कोरोना के बाद राजस्थान पर एक ओर महामारी का हमला, छिन जाती है आंखों की रोशनी

राजस्थान में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, अब हर मामले और मौत का रखा जाएगा रिकॉर्ड

-मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में होगा इस महामारी का मुफ्त इलाज

जयपुर. कोरोना महामारी के बाद राजस्थान पर एक ओर महामारी ने हमला कर दिया है। यह महामारी तेजी से पैर पसार रही है। चंद दिनों में ही प्रदेश में 400 मरीज सामने आ चुके हैं। यह बीमारी आंख-नाक और मुंह पर अटैक करती है। आंखों की रोशनी तक चली जाती है और चेहरा तक बिगाड़ देती है। दरअसल, बात ब्लैक फंगस की हो रही है। राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। साथ ही इसे हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में शामिल किया गया है। योजना के तहत इस बीमारी का मुफ्त में इलाज हो सकेगा। अब तक इस बीमारी से 2 लोगों की मौत हो चुकी है और 80 लोगों में गंभीर लक्षण दिखे हैं।

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तेजी से फैल रहा ब्लैक फंगस
राजस्थान में ब्लैक फंगस महामारी तेजी से फैल रही है। हैरानी की बात यह है कि इस बीमारी की चपेट में अधिकतर कोरोना से ठीक हुए लोग आ रहे हैं। जयपुर, जोधपुर के अलावा सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर, कोटा सहित अन्य जिलों में भी ब्लैक फंगस पांव पसार रहा है। इस बीमारी को महामारी घोषित करने के पीछे सरकार का तर्क कि अब इस बीमारी की प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग हो सकेगी, साथ ही इलाज को लेकर भी गंभीरता बरती जा सकेगी।

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राजस्थान में आए 400 केस
राजस्थान में जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर सहित कई जिलों में ब्लैक फंगस के करीब 400 मामले सामने आ चुके हैं। अकेले जयपुर के एसएमएस अस्पताल में 45 से अधिक मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में 33 बेड का वार्ड फुल होने के बाद अलग से नया वार्ड बनाया गया है। जबकि, जयपुर के निजी अस्पतालों में अब तक इस बीमारी के 70 से ज्यादा केस आ चुके हैं। वहीं, जोधपुर में एम्स और मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। बीकानेर में भी 30 से ज्यादा मामले आ चुके हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों में इस बीमारी के 100 ही मामले दर्ज हैं। इसके पीछे कारण है कि अब तक इस बीमारी को नोटिफाइड डिजीज घोषित नहीं किया गया था। इसलिए सरकार के पास इसके आंकड़े नहीं हैं। अब सरकार ने हरियाणा सरकार की तर्ज पर इसे भी नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया है।

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क्या होता है ब्लैक फंगस और क्यों होता है
कोरोना पीडि़तों में कोरोना संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए स्टेरॉयड दिया जाता है। इससे मरीज की इम्यूनिटी कम हो जाती है। जिससे मरीज में ब्लड शुगर का लेवल अचानक बढऩे लगता है। इसका साइड इफेक्ट म्यूकोरमाइकोसिस के रूप में झेलना पड़ रहा है। प्रारम्भिक तौर पर इस बीमारी में नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है व सुन्न हो जाती है। चेहरे व तलवे की त्वचा भी सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आती है। दांत ढीले पडऩे लगते हैं। इस बीमारी में आंख की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इससे अधिकांश मरीजों में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसके अलावा ये फंगस जबड़े को खराब कर देता है।

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शरीर में कैसे पहुंचता है ब्लैक फंगस
सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस हमारे शरीर में पहुंचते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से में कोई घाव हो तो वहां से भी ये इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। यदि शुरुआती दौर में इसकी पहचान नहीं की गई, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। आखों की रोशनी तक जा सकती है।

ये हैं फंगस के लक्षण
शरीर में अगर इंफेक्शन हैं तो चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना ये फंगस के प्रमुख लक्षण हैं।

2500 वायल खरीदेगी गहलोत सरकार
इस फंगस व इन्फेक्शन को रोकने के लिए एकमात्र इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी आता है, जिसकी उपलब्धता बाजार में न के बराबर है। पीडि़त मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए भटकते रहते हैं। मरीजों की तकलीफों को देखते हुए सरकार ने इस इंजेक्शन की मांग केन्द्र सरकार से की है। साथ ही गहलोत सरकार ने 2500 वायल (शीशी) खरीदने के सीरम कंपनी को ऑर्डर भी दिया है।

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