार हो गए… लाख कोशिशों के बावजूद बीमारी हावी होती गई…  शरीर के अंगों ने एक-एक कर काम करना बंद कर दिया, लेकिन वीके बंसल लड़ने से पीछे नहीं हटे…. चलना फिरना बंद हुआ तो उन्होंने 1981 में बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दिया और 1983 में बंसल क्लासेस की स्थापना कर आईआईटियंस की फौज ही खड़ी कर डाली… बड़ी बात यह कि अब तक सबसे ज्यादा 6 आल इंडिया टॉपर देने का उनका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका है….!!! उन्होंने ना सिर्फ अपने घर में रोशनी की, बल्कि सैकड़ों बच्चों को आईआईटियन बनाकर उनका घर-आंगन भी चमका डाला… वीके बंसल्स यानि ‘‘ ए ग्रेट जर्नी फ्रॉम लैन्टर्न टू लाइट हाउस’’…!!!

ऐसा नहीं है कि इसके बाद भी उनके इम्तहानों का दौर खत्म हो गया… किस्मत, जिस्म और जिंदगी तो छोड़िए जनाब, ऐसे तमाम लोग और मौके थे जिन्होंने वीके बंसल को कदम दर कदम एक से बड़ा एक धोखा दिया… साथ छोड़ा, विश्वास तोड़ा… लेकिन, यकीनन वो एक बुंदेला ही था जो हर बुरे दौर को पीछे धकेल उसी शिद्दत के साथ तनकर खड़ा रहा… उसी शिद्दत के साथ, जिसके साथ उसने छठवीं कक्षा से जिंदगी का सफर शुरू किया था… दीपक सा रोशन होना सीखा था…!!!

यकीनन, यह महज इत्तेफाक नहीं है कि जब पूरी दुनिया कोरोना के अंधकार में डूबी है… हम जैसे कमतर हौसले वालों की हिम्मत जवाब दे रही है… तब हमें लड़ने का हौसला देकर चले गए बंसल सर…। एक संदेश देकर कि कोरे दीए जलाने से अंधेरा खत्म नहीं होगा… दीपक बनकर जलना होगा…. वीके बंसल की तरह…!!! तभी रोशन हो सकेगी तुम्हारी जिंदगी… और तुमसे दूसरों की…!!

झांसी में जन्म लेने के बाद लखनऊ में पढ़ाई और फिर कोटा में नौकरी की शुरुआत करने से लेकर शादी के कुछ साल बाद ही पैरों का साथ छोड़ देना और उसके बाद शुरू हुए संघर्ष से कोटा कोचिंग का जन्म और सफलताओं के निर्बाध दौर की कहानी भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन इसका एक और सुनहरा अध्याय अभी बाकी है…!! उनकी स्मृतियों का अध्याय…!!! जो हमेशा जगमगाता रहेगा…!! दिवाली के दियों की तरह…!! हमेशा हमेशा…!!

आज भी वॉल स्ट्रीट जनरल के कवर पेज पर जगह बना चुके वीके बंसल के फार्मूले का कोई तोड़ नहीं है। कोटा के कोचिंग संस्थानों में डीपीपी से लेकर डेढ़ घंटे की क्लास तक का फार्मूला बंसल सर ने बनाया और आज भी सभी इसे फॉलो कर रहे हैं की बजाय यह कहना बेहतर रहेगा कि कॉपी कर रहे हैं… इमारतें तो एक से बेहतर एक खड़ी हो गईं… फैकल्टीज की लिस्ट में एक से बड़ा एक आईआईटियंस जुड़ गया… पैकेज भी सैकड़ों से लाखों तक पहुंच गया… लेकिन बंसल सर के किसी भी फार्मूले का तोड़ कोई नहीं तलाश सका… और बंसल सर के जाने के बाद अब इस फार्मूले का तोड़ किसी से निकलना भी नहीं है..!!!

ईश्वर से प्रार्थना है कि सर वीके बंसल को वह अपने श्रीचरणों में स्थान दे…। उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे…। और शक्ति दे कोटा कोचिंग संस्थानों को फिर से रोशनी करने की…!! वीरान पड़े कोटा की रौनक फिर से लौट आने की…!!! ताकि, बंसल सर की जलाई मशाल, मिसाल बनकर एक बार पुनः ऊर्जा से परिपूर्ण हो उठे…!!!

अलविदा सर… वीके बंसल…!!! बुंदेले कभी मरा नहीं करते… आप हमारी स्मृतियों में हमेशा यूं ही जीवंत रहेंगे…!! हमेशा हमेशा…!!!

(लेखकः विनीत सिंह, TIS Media के संपादक हैं) 

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