Story By Amarkant
-
Art and Literature
गले की जंजीर… आज की कहानी
~अमरकांत मुझे ख़ूब अच्छी तरह याद है कि रात को जंजीर पहनकर सोया था, लेकिन सबेरे उठकर देखा कि वह…
Read More » -
Art and Literature
डिप्टी-कलक्टरी… आज की कहानी
~अमरकांत शकलदीप बाबू कहीं एक घंटे बाद वापस लौटे। घर में प्रवेश करने के पूर्व उन्होंने ओसारे के कमरे में…
Read More » -
Art and Literature
बहादुर… आज की कहानी
~अमरकांत सहसा मैं काफी गंभीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ…
Read More »