पहले लड़की भगाई, फिर समझौते के लिए बुलाया और आधी रात में कर डाली तीन लोगों की हत्या 

शनिवार देर रात खातौली थाना क्षेत्र में हुआ तिहरा हत्याकांड

कोटा. पहले लड़की भगाई, फिर लड़की वालों को समझौते के लिए बुलाया और उनसे साथ रात में जमकर शराब पी, खाना खाया लेकिन, जैसे ही बात सुलह समझौते की आई लड़के वालों ने तीन लोगों की धारदार हथियारों से निर्मम हत्या कर डाली। वारदात कोटा जिले के खातौली थाना क्षेत्र के बालुपा गांव की है। जहां शनिवार देर रात तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया। हत्यारोपी फिलहाल फरार हैं।

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लड़के वालों ने ही बुलाया था 
खातौली पुलिस के मुताबिक बालुपा गांव निवासी बालू नाम का युवक कुछ दिन पहले बूंदी जिले के दबलाना कस्बा निवासी श्योजी लाल की बेटी को भगा कर ले आया था। श्योजी लाल ने मामला मोया जाति की पंचायत में रखा। जहां तय हुआ कि बालू और उसके परिजनों से बात की जाए। लड़के वाले भी इसके लिए राजी हो गए तो शनिवार को  श्योजीलाल अपने परिचित मुकेश व गोपाल के साथ बातचीत करने के लिए शनिवार सुबह बालुपा आ गए। दिन भर बातचीत के बाद मामला सुलह की ओर बढ़ाने लगा तो लड़के वालों ने लड़की वालों के लिए खेतों पर शराब पार्टी रखी। जिसमें दोनों पक्षों ने जमकर शराब पी और खाना खाया, लेकिन अचानक किसी बात को लेकर विवाद हो गया और बालू के परिजनों हंसराज आदि ने बातचीत करने आए लड़की वालों पर कुल्हाड़ी जैसे धारदार हथियारों से हमला कर दिया। जिसमें श्योजीलाल, मुकेश व गोपाल की मौके पर ही मौत हो गई।

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पुलिस पहुंची तब हत्याकांड का पता चला 
बालुपा गांव के लोगों को तिहरे हत्याकांड का पता तब चला जब मौके पर खातौली पुलिस पहुंची। हत्या गांव के बाहर हुई थी। जिसकी गांव वालों को भनक तक नहीं लगी। हत्यारे वारदात को अंजाम देकर भाग गए, लेकिन खेतों से आ रहे कुछ लोगों ने खून से लथपथ लोगों को देखा तो पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही शनिवार देर रात पुलिस मौके पर पहुंच गई। हालात यह थे कि एक शव चारपाई पर पड़ा था, जबकि दो शव जमीन पर थे। आसपास खून बिखरा हुआ था, जो पूरी तरह से सुख चुका था।

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नाता प्रथा बनी हत्या का कारण 
मोग्या जाति के ज्यादातर लोग खेतों में रखवाली का काम करते है। ये खानाबदोश एक जगह टिककर नहीं रहते। मोग्या जाति के लोग जंगल मे कहीं भी सो जाते हैं। मोग्या जाति में ‘नाता प्रथा’ का काफी चलन है। पैसा लेकर नाता विवाद को सुलझाया जाता है। शनिवार देर रात हुआ हत्याकांड भी इसी प्रथा की वजह से हुआ।

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