कोरोना अनुरूप व्यवहार कर ही हम सब स्वयं को और समाज को बचा पायेंगे

डॉ. विवेक कुमार मिश्रा

डॉ. विवेक कुमार मिश्रा

राजकीय महाविद्यालय कोटा में वरिष्ठ शिक्षक, कवि एवं समसामयिक विषयों पर निरंतर लेखन से जुड़े हैं।

कोरोना महामारी से बचाव के लिए मनुष्य के पास सजगता सतर्कता और सावधानी है। यह वायरस अपनी संघारक क्षमता से गंभीर परिणाम मनुष्यता के सामने लेकर आया। एक संकट और एक त्रासदी के रूप में पिछले डेढ़ साल से हम सब इस महामारी की संघार क्षमता को देख रहे हैं और यह भी देखने में आया यह महामारी पूरी दुनिया में अपने ढंग से फैली हुई है। क्या विकसित देश क्या विकासशील सबके ऊपर इसका संघार भारी पड़ रहा है यह हमारी मानवीय संस्कृति स्वभाव और मानवीय दुनिया पर इतना व्यापक और गहरा असर डाल रही है कि लोगों के बीच जो सहज निकटता थी जो रिश्ते नाते थे वह सब के सब टूटते से दिखने लगे।

पहली बार ऐसा हुआ कि मनुष्य बीमारी के आगे असहाय बेबस खड़ा था ‌‌। सब कुछ होते हुए कुछ नहीं कर पा रहा था। इतनी असहायता, इस तरह की बेबसी कभी देखी नहीं गई। यह महामारी सभ्यता और संस्कृति के सामने ही न केवल गंभीर सवाल उठाए बल्कि हमारे स्वभाव को सीखने समझने की बड़ी दुनिया दी जिसमें मनुष्य को अपनी प्रकृति के पास अपने समाज की ओर लौटने का संदेश दिया तथा यह भी कहा कि थोड़ा ठहर कर चलों बहुत भागदौड़ मत करों। पैसा ही सब कुछ नहीं है पैसा कमाओं पर थोड़ा आदमी भी कमाओं आदमी से बात करों। कुछ ऐसे लोग हों जिनके साथ तुम चलों तो कुछ तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार रहें। यह सब संभव भी तभी हो पाता है जब आप किसी के लिए कदम बढ़ाने में हिचकते नहीं। आप यदि दस कदम चलते हैं तो दूसरे भी कुछ कदम चलते ही हैं और इस तरह जब सामाजिक कदम चलते हैं तो आप उनकी गिनती नहीं कर सकते हैं।

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यहीं पर मनुष्य के साहस संकल्प और सदिच्छा की बात आती है। जो मनुष्य को हर आपदा से संकट से विपदा से बचाने का कार्य करती है। मानवता को संरक्षित करने के लिए हमें प्रकृति के साथ चलना होता है। आज प्रकृति यह बार-बार कह रही है कि हमारे साथ चलते चलो… मनुष्य जाति से प्रकृति का यह इसरार हो रहा है कि प्रकृति के साथ प्रकृत के होकर चलने पर तुम्हारे ऊपर कोई विपदा नहीं आएगी। यह जो कोरोनावायरस है वह कहीं न कहीं हमारी गलतियों हमारे प्रकृति के साथ अतिचार और प्रकृति की सत्ता को न कुछ समझ पाने और न कुछ समझने का भी परिणाम बनकर सामने आया है। थोड़ी सी समझदारी थोड़ा सा धैर्य, बहुत बड़े संकल्प और साहस के साथ इस महामारी से बचा जा सकता है।

कोरोना महामारी ने एक संदेश एक संकेत मनुष्यता के सामने दिया है कि तुम्हारे सामने जो प्रकृति है उसकी सुनो। प्रकृति को अनसुना कर तुम कहीं नहीं जा सकते। तुम्हारे सामने जो नदी पहाड़ – जंगल – पेड़ – पौधे – पुष्प हैं वह सब तुम्हारे लिए हैं। तुम्हारे उपभोग के लिए हैं। पर तुम इसका विनाश मत करो प्रकृति रहेगी तो तुम्हारी व्यवस्था तुम्हारी संरचना भी रहेगी और प्रकृति की संरचना के साथ तुम जीवित रहोगे। तुम जीवंत रहोगे । कोरोना वायरस ने एहसास करा दिया कि हमारी सत्ता कुछ हो कोरोना के आगे सब बेबस हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर इतराने की जरूरत है। सब थोड़े समय और थोड़े दिन के साथी हैं। हमें इससे बचने के लिए केवल और केवल यह करने की जरूरत है कि अपने आसपास जो समाज है, अपने आसपास जो लोग हैं उनकी मदद करते हुए सहायता करते उनके साथ चलते हुए उन को बचाते हुए स्वयं को बचाएं। यदि हम स्वयं को बचाते हैं तो हमारे साथ हमारी दुनिया हमारा समाज हमारे लोग भी संरक्षित होते हैं। समय आ गया है कि हम सबको अपनी निजी सत्ता और निजी दृष्टि से ऊपर उठकर सामाजिक दृष्टि और सामाजिक सत्ता और सामाजिकरण पर विचार करना होगा सोचना होगा। सोचना और विचार करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि अपनी सोच को सामाजिक संरक्षण देने की जरूरत है। समाज के साथ अपने समाजशास्त्री कर्म भी करने होंगे। अपने सामाजिक दायित्व और सामाजिक कर्म को निभाने होंगे। इस तरह स्वाभाविक है कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए अपने आप को बेहतर तरीके से व्यवस्थित करने के लिए हमें अपने आसपास अपने परिसर में अपने पड़ोस में एक प्राकृतिक औषधि संरचना को भी विकसित करना चाहिए।

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प्रकृति हमारे लिए औषधि की तरह है वह हमारे जीवन का निर्माण करती है। वह हमारे जीवन संसार को हमारे मन को शांति प्रदान करती है। हमारे मन को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है। जब आप प्रकृति से बातचीत करते हैं जब आप प्रकृति को देखते हैं तो आपके भीतर सहज रूप से एक आनंद की उपस्थिति आनंद की एक दुनिया… आपके भीतर निमग्न हो जाती है। प्रकृति से संवाद करते हुए बातचीत करते हुए निश्चित तौर पर हम अपने आपको साबित करते हैं। अपनी दुनिया को कोरोना काल में, इस बात का एहसास करा दिया कि दुनिया में यदि कुछ सत्य है तो वह प्रकृति है। ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ हमें अपना संयोजन करते हुए अपने आप को संयोजित करते हुए चलना चाहिए। प्रकृति की इस विराट सत्ता को अपनी आवश्यकता के साथ जोड़कर ही हम सही मायने में जीवन का निर्माण कर सकते हैं। कोरोना ने हमें एक सहज यह संस्कार दिया एक दुनिया सौंप दी कि आप एक अनुशासन के साथ एक बेहतर संयोजन के साथ अपने परिवार अपने पड़ोस अपने समाज और अपने संसार की रक्षा कर सकते हैं।

यदि अब भी आप नहीं समझे तो फिर संभालने के लिए कौन आएगा ? करोना की इस महामारी में संभलने के लिए अपना बचाव करने के लिए आज हमारे पास कोरोना वैक्सीन आ चुकी है। हम सब को यह चाहिए कि कोरोनावायरस की पहली डोज और समय आने पर दूसरी डोज लगवा लें। वैक्सीन लगवाने के बाद भी सही ढंग से मास्क लगाएं और एक दूसरे से कम से कम 2 गज की दूरी बनाकर रहे। इसी के साथ विशेष तौर पर साफ सफाई का ध्यान रखें और किसी भी सतह को छूने के बाद तुरंत हाथ धोएं। साबुन से हाथ धोने या अपने हाथ को सैनिटाइज करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए, सैनिटाइजर और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए मास्क लगाकर रहें। इस तरह कोरोना महामारी को हम सब सामूहिक तौर पर सार्वजनिक रूप से तभी मार देंगे जब हम कोरोना अनुरूप व्यवहार कर रहे होंगे। कोरोना महामारी के अनुरूप हमें अपने व्यवहार में अपने आचरण में अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने की जरूरत है। इसके लिए सबसे पहले टीकाकरण करवाएं, मास्क लगाएं, सामाजिक दूरी का पालन करें और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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इसी के साथ अपने आसपास पड़ोस अपने परिजन सभी को केवल संदेश न दें बल्कि कार्य रूप में व्यवहार रूप में परिवर्तन को लाएं। आप अपने भीतर परिवर्तन लाएंगे व्यवहार को बदलेंगे अपने भीतर अनुशासन का ढांचा खड़ा करेंगे तो स्वाभाविक है कि सामाजिक ढांचे में भी एक अनुशासन एक व्यवहार एक सजगता एक सतर्कता देखने को मिलेगी। अभी बारिश होने वाली है कोरोना के अनुरूप अपने आसपास हर घर में हर आंगन में गिलोय, तुलसी, कालमेघ अश्वगंधा का पौधा लगाएं जिसे वन विभाग अपनी नर्सरी के माध्यम से तैयार करा रहा है। यह सामान्य पौधे नहीं है बल्कि यह आपके जीवन निर्माण के औषधीय पौधे हैं और इनको लगाने के बाद इनका सेवन करें इनका उपयोग करें। इनका उपयोग करें निश्चित तौर पर इस तरह से व्यवहार करके आप कोरोना को मात देंगे। अपनी मानसिक दृढ़ता, मानसिक ताकत से कोरोना महामारी से लड़ने में आप सक्षम बने। आप अपना संबल बने, समाज का संबल बने और सामाजिक दृष्टि से सरकार के हित संवर्धन में आप काम करें। यहीं कोरोनावायरस के अनुरूप सामाजिक व्यवहार होना चाहिए। जिससे हम सब कोरोना जैसी महामारी से संभल पाएंगे। समाज को बचाएंगे राज्य को बचाएंगे और इस तरह से देश को बचाएंगे।

कोरोना हारेगा। जीतेगा मनुष्य। इस जीत में हम सब की जीत है। आओ मनुष्यता की जीत के लिए अपने कदम आगे बढ़ाएं।

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One Comment

  1. टी आई सी मीडिया समाचार , साहित्य और संस्कृति को एक बड़े सामाजिक संदर्भ पर लगातार प्रस्तुत करता आ रहा है । यह सामाजिक संस्कृति का संरक्षण करने वाला बहुत ही सुंदर संकलन करने वाला बेबसाइट है । बहुत बहुत आभार ।

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