कोरोना का कहरः राजस्थान में वैक्सीन खत्म, सैकड़ों सेंटर बंद, 9 दिन में 4% गिरा रिकवरी रेट
- राजस्थान में बची हैं वैक्सीन की सिर्फ 3.83 लाख डोज, नई खेप आने में लगेंगे दो दिन
कोटा. राजस्थान में एक तरफ तो कोरोना बेकाबू हो रहा है वही दूसरी तरफ वैक्सीन भी खत्म हो गई है। राजस्थान को 6 अप्रेल तक केंद्र सरकार से कोविड वैक्सीन की 1,07,40,860 डोज मिली थीं। जिनमें से 2,15,180 वैक्सीन सेना को दे दी गई। हर रोज करीब 5.18 लाख वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है। ऐसे में शनिवार को वैक्सीनेशन खत्म होने के बाद करीब 3.83 लाख वैक्सीन की डोज ही बची हैं। जो रविवार दोपहर तक ही लोगों को लगा दी जाएगी। ऐसे में हालात यह हैं कि अकेले राजधानी जयपुर में ही 350 से ज्यादा वैक्सीन सेंटर बंद करने पड़े हैं।
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हालात बेहद भयावह
राजस्थान में शनिवार को कोरोना इस कदर बेकाबू हुआ कि सिर्फ 24 घंटे 4401 नए संक्रमित मिले हैं। जबकि 18 मरीजों की जान चली गई। अकेले कोटा में अब तक के सबसे ज्यादा 599 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। अलवर, झुंझुनूं, भरतपुर और करौली जैसे कई सेंटर पर वैक्सीन खत्म हो गई है। पूरे राजस्थान में वैक्सीन के करीब 5 लाख डोज बचे हैं। वैक्सीन आने में अभी एक-दो दिन का समय और लग सकता है। ऐसे में राज्य में सिर्फ आज तक का ही वैक्सीन स्टॉक है, क्योंकि पूरे प्रदेश में हर रोज लगभग 4 से 5 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। कोरोना के नए केस बढ़ने के साथ ही राजस्थान में तेजी से रिकवरी रेट भी गिरने लगा है। 31 मार्च तक राजस्थान में रिकवरी रेट 96.35 फीसदी था, जो अब गिरकर 92.38 पर पहुंच गया है। वहीं एक्टिव केसों की संख्या ढाई गुना से ज्यादा बढ़ गई। 31 मार्च को राज्य में 8663 एक्टिव केस थे, जो बढ़कर 24 हजार को पार कर गए।
रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ी
20 दिन पहले जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की खेप पड़ोसी राज्य पंजाब को देने वाले राजस्थान में अब इस इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई के लिए दवाई कंपनियों को डिमांड भेजी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में अभी करीब 20 हजार इंजेक्शन की डोज है। इससे पहले सरकार ने 21 मार्च को एक्सपाइरी होने से बचाने के लिए पंजाब को करीब 10 हजार इंजेक्शन की डोज भेजी थी।
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यह कैसा मजाक!
एक तरफ तो राजस्थान वैक्सीन के लिए तरस रहा है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार 11 अप्रेल को ज्योतिबा फुले जयंती और 14 अप्रेल को अंबेडकर जयंती के दिन टीका उस्तव मनाने के लिए देश भर में जोर शोर से प्रचार कर रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बिना वैक्सीन के आखिर कैसे टीका उत्सव मनाया जाएगा। यह केंद्र सरकार हमें बताए। गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री अमित शाह एवं रविशंकर प्रसाद के उस बयान पर भी सवाल उठाया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यों में वैक्सीन की कोई कमी नहीं होने दी गई है। गहलोत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि केन्द्रीय मंत्री बताएं कि आखिर राजस्थान की सप्लाई कहां भेज दी।
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वैक्सीनेशन में सबसे आगे
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 8 अप्रेल तक राजस्थान में 91,55,370 डोजेज लगा दी गईं हैं। करीब 4,34,888 डोजेज खराब हुईं जो केन्द्र सरकार द्वारा अनुमत सीमा 10% के आधे से भी कम है। 9 अप्रेल की सुबह प्रदेश में करीब 9.70 लाख वैक्सीन डोजेज शेष थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 8 अप्रेल 4.65 लाख, 7 अप्रेल को 5.81 लाख, 6 अप्रेल को 4.8 लाख एवं 5 अप्रेल को 5.4 लाख वैक्सीन डोजेज लगाई गईं। 9 अप्रेल की सुबह प्रदेश में करीब 9.70 लाख वैक्सीन डोजेज शेष थीं। प्रतिदिन करीब 5.18 लाख वैक्सीन औसतन राजस्थान में लगाई जा रही हैं। आज का वैक्सीनेशन का कार्य पूरा होने के बाद करीब 3.80 लाख डोजेज ही शेष बची हैं। जो आगे वैक्सीनेशन के लिए अपर्याप्त हैं।
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बंद करना पड़ेगा वैक्सीनेशन
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार से वैक्सीन की 3.83 लाख डोजेज की अगली खेप 12 अप्रेल को आना प्रस्तावित है। इस कारण राजस्थान में कल कई जिलों में वैक्सीनेशन का कार्य बंद करना पड़ेगा। 3.83 लाख डोजेज से भी एक दिन से अधिक वैक्सीनेशन नहीं किया जा सकेगा। गहलोत ने कहा कि वैक्सीनेशन के कार्य में कोई राजनीति नहीं की जा रही है लेकिन तथ्यों से स्पष्ट है कि अनेक राज्यों में वैक्सीन की कमी है। केन्द्र सरकार को सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन डोजेज की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। क्योंकि मीडिया के मुताबिक 8 अप्रेल को आंध्र प्रदेश में 1.2 दिन, बिहार में 1.6 दिन, उत्तर प्रदेश में 2.5 दिन, उत्तराखंड में 2.9 दिन, उडीसा में 3.2 दिन, मध्य प्रदेश में 3.5 दिन और महाराष्ट्र में 3.8 दिन की डोजेज ही शेष थी।
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वैज्ञानिकों की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता
इस बीच इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) की महामारी डिवीजन के मुखिया प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ.बीआर सिंह के “रिसर्च गेट” में प्रकाशित शोध ने और भी ज्यादा चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने मौजूदा टीकाकरण अभियान पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि यदि तीन महीने के अंदर-अंदर सभी लोगों को वैक्सीन नहीं लगी तो यह अभियान बिल्कुल भी असर नहीं छोड़ पाएगा। क्योंकि नए वैरिएंट पुरानी वैक्सीन का असर नहीं हो रहा।