राजस्थान चुनाव 2023ः जादूगर की वो सौगात जिससे रिपीट हो सकती है सरकार

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में होने है। सीएम गहलोत का दावा है कि उनकी सरकार रिपीटी होगी। सीएम इसकी वजह अपने अहम फैसले बताते है। सीएम का कहना है कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर नहीं है। सवाल यही है कि क्या ये अहम फैसले आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार रिपीट करने के लिए वोट खींचने में सहायक होंगे। आइए जानते हैं जादूगर के दावे में कितना दम है?

पुरानी पेंशन बहाली, स्वास्थ्य का अधिकार अधिनियम, EWS आरक्षण में छूट, मुफ्त में इलाज, शहरी रोजगार गांरटी योजना, मुफ्त कोचिंग और सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत एक करोड़ लोगों को पेंशन। ये फैसले गहलोत सरकार को रिपीट करवा सकते हैं। गहलोत सरकार ने EWS आरक्षण में जमीन और मकान के प्रावधान में छूट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला था। इसका फायदा सरकार को चुनाव में मिलने के आसार है। यह वही योजनाएं हैं जिनके दम पर गहलोत सत्ता में वापसी का जादू दिखाने का दम भर रहे हैं।

नहीं होगी रिपीट सरकार! 
हालांकि, भाजापा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कहते रहे है कि प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला है। पेपर लीक की घटनाओं से युवा वर्ग हताश है। इसलिए सरकार रिपीट नहीं होगी। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदलने की रवायत रही है। लेकिन इस बार हालत बदले हुए है। गहलोत सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर नहीं है। लेकिन गहलोत-पायलट की खींचतान का पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हेल्थ का अधिकार संभालेगा सियासी सेहत
गहलोत सरकार मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में 13 जनवरी को स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक सदन में पेश करेगी। पार्टी नेती राहुल गांधी चाहते हैं कि प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार (राइट टू हैल्थ) दिया जाए। इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर कानून बनाया जाएगा। अभी तक देश भर में केवल असम में इस पर कुछ काम हुआ है। पूरी तरह से कानूनी जामा पहना कर बजट अलॅाट करने वाला पहला राज्य राजस्थान बनेगा। सीएम गहलोत ने सीएम गहलोत का फोकस हेल्थ पर हर कार्यकाल में रहता आया है। चिरंजीवी बीमा योजना, मुफ्त दवा व जांच योजना, मोहल्ला क्लिनिक आदि उस अधिकार में शामिल होंगे। प्राइवेट अस्पतालों पर भी लगाम कसी जाएगी।चिरंजीवी योजना की बीमा राशि से प्राइवेट अस्पताल मालामाल हो रहे हैं। इस अधिकार के तहत सरकारी अस्पतालों में ही सभी सुविधाएं जुटाने की कोशिश होगी। तमिलनाडू में भी इस तरह के अधिकार के लिए कानून बनाने पर काम चल रहा है, वहां की सरकार से भी इसकी जानकारी मांगी जा रही है।

मास्टर स्ट्रोकः एससी-एसटी के लिए अलग बजट
सीएम गहलोत ने पिछले बजट में सीएम गहलोत ने एससी-एसटी समुदाय के लिए सम्पूर्ण बजट में अलग से राशि जनसंख्या के हिसाब से आवंटित करने की घोषणा की थी। उसके नियम अब तक नहीं बने हैं। अब इनके नियम अगले 15-20 दिनों में बनाए जाने पर काम चल रहा है। प्रदेश में करीब सवा करोड़ लोग इन समुदायों से आते हैं। प्रदेश की 200 में से 28 विधानसभा सीटें और 25 में से 6 लोकसभा सीटें इन समुदायों के लिए आरक्षित हैं। कुल 33 में से 15 जिलों में पहले, दूसरे और तीसरे नंबर का वोट बैंक भी यही समुदाय है। ऐसे में अगर राजस्थान में यह काम हो सका तो कांग्रेस अपना खोया हुआ वोट बैंक फिर से प्राप्त कर सकती है।

एक करोड़ लोगों को पेंशन
सीएम गहलोत ने संकेत दिए उनका फोकस सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं पर रहेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि गहलोत सरकार आंध्रप्रदेश की तर्ज पर बुजुर्गों को 2 से 10 हजार रुपए तक मासिक पेंशन दे सकती है। सीएम गहलोत आंध्रप्रदेश की तर्ज पर बजट में घोषणा कर सकते हैं। सीएम गहलोत ने गुरुवार में राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में जवाब दिया। सीएम ने कहा कि एक करोड़ लोगों को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन दी जा रही है, जोकि कि देश में कहीं नहीं दी जा रही है। बता दें, सीएम गहलोत कहते रहे हैं कि अमेरिका और ब्रिटेने जैसों देशों में बुजुर्गों को हर सप्ताह भत्ता मिलता है। हमारे देश में मिलना चाहिए। फिलहाल प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत एक करोड़ लोगों को पेंशन दी जा रही है।

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