रेमडेसिवीर चोरी कांड : अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ के खिलाफ गैर इरादतन ‘हत्या’ का मुकदमा दर्ज

कोटा. कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट के श्रीजी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में नर्सिंगकर्मी द्वारा कोविड मरीजों के रेमडेसिवीर इंजेक्शन चुराकर पानी के इंजेक्शन लगाने के बाद हुई महिला की मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग जिला प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जवाहर नगर पुलिस ने गुरुवार को आरोपी नर्सिंगकर्मी, डॉक्टर व अस्पताल प्रबंधक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है।
जवाहर नगर थानाधिकारी रामकिशन ने बताया कि मृतका माया के पुत्र पुनीत की शिकायत पर पुलिस ने कोटा हार्ट अस्पताल के आरोपी नर्सिंगकर्मी मनोज रैगर, उसका भाई राकेश रैगर, डॉक्टर बीएम मीणा, अस्पताल निदेशक डॉ. राकेश जिंदल व अन्य निदेशकों, प्रबंधक, सम्बंधित नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ धारा 304, 420,120-बी में मामला दर्ज किया है। फिलहाल अनुसंधान जारी है।

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मृतका के पुत्र ने यह दी शिकायत
पुनीत रोहिड़ा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनकी मां माया की तबीयत खराब हो गई थी। 11 अप्रेल को मां को कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट् के श्रीजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। उन्हें अस्पताल के कोविड वार्ड में बेड नं. 309-बी पर भर्ती किया गया था। हमने अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ पर विश्वास रखा। उन्होंने अस्पताल के मेडिकल स्टोर से जो भी दवाइयां, इंजेक्शन मंगवाए उनका पूरा भुगतान किया। मेरी मां अस्पताल में 4 दिन भर्ती रही। जिसका खर्चा करीब डेढ़ लाख रुपए आया, जो हमने अस्पताल को दिए। डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ ने कहा, हमने मरीज को सभी दवाइयां व इंजेक्शन दे दिए हैं। इसके बावजूद मां की तबीयत में सुधार नहीं आया और उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। 15 मई को मां की जान चली गई।

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अखबारों से पता चला मां को रेमडेसिवीर दिया ही नहीं
पुनीत ने बताया कि मां की मौत के दो दिन बाद हमें अखबारों से जानकारी मिली की महावीर नगर पुलिस ने मेडिकल कॉलेज के पास रेमडेसिवीर की कालाबाजारी करते 2 जनों को गिरफ्तार किया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए।
जिससे पता चला कि उनकी मां माया को 13 मई को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना था, लेकिन नर्सिंगकर्मी व डॉक्टरों ने वो इंजेक्शन लगाया ही नहीं। अस्पताल के नर्सिंगकर्मी मनोज रेगर ने रेमडेसिवीर चुराकर अपनी जेब में रख लिया और उसकी जगह ग्लूकोज मिले पानी का इंजेक्शन मां को लगा दिया। जिससे मां की मौत हो गई। मेरी मां के लिए मंगवाए इंजेक्शन को आरोपी नर्सिंगकर्मी 10 हजार में बाजार में बेच रहा था। कोरोना महामारी दौर में यह अपराध गंभीर श्रेणी में आता है।

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ये था मामला
श्रीजी अस्पताल के कोविड वार्ड के बेड नंबर 309-बी में भर्ती कोरोना मरीज माया को 13 मई को रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाया जाना था। मरीज को यह इंजेक्शन अस्पताल के स्टोर से इश्यू हुआ था। परिजनों ने अस्पताल के मेडिकल से रेमडेसिवीर खरीद नर्सिंगकर्मी मनोज रैगर को दिया था। आरोपी मनोज ने उसे चुराकर अपनी जेब में रख लिया और रेमडेसिवीर की जगह माया को ग्लूकोज मिले पानी का इंजेक्शन लगा दिया। जिससे बाद से उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और 15 मई को माया की मौत हो गई।
इसी तरह अस्पताल के कोविड वार्ड 307-सी बेड पर भर्ती रतनलाल के साथ भी यही हुआ। मरीज रतनलाल के 8 मई को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना था। परिजन अस्पताल के स्टोर से इंजेक्शन लाए थे। आरोपी मनोज ने इंजेक्शन का पाउडर अपने पास रख लिया और मरीज को चढ़ रही बोतल में सिर्फ पानी डाल दिया। फिर रजिस्टर में साइन कर मरीज को रेमडेसिविर लगाने की पुष्टि कर दी। परिजनों को भी यही बताया। इस बीच आरोपी मनोज व उसका भाई राकेश बाजार में रेमडेसिवीर महंगे दाम में बेचते पकड़े गए। फिलहाल दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।

 

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