बाड़ाबंदी में कोटा महापौर की कुर्सी: उत्तर हाथ में, दक्षिण घात में….
कोटा. कोटा उत्तर की सत्ता तो सीधे कांग्रेस के हाथ में चली गई, लेकिन दक्षिण का किला फतेह करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अब निर्दलीयों पर घात लगाए बैठे हैं। हालांकि दोनों दलों को भीतरघात का भी खासा खौफ सता रहा है। इसीलिए भाजपा के पार्षदों की उज्जैन और कांग्रेस के पार्षदों की जयपुर में बाड़ाबंदी की गई है।
दक्षिण पर दांव
भाजपा से तीन गुना ज्यादा पार्षद जिताकर कांग्रेस ने कोटा उत्तर नगर निगम की सत्ता तो हाथ में ले ली, लेकिन दक्षिण में मिली कांटे की टक्कर ने जीत का जश्न फीका कर दिया। कांग्रेस अब चार निर्दलीय पार्षदों के दम पर दक्षिण का किला फतेह करने की कोशिश में जुटी है, लेकिन भाजपा के कद्दावर उम्मीदवार और तीसरी बार पार्षद बने विवेक राजवंशी के आगे उसे च्घातज् का डर भी सता रहा है। ऐसे में राजवंशी को कांटे की टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने राजीव अग्रवाल पर दांव खेला है।
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कोटा उत्तर में बैरवा भाजपा का चेहरा
कोटा उत्तर की 70 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी महज 14 सीटें ही जीत सकी। जबकि कांग्रेस ने 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। इस नगर निगम के लिए कांग्रेस ने पार्टी की जिला कमेटी की सदस्य रहीं मंजू मेहरा पर भरोसा जताया है। उन्होंने गुरुवार दोपहर को अपना नामांकन दाखिल किया। हालांकि बहुमत की बात तो छोडिए तिहाई से भी कम पार्षद होने के बावजूद भाजपा ने कोटा उत्तर में महापौर के पद पर प्रत्याशी उतारा है। भाजपा की संतोष बैरवा ने भी गुरुवार को नामांकन दाखिल कराया।
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प्रदेश नेतृत्व को तय करने पड़े नाम
अपने खास पार्षद को कोटा उत्तर और दक्षिण का महापौर बनाने के लिए कांग्रेस के सभी गुट जोर लगा रहे थे। जिसके चलते बुधवार को प्रत्याशियों के नाम की घोषणा तक नहीं हो सकी। आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को खुद उत्तर से मंजू मेहरा और दक्षिण से राजीव अग्रवाल के नाम की घोषणा करनी पड़ी। हालांकि, कांग्रेस को दोनों प्रत्याशी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं।