गुलाब चंद कटारिया: खत्म हुई सियासी पारी, बने असम के राज्यपाल

राजस्थान की राजनीति में आया नया सियासी भूचाल

जयपुर। रविवार यूं तो छुट्टी का दिन था, लेकिन जनाव सियासत में कहां छुट्टी और कहां पढ़ाई। विधानसभा चुनाव जितने नजदीक आते जा रहे हैं इस सूबे की सियासत उतनी ही तेजी से भूचालों की आमद होती जा रही है। ताजा, झटका भाजपा ने उम्रदराज नेताओं को दिया है। जिसके संकेत केंद्रीय नेतृत्व पहले ही दे चुका है। हालांकि इसकी शुरुआत हुई दिग्गज भाजपा नेता और राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया की राजनीतिक पारी के खात्मे के साथ। कटारिया को केंद्रीय नेतृत्व ने सक्रिय राजनीति से बाहर कर असम का राज्यपाल नियुक्त कर दिया।

राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति की है। गुलाब चन्द कटारिया भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। वे राजस्थान सरकार के पूर्व गृह मंत्री हैं। वे राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और पार्टी की केन्द्रीय कार्य समिति के सदस्य हैं। उदयपुर निवासी कटारिया यहां से 9वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। पूर्व में वे राजस्थान सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रह चुके हैं।

कटारिया की लंबी सियासी पारी 
गुलाब चंद कटारिया का जन्म 13 अक्टूबर 1944 को हुआ था। वह 2014 से 2018 तक राजस्थान सरकार में गृह मंत्री रहे हैं। 1977 में गुलाब चंद कटारिया ने पहली बार 6वीं राजस्थान विधानसभा के लिए उदयपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरा और विजय हुए। यहां से वे लगातार जीतते आ रहे हैं। 1980 में हुए 7वीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव भी फिर से जीत कर गुलाब चंद दूसरी बार विधान सभा सदस्य बने। इसी दौरान वे 1980-1981 तक राजस्थान विधानसभा के प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे। 1981-1985 तक विधायक रहते हुए राजस्थान विधानसभा में प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे। गुलाब चंद का राजनीतिक जीवन बहुत प्रगतिशील रहा है।

संभाल चुके हैं पार्टी की कमान 
गुलाबचंद कटारिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1977 में भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई युवा मोर्चा से की थी। वह 1977 से साल 1980 तक मोर्चा की राजस्थान इकाई के उपाध्यक्ष एवं महासचिव रहे। युवा मोर्चा के बाद पार्टी ने उन्हें साल 1980 से साल 1985 तक भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई का सचिव बनाया। अगले ही साल उन्हें पार्टी ने महासचिव बना दिया। कटारिया साल 1986 से 1993 तक भाजपा राजस्थान के महासचिव और फिर 27 मई 1999 से 19 जून 2000 तक भाजपा की राजस्थान इकाई के मुखिया यानि अध्यक्ष भी रहे। मुख्यमंत्री पद के लिए भी उनका नाम चला, लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया बाजी मार गईं।

कटारिया का सियासी सफर 
1977 – 1980 सदस्य, 6वीं राजस्थान विधान सभा
1980 – 1985 सदस्य, 7वीं राजस्थान विधान सभा
1989 – 1991 सदस्य, 9वीं लोक सभा
1993 – 1998 सदस्य, 10वीं राजस्थान विधान सभा
1998 – 2003 सदस्य, 11वीं राजस्थान विधान सभा
2003 – 2008 सदस्य, 12वीं राजस्थान विधान सभा
2008 – 2013 सदस्य, 13वीं राजस्थान विधान सभा
2013 – 2018 सदस्य, 14वीं राजस्थान विधान सभा
2018 – Con . सदस्य 15वीं राजस्थआन विधानसभा

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