श्रीजी हॉस्पिटल में 2 कोविड मरीजों को लगाए नकली रेमडेसिवीर, एक की मौत दूसरे की हालत नाजुक
आरोपी नर्सिंगकर्मी ने मरीजों के रेमडेसिवीर चुराकर लगा दिए पानी के इंजेक्शन

– आरोपी नर्सिंगकर्मी को कोर्ट ने भेजा जेल
कोटा. कोरोना काल में ऐसी कई सुर्खियां सामने आ रही हैं, जो इंसान के शैतान बनने की कहानी बखूबी बयां करती है। ये सुर्खियां उस काले सच को उजागर कर रही है, जिनमें कुछ लोगों ने बेशर्मी से इस महामारी की आपदा को अवसर में तब्दील कर लिया। यह उस घिनौनी धनलिप्सा को बेपर्दा करती है जो बताती हैं कि इंसान कितना नीचे तक गिर सकता है। गिद्धों से बदतर ऐसे लोगों के लिए लोगों की मजबूरी ही पैसा कमाने का अवसर बन गई। गिद्ध तो मरने के बाद अपना पेट भरने के लिए लाशों को नोचता है पर ये लोग तो पैसों की खातिर जिंदा इंसानों को ही नोचने में लगे हैं।
कोविड मरीजों के लिए जीवनरक्षक मानी जाने वाली दवाएं भी सरकार मुहैया करवा रही है। चिकित्सक रात-दिन एक कर जान बचाने में जुटे हैं वहीं, कुछ नर्सिंगकर्मी लालच में इतने अंधे हो गए कि अब वे मरीजों की जान लेने पर उतर आए। ऐसा ही एक मामला कोटा पुलिस की जांच में सामने आया है। कोटा के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाने से एक कोरोना मरीज की मौत हो गई।
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ऐसे हुआ खनसनीखेज खुलासा
महावीर नगर पुलिस ने गत रविवार को कोटा मेडिकल कॉलेज के पास से दो युवकों को रेमडेसिवीर की कालाबाजारी करते पकड़ा था। दोनों आरोपी सगे भाई हैं। इनमें से एक आरोपी मनोज रैगर है, जो कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी हॉस्पिटल में नर्सिंगकर्मी के पद पर कार्यरत था। वह अपने भाई राकेश रैगर के साथ मिलकर मरीजों को आवंटित होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन चुराकर बाजार में ऊंचे दामों पर बेच रहा था। आरोपियों से पूछताछ में पुलिस ने खुलासा किया कि आरोपी नर्सिंगकर्मी मनोज ने श्रीजी हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में भर्ती दो कोरोना मरीजों को रेमडेसिवीर की जगह ग्लूकोज मिले पानी के इंजेक्शन लगा दिए और उनके आवंटित इंजेक्शन जेब में रख लिए। इनमें से एक महिला मरीज की 15 मई को मौत हो गई। वहीं, दूसरे मरीज की हालत नाजुक बनी हुई है।
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नर्सिंगकर्मी ने चुराए मरीजों के रेमडेसिवीर और लगाए पानी के इंजेक्शन
श्रीजी अस्पताल के कोविड वार्ड के बेड नंबर 309-बी में भर्ती कोरोना मरीज माया को 12 मई को रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाया जाना था। मरीज को यह इंजेक्शन अस्पताल के स्टोर से इश्यू हुआ था। परिजन वहां से रेमडेसिवीर खरीद नर्सिंगकर्मी मनोज को दिया था। आरोपी मनोज ने उसे चुराकर अपनी जेब में रख लिया और रेमडेसिवीर की जगह मरीज को ग्लूकोज मिले पानी का इंजेक्शन लगा दिया। जिससे उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और दो दिन बाद यानी 15 मई को उसकी मौत हो गई। इसी तरह अस्पताल के कोविड वार्ड 307-सी बेड पर भर्ती रतनलाल के 8 मई को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना था। परिजन अस्पताल के स्टोर से इंजेक्शन लाए थे, लेकिन मनोज ने इंजेक्शन का पाउडर अपने पास रख लिया और मरीज को चढ़ रही बोतल में सिर्फ पानी डाल दिया। फिर रजिस्टर में साइन कर मरीज को रेमडेसिविर लगाने की पुष्टि कर दी। परिजनों को भी यही बताया।
आरोपी नर्सिंगकर्मी को जेल भेजा
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोपी मनोज को पुलिस ने मंगलवार को कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने आरोपी को 1 जून तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। इससे पहले सोमवार को आरोपी के भाई राकेश को जेल भेजने आदेश जारी किए गए थे।
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मामले में अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत, जांच का विषय
जांच अधिकारी एएसआई विष्णु कुमार ने बताया कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत है या नहीं यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। वैसे, अस्पताल व मेडिकल स्टोर का रिकॉर्ड जब्त कर लिया है। अब आरोपी की कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है। पुलिस को आशंका है कि जब दो मरीजों के इंजेक्शन यहां से चोरी हो सकते हैं, तो अन्य भर्ती 200 मरीजों के भी हो सकते हैं। आरोपी की कॉल डिटेल निकलवाकर जांच की जा रही है। आरोपी ने इस दौरान किस-किस लोगों से बात की, कितने लोगों को कितने रेमडेसिवीर बेचने की बात की होगी सहित तमाम सवालों के जवाब कॉल डिटेल से पता लग पाएगी। फिलहाल पुलिस हर एंगल से मामले की जांच में जुटी है।
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प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज का स्टूडेंट है आरोपी
एएसआई विष्णु कुमार ने बताया कि इंजेक्शन के बैच नंबर की जांच करने के लिए आरोपी मनोज रैगर को साथ लेकर श्रीजी एवं कोटा हार्ट अस्पताल में गए थे। कोविड वार्ड में ले जाकर जांच-पड़ताल की। जांच में सामने आया कि मनोज रैगर पिछले महीने ही अस्पताल में नर्सिंगकर्मी के पद पर काम करने लगा था। मनोज बूंदी प्राइवेट कॉलेज में नर्सिंग स्टूडेंट हैं।