VMOU: कुलपति पर घोटाले की आंच, राज्यपाल ने बिठाई उच्च स्तरीय जांच

निर्माण कार्यों में अनियमितताओं का आरोप, 3 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच

TISMedia@Kota वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) में अनियमितताएं, घोटाले और घपले थमने का नाम ही नहीं ले रहे। पाठ्यपुस्तकों की छपाई के टेंडर में भ्रष्टाचार करने के आरोपों में प्रकाशन विभाग के पूर्व निदेशक और प्रिंटिंग प्रेस मालिक को जेल भेजे हुए  भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को अभी सप्ताहभर भी न गुजरा होगा कि अनियमितताओं और घोटालों की आंच कुलपति प्रो. आर.एल. गोधारा तक जा पहुंची है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलाधिपति एव राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रो गोदारा के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच गठित कर दी है।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने वीएमओयू के कुलपति के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिलने के बाद 3 सदस्यीय जांच समिति गठित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार की ओर से 29 अक्टूबर को जारी आदेशों के मुताबिक राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एके गहलोत को इस उच्च स्तरीय जांच समिति का समन्वयक बनाया है। उनके साथ भारतीय धरोहर के निदेशक प्रो कृपा शंकर तिवारी और एमएनआईटी जयपुर के प्रो एमएम शर्मा को इस समिति का सदस्य बनाया गया है। राज्यपाल ने इस समिति को वीएमओयू के कुलपति प्रो गोदारा पर लगे अनियमितताओं, घोटालों एवं घपलों के सभी आरोपों की जांच एक महीने में पूरी कर रिपोर्ट राजभवन को सौंपने के निर्देश दिए हैं।

राजभवन को वीएमओयू में प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत मिल रही थी। इन शिकायतों में विश्वविद्यालय में हुए निर्माण कार्यों में अनियमितताएं करने के साथ ही कोटा निवासी राहुल सिंह की शिकायतें प्रमुख हैं। राजभवन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जेजे कॉलोनी निवासी  राहुल सिंह ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाए थे कि सीखो कमाओ योजना के 2 करोड़ 28 लाख रुपये प्रोफेसर बी अरुण और प्रोफेसर आर एल गोदारा डकार गए। इस आशय की एक चिठी वित्त नियंत्रक ने सरकार को भी लिखी है। भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है जिसके चलते विवि की छवि राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हुई ही।

इसके साथ ही बिना टेंडर के एक फर्म को असाइनमेंट स्कैन करने का ठेका दे दिया। इस आशय की एक चिठी वित्त नियंत्रक ने सरकार को भी लिखी है। बिना टेंडर और स्टेच्युटरी बॉडी के अप्रूवल के बिना चहेते फर्म को कुलपति गोदारा द्वारा असाइनमेंट ऑनलाइन करने का ठेका देना और गवर्नर आफिस को सूचित किये बिना और बिना किसी को चार्ज दिए कुलपति गोदारा का महीनों विश्वविद्यालय की गाड़ी लेकर घूमते रहना के साथ साथ बोम में यूनिवर्सिटी एक्ट का उलंघन कर प्रोफेसर का पद खाली रखने जैसे गंभीर आरोप लगाए है।

राज्यपाल का आदेश जारी होने के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे समय में जब वीएमओयू में न तो स्थाई वित्तनियंत्रक है और न ही कुलसचिव, तब जांच की सुचिता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि, विश्वविद्यालय के दोनो ही पदों पर प्रशासनिक अधिकारी की बजाय यूनिवर्सिटी स्टाफ काबिज है। इसलिए वह कुलपति के दवाब में रहेगा या फिर जांच समिति को सहयोग करेगा देखने वाली बात होगी।

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