मोबाइल पर दोस्तों संग खेल रहा था गेम, छठी मंजिल से गिरकर मौत

कोटा। शिक्षानगरी कोटा में गेम खेलते हुए इमारत की छठी मंजिल से गिरकर एक स्टूडेंट की मौत हो गई। छात्र अपने दोस्तों के साथ कमरे की बालकनी में बैठा था। इसी दौरान स्लीपर पहनते समय उसका संतुलन बिगड़ गया।

शिक्षानगरी कोटा में गेम खेलते हुए इमारत की छठी मंजिल से गिरकर एक स्टूडेंट की मौत हो गई। छात्र अपने दोस्तों के साथ कमरे की बालकनी में बैठा था। इसी दौरान स्लीपर पहनते समय उसका संतुलन बिगड़ गया और वह हॉस्टल की छठी मंजिल की बालकनी से नीचे गिर गया। वहीं इस पूरे हादसे का सीसीटीवी भी सामने आया है। मृतक छात्र के शव को पुलिस ने मोर्चेरी में रखवा दिया है। छात्र के परिजनों को घटना की जानकारी दे दी है जिनके कोटा पहुंचने पर छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।

छात्र का बालकनी की खिड़की से बिगड़ा संतुलन
डीएसपी अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि छात्र इंशाशु भट्टाचार्य धुपगुरी, जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल का निवासी था। पिछले साल से जवाहर नगर एक हॉस्टल की छठी मंजिल पर रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। देर रात को छात्र इंशाशु अपने तीन दोस्तों के साथ कमरे की बालकनी में बैठकर गेम खेल रहा था। जिसके बाद सभी दोस्त उठकर कमरे में जाने लगे। इस दौरान छात्र इंशाशु भी उठकर अपनी स्लीपर पहनने लगा। छात्र ने स्लीपर पहनने के लिए खिड़की का सहारा लिया। लेकिन संतुलन बिगड़ने से छात्र खिड़की से नीचे गिर गया। वहीं छात्र को तत्काल निजी अस्पताल ले जाया जहां पर उसने दम तोड़ दिया।

सीसीटीवी सामने आने के बाद हुआ शक दूर
कोटा शहर में कोचिंग छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आने के बाद इस घटना को भी कहीं न कहीं आत्महत्या से जोडकर देखा जा रहा था। लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सीसीटीवी कैमरो को खंगालना शुरू किया तब जाकर पुलिस को मामला पूरी तरह से साफ होता दिखाई दिया। पुलिस का कहना है कि छात्र की मौत हादसा है, जिसको इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं पुलिस अब छात्र के परिजनो का इंतेजार कर रही है। साथ ही अन्य छात्रों से भी छात्र के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है।

दोस्तों का आरोप-निजी अस्पताल में भर्ती करने से किया इनकार
मृतक छात्र इंशाशु के दोस्त अभिषेक का कहना है कि छात्र के बिल्डिंग से नीचे गिरने के बाद उसको तत्काल ही दादाबाड़ी स्थित पारीक अस्पताल लेकर पहुंचे थे और स्ट्रेचर की मदद से छात्र को अंदर ले जाया जा रहा था, लेकिन वहां के स्टाफ ने उसे एडमिट करने से ही मना कर दिया। स्टाफ ने कहा- बच्चे का इलाज यहां नहीं होगा। अगर उसे समय रहते वहां इलाज मिल जाता तो थोड़ी बहुत संभावना उसके बचने की रहती। वहीं अस्पताल के संचालक ने सभी आरोपो से इनकार कर दिया और कहा कि छात्र की हालात काफी गंभीर थी लेकिन अस्पताल में न्यूरो सर्जन की व्यवस्था नहीं होने पर छात्र को हेल्थ इंस्टीट्यूट में रेफर कर दिया गया था।

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