Faiz poetry
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Art and Literature
निसार मैं तेरी गलियों पे ए वतन, कि जहां चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले…
फैज़ की नज्में ‘प्रतिरोध’ और ‘साझे प्रयास’ की जरूरतों को समझाती है, जिससे खास तबका परेशान रहता है। इस परेशानी…
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फैज़ की नज्में ‘प्रतिरोध’ और ‘साझे प्रयास’ की जरूरतों को समझाती है, जिससे खास तबका परेशान रहता है। इस परेशानी…
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