कोटा कृषि महोत्सवः खेत खलिहानों से जुड़े नवाचार देख दंग रह गए किसान

हाड़ौती भर से पहुंचे किसान और कृषि विद्यार्थी नवाचारों को देखा, कृषि उत्पादों को परखा

Kota. उमंग और उल्लास के प्रतीक कोटा के दशहरा मैदान में कृषि महोत्सव आयोजित किया गया। हाड़ौती में हुए कृषि के अब तक के इस सबसे बड़े आयोजन में भाग लेने के लिए कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के हर कौने से किसान पहुंचे।

कोटा में आयोजित कृषि महोत्सव में कृषि की परम्परागत तकनीक से खेती कर रहे किसानों में आधुनिक खेती से जुड़ने, किसानी की नई तकनीकों को जानने, प्रसंस्करण और वैल्यू एडीशन से अपनी उपज की अधिक कीमत प्राप्त करने की ललक साफ दिखाई दी।

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10 दिन में लें मशरूम की फसल
पीएम नरेंद्र मोदी के पराली की समस्या का समाधान करने के आव्हान के बाद मुजफ्फरपुर बिहार से आए महज 21 वर्ष के आशुतोष और जिज्ञासु ने मशरूम का ऐसा उन्नत बीज तैयार किया जो पराली में बोए जाने दस दिन में फसल देता है। 100 वर्गफीट क्षेत्र में उगाए गए साधारण मशरूम से 10 हजार रूपए जबकि औषधीय उपयोग वाले मशरूम से 20 हजार रूपए प्रति फसल आय ली जा सकती है। इसके बाद पराली और मंदिर में उपयोग किए गए फूलों को मिलाकर उससे बायो सीएनजी बना ली जाती है। इससे भी अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।

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फलों के छिलका से निकाला पानी की कमी का विकल्प
राजसमंद के कृषि इंजीनियर पूरण सिंह राजपूत ने फलों के छिलकों से ऐसा जैल तैयार किया है जो अपने भार से सौ गुना पानी को सोखकर उसे धीमे-धीमे रिलीज करता है। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। यह उन क्षेत्रों में काफी कारगर है जहां पानी की कमी है। एक एकड़ में 1500 रूपए का 5 किलो एक बैग जैल काम आता है। इसको उपयोग करने से किसान को फसल को दो से तीन बार कम पानी पिलाना पड़ता है। इससे उसके श्रम और खर्च दोनों में कमी आती है।

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वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा का खोजा समाधान
वन्यजीवों से फसलों के बचाव का समाधान तलाशने वाले महाराष्ट्र के अहमद नगर बेस्ड स्टार्टअप पेस्टॉमेटिक कन्ट्रोल्स के प्रति भी किसानों का रूझान देखने को मिला। फाउंडर अविनाश ने बताया कि देश के कई क्षेत्रों में नील गाय व अन्य वन्यजीवों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचने की समस्या से किसान परेशान रहते हैं। इसके लिए उन्होंने विशेष वाइल्ड एनिमल रेपलेन्ट तैयार किए हैं, जिन्हे पानी में मिलाकर खेतों की मेढ़ के आसपास छिड़काव से वन्यजीव खेतों में नहीं आते हैं। उनके उत्पाद पशुओं को बिना कोई हानि पहुंचाए फसलों की सुरक्षा के लिए तो कारगर है ही साथ ही खेत में किसानों को सांप-बिच्छू आदि खतरनाक वन्यजीवों से सुरक्षित रखते हैं।

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खेतों से सीधे घरों तक पहुंचा रहे अनाज
किसानों को मंडी के अतिरिक्त भी स्वतंत्र बाजार उपलब्ध करवाने और एग्रो टूरिज्म को प्रोत्साहन की सोच के साथ हनुमानगढ़ निवासी परीक्षित ने किसान ट्रीट की शुरूआत की है। उन्होंने बताया कि कोविड के बाद लोगों में ऑर्गेनिक फूड के प्रति रूचि बढ़ी है। वे किसानों के माध्यम से सीधे लोगों तक उनकी पसंद का अनाज पहुंचा रहे हैं। एप के माध्यम से ऑर्डर सीधे किसानों तक पहुंच जाता है। वर्तमान में 12 हजार से अधिक किसान उनके स्टार्टअप से जुड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त खेती को पर्यटन से जोड़ने व एप से जुड़े कन्ज्यूमर को सीधे किसानों से कनेक्ट करवाया जाता है ताकि वे अनाज के खेतों से उनकी थाली तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया खुद अनुभूति कर पाएं।

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फसल को मंडी तक ले जाने की टेंशन दूर
उपज के बाद फसल को मंडी ले जाकर बेचने की परेशानी को दूर करने वाली एप भी कृषि महोत्सव में आई है। अपना गोदाम नाम की इस एप पर जब किसान फसल बेचने की मंशा जताता है तो यह सूचना इच्छुक खरीदारों तक पहुंचती है। यह एप फिर खेत से खरीदार के भण्डार तक का वाहन भाड़ा, टैक्स और एप का कमीशन काट कर किसान को मिलने वाली रकम बता देती है। किसान की सहमति जताने पर पहले पैसा उसके खाते में आता है उसके बाद खरीदार खेत से फसल का उठाव करता है। यह एप किसानों को भण्डारण तथा भण्डार में रखे गए अनाज पर बैंकों से ऋण प्राप्त करने की सुविधा भी देती है।

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किसान बोलेः जो यहां देखा, पहले कभी नहीं सुना
कोटा। कृषि महोत्सव में भाग लेेने आए किसानों को यहां बहुत कुछ नया देखने को मिला। किसानों ने कहा कि यहां स्टार्टअप्स ने जो उत्पाद और सेवाएं प्रदर्शित की हैं, उनके बारे में कभी नहीं सुना। उन्हें यहां उत्पाद बनाने के नए आइडिया भी मिले।

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