कोचरिया: डिजिटल युग का एक ऐसा गांव जहां बिजली पहुंचने में लग गए 74 साल

दीपावली से पहले मनी "दिवाली", ग्रामीणों ने जताया लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का आभार

TISMedia@Kota बूंदी जिले के डोरा ग्राम पंचायत के कोचरिया गांव में दिवाली से पहले दिवाली सा माहौल है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से गांव में आजादी के बाद अब पहली बार बिजली पहुंची है। विद्युत सेवा मिलने से लोगों के चेहरे खुशी से चमक रहे हैं। ग्रामीणों ने इसके लिए शनिवार को कोटा स्थित कैंप कार्यालय आकर स्पीकर बिरला का आभार जताया।

सरपंच कांति बाई ने बताया कि कोचरिया गांव में करीब 40 घर हैं। इस गांव में बिजली की सुविधा नहीं थी। ग्रामीण लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत थे, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते सभी तरह के प्रयासों के बावजूद राहत नहीं मिल रही थी। बिजली नहीं होने के कारण ग्रामीणों की रोजमर्रा का जीवन तो प्रभावित हो ही रहा था, बच्चों की शिक्षा में भी बाधा आती थी। गांव में बिजली नहीं होना युवाओं की शादी में बड़ी अड़चन भी बन रहा था। इस समस्या को देखते हुए ग्रामीणों ने करीब तीन माह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बिरला को अपनी पीड़ा से अवगत करवाया था।

40 में से 15 घरों में हुआ कनेक्शन 
स्पीकर बिरला ने लोगों को आश्वस्त किया था कि वे उनकी परेशानी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। इसके बाद उन्होंने सभी तकनीकी बाधाएं दूर करवाईं। जिसके बाद गांव में बिजली की लाइन बिछाई जा सकी। ग्रामीणों ने भी इस कोशिश का हाथों-हाथ स्वागत किया और 40 में से 15 घरों में विद्युत कनेक्शन भी जारी हो चुके हैं। शेष घरों को भी जल्द विद्युत आपूर्ति से जोड़ दिया जाएगा।

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बिरला का जताया आभार 
रात के समय घरों को रोशन होते देख ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी के साथ संतोष भी है। उन्होंने वर्षों पुरानी इस मांग के पूरा होने पर शनिवार को कोटा स्थित कैंप कार्यालय में लोकसभा अध्यक्ष बिरला के प्रति आभार व्यक्त किया। बिरला ने ग्रामीणों से कहा कि अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को दूर करना उनका दायित्व है। ग्रामीणों ने अब लोकसभा अध्यक्ष बिरला से गांव के स्कूल के लिए भवन निर्माण का आग्रह किया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में स्कूल का भवन नहीं है। इस कारण शिक्षक बच्चों को खुले में पढ़ाते हैं। बरसात और सर्दी के दिनों में तो इस कारण काफी परेशानी होती है। बिरला ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि वे इसके लिए प्रयास करेंगे।

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