‘माँ’ तो ‘माँ’ होती है…

‘माँ’ कितना छोटा सा शब्द है ना, लेकिन पूरी दुनिया इस छोटे से शब्द में समाई हुई है। जिसका नाम हर पल हमारे मुंह पर होता है। सुबह उठने से लेकर, रात को सोने तक सिर्फ माँ, माँ,माँ…, चाहे हम हसे या कोई परेशानी में हो, चाहे जीवन में कोई भी सफलता हो या कोई छोटी सी चोट ही क्यों ना लगे सबसे पहले माँ ही निकलता है।

माँ बोलने में ही कितना सुकून मिलता है।
कई चीजें जिनको सिर्फ महसूस करना ही मन को सुकून दे जाता है फिर माँ तो हर परेशानी का इलाज है।
बचपन में जब हमने जन्म लिया तो सबसे पहले माँ को ही देखा माँ बोलना ही सीखा…।

माँ के ऊपर कुछ लाईने-
कि क्रोध में भी उसके होठों पर मुस्कान रहती है…
गुस्से में भी वो प्यार करती है…
हरदम होठों पे जिसके दुआ रहती है…
ऐसा करने वाली सिर्फ माँ होती है…

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में सिर्फ अपनी माँ के बारे में ही नहीं लिख रही यह दुनिया की हर माँ के लिए है,  माँ तो सबकी एक जैसी होती है, क्योंकि माँ तो माँ होती है।

कितनी भोली होती है ना माँ…
माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाती है। एक बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका पहला गुरु और आदर्श उसकी माँ होती है और एक लड़की के लिए तो माँ ही सब कुछ होती है माँ ही उसको सब चीजें सिखाती है माँ ही एक बेटी को उसके हर बुरे समय में लड़ना सिखाती है। जीवन में केसे रहना है, क्या पहनना है…सब कुछ।

आज हम जो भी है माँ-पापा की बदौलत है।
हालांकि किसी भी बच्चे के जीवन में उसका परिवार, भाई बहन, दादा-दादी, समाज कोई ना कोई कुछ ना कुछ सीखाता है लेकिन जो माँ सिखाती है वो कोई नहीं सीखा सकता…क्योंकि माँ की हर चीज में ममता होती है। माँ का स्थान इस धरती पर ही नहीं पूरे ब्रह्मांड में सर्वोपरी है।

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दुनिया में सभी अपना प्रेम दिखाते है…
पर कोई बिना दिखाए भी इतना प्रेम करे वो केवल माँ होती है और माँ के बाद पापा
सबसे पहले इस पूरे  ब्रह्मांड में एक औरत का जन्म हुआ उसके बाद वह माँ बनी। माँ के तो कई रूप है, माँ को हम प्यार से कई नामो से भी बुलाते है… माँ, जगत जननी, माँ काली, माँ शेरावाली, दुर्गा मां…जीवन दायनी। इतने नाम होने के बाद भी माँ एक ही है।
जिसके भी जीवन में माँ होती है वह हमेशा खुश रहता है। हमेशा माँ को प्यार करना ही हमारा सबसे बड़ा कर्म है। मेरी माँ जो मेरी हर बात को समझती है चाहे में कुछ कहूं या ना कहूं। जीवन में कोई साथ रहे या ना रहे माँ हमेशा साथ रहती है। कभी अपने बच्चे को अकेला नहीं छोड़ती।

तुम क्या सिखाओगे मुझे प्यार करने का तरीका…
मेरी माँ को मैने अपने लिए जीते देखा है।

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माँ जीवन का सबसे अनमोल उपहार है जिसका स्थान दुनिया मे कोई नहीं ले सकता। माँ का कोई दिन नहीं होता, हर दिन ही माँ से होता है।

दुनिया की हर माँ सलामत रहे…
उन्हें जीवन की हर खुशी मिले।

लेखक: कीर्ति शर्मा
छात्राध्यापिका अमृतम टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बारां

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