Story By Kamleshwar
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Art and Literature
कामरेड… आज की कहानी
~कमलेश्वर –लाल हिन्द, कामरेड!–एक दूसरे कामरेड ने मुक्का दिखाते हुए कहा। लाल हिन्द–कहकर उन्होंने भी अपना मुक्का हवा में चला…
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Art and Literature
दिल्ली में एक मौत… पढ़िए आज की कहानी
~कमलेश्वर मैं चुपचाप खडा सब देख रहा हूँ और अब न जाने क्यों मुझे मन में लग रहा है कि…
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Art and Literature
क़सबे का आदमी… आज की कहानी
~कमलेश्वर सुबह पाँच बजे गाड़ी मिली। उसने एक कंपार्टमेंट में अपना बिस्तर लगा दिया। समय पर गाड़ी ने झाँसी छोड़ा…
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Art and Literature
अपनी-अपनी दौलत… आज की कहानी
~कमलेश्वर पुराने ज़मींदार का पसीना छूट गया, यह सुनकर कि इनकमटैक्स विभाग का कोई अफसर आया है और उनके हिसाब-किताब…
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Art and Literature
इंतज़ार… आज की कहानी
~कमलेश्वर रात अँधेरी थी और डरावनी भी। झाड़ियों में से अँधेरा झर रहा था और पथरीली ज़मीन में जगह-जगह गढ़े…
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