पाली की पॉवर पॉलिटिक्सः राजस्थान का वो जिला जिसने देश को दिए एक साथ पांच सांसद
हिंदुस्तान की सियासत में बुलंद हुआ पाली का परचम, मोदी की कैबिनेट को दिए दो मंत्री
- पाली के तीन बाशिंदे राज्य सभा तो दो लोकसभा में कर रहे हैं देश की दो बड़ी पार्टियों भाजपा कांग्रेस का प्रतिनिधित्व
- राजस्थान ही नहीं छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश तक को पाली ने दिया सियासी नेतृत्व, भाजपा को दिए सबसे ज्यादा 4 सांसद
TISMedia@Pali राजस्थान के ठेठ मारवाड़ में बसा पाली जिला हिंदुस्तान की सियासत का सबसे ताकतवर जिला बनकर उभरा है। यह पहली मर्तबा है जब एक ही जिले ने भारतीय संसद को एक साथ पांच सांसद दिए हैं। इससे भी अनूठा रिकॉर्ड यह है कि सिर्फ निचले सदन यानि लोकसभा ही नहीं उच्च सदन यानि राज्यसभा में भी पाली जिले का नाम रोशन कर रहे हैं।
हिंदुस्तानी सियासत की बात करें तो अभी तक सिर्फ उत्तर प्रदेश के गांव सैफई का ही जलवा सबसे बुलंद माना जाता था। करीब 8 हजार लोगों की आबादी वाले इस वीवीआईपी गांव की ख़ासियत ये है कि जितने जन प्रतिनिधि एक साथ इस गांव ने दिए या यूं कहें कि इस गांव में रहने वाले एक परिवार ने दिए उतने शायद ही दुनिया के किसी और गांव या परिवार में होंगे। दो-दो मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री, आठ सासंद, तीन विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर प्रधान तक के पदों की लंबी फेरहिस्त है। जो सैफई या यूं कहें मुलायम सिंह यादव के परिवार से होकर गुजरती है।
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अब बारी पाली की
समाजवाद के बाद परिवार में बिखराव का शिकार हुई सैफई का वर्चस्व कमजोर पड़ा तो हिंदुस्तानी सियासत के सबसे करामाती जिलों में अचानक पाली का शुमार होने लगा। हालांकि, यहां न तो सैफई जैसा परिवारवाद है और ना ही मुलायम सिंह की तरह किसी एक सियासी खानदान का वर्चस्व। राजस्थान के ठेठ मारवाड़ में बसा यह जिला सैफई के बाद अब देश का दूसरा ऐसा जिला बन गया है जिसके पांच बाशिंदे एक साथ भारतीय लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद तक पहुंचे हैं। इनमें से दो लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद हैं। इनमें चार भाजपा तथा एक कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। बड़ी बात यह है कि एक नहीं बल्कि दो सांसद मोदी सरकार का हिस्सा तक रहे हैं।
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अश्विनी वैष्णव, केन्द्रीय रेल, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री
मूल रूप से पाली जिले के जीवंदकला गांव के बाशिंदे अश्विनी वैष्णव ने जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई और उसके बाद आईआईटी कानपुर से एमटेक की पढ़ाई की। साल 1994 में आएएस बनने के बाद उन्हें ओडीसा कैडर मिला। जहां कई जिलों का कलक्टर रहने के बास साल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव की जिम्मेदारी संभाली। सिविल सेवा से सेवानिवृत होने के बास साल 2019 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया। मोदी सरकार 2.0 के पहले बदलाव में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री बनाया गया है।
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पी. पी. चौधरी, सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री
पेशे से अधिवक्ता पी पी चौधरी मूलरूप से जोधपुर जिले के भावी गांव के बांशिदे हैं और पाली लोकसभा से दूसरी बार सांसद चुने गए है। साल 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में 5 जुलाई 2016 से लेकर 3 सितम्बर 2017 तक कानून और न्याय मंत्रालय के साथ साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 3 सितंबर 2017 को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय हटाकर कानून मंत्रालय के साथ कॉरपोरेट मंत्रालय सौंप दिया गया। साल 2019 के लोकसभा चुनावों में दोबारा पाली से जीते बने, लेकिन मोदी कैबिनेट में फिर से जगह नहीं बना सके।
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ओम माथुर, सियासत का सबसे मंझा खिलाड़ी
बाली के पास बेडल गांव में 2 जनवरी 1952 को जन्मे ओम माथुर ने 20 साल का होते ही गृहस्थ जीवन त्याग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का दामन थाम लिया। साल 1972 में उनका सियासी सफर बतौर संघ प्रचारक शुरू हुआ। इसके बाद 1990 से लेकर 2002 तक यानि पूरे 12 साल तक उन्होंने राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रदेश संगठन मंत्री का दायित्व संभाला। साल 2005 में उन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर दिल्ली भेज दिया, लेकिन तीन साल बाद ही उन्हें राजस्थान में पार्टी की कमान सौंप दी गई। हालांकि वसुंधरा राजे से तनातनी के चलते महज सवा साल बाद ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा, लेकिन इसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश में बतौर प्रभारी भाजपा को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। बतौर संगठन न सिर्फ यूपी बीजेपी को मजबूत किया, बल्कि सत्ता तक में धमाकेदार वापसी करवाई। ओम प्रकाश माथुर को पहली बार भाजपा ने राजस्थान से साल 2008 में राज्य सभा भेजा था। जबकि साल 2016 में उन्हें उत्तर प्रदेश से दूसरी बार राज्य सभा सांसद चुना गया। माथुर को पीएम मोदी का बेहद करीबी माना जाता है।
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नीरज डांगी, सासंद राज्य सभा
डांगी वर्तमान में राज्यसभा सदस्य है। वे पाली जिले में देसूरी के निवासी हैं। वे कांग्रेस के नेता है और संगठन में प्रदेश महासचिव समेत कई पदों पर रहे हैं। इनके पिता दिनेश डांगी भी प्रदेश की सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं। पैत्तृक गांव से उनका पूरा जुड़ाव रहता है।
सुनील सोनी, सांसद, रायपुर-छत्तीसगढ़
सोनी वर्तमान में रायपुर से लोकसभा सदस्य है। वे सोजत उपखण्ड के बगड़ी गांव के मूलनिवासी है। इनके पिता ने व्यापार के सिलसिले में छत्तीसगढ़ को अपनी कर्मस्थली बना लिया। सांसद सोनी कई बार अपने गांव आए हैं। यहां से उनका पूरा जुड़ाव भी है। वे पहली बार सांसद चुने गए। रायपुर काउंसिल के मेयर भी रहे।