आखिर क्यों किसान ने बसने से पहले ही उजाड़ दिया 6 बीघा संतरे का बाग, पढि़ए, सपने और गुस्से का कनेक्शन
कोटा. सरकारी योजनाओं में लक्ष्य पूरे करने के लिए सरकारी महकमों के अधिकारी लोगों को योजनाओं से जोड़कर कागजों में लक्ष्य तो पूरे कर लेते हैं लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत होती है। बाद में न लाभार्थियों की सुध ली जाती है और न हीं लाभार्थी द्वारा किए गए नवाचार की। ऐसा ही मामला क्षेत्र के रोलाना गांव में भी सामने आया। सांगोद पंचायत समिति के रोलाना गांव में एक किसान ने उद्यान एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की पहल के बाद नवाचार करते हुए अपने खेत में संतरे का बगीचा लगा लिया,लेकिन न संतरे आए और न ही किसान को आमदनी हुई। उल्टा सारे पौधें रोग की चपेट में आ गए। अधिकारियों ने भी किसान की व्यथा नहीं सुनी तो थकहार कर किसान ने बगीचा ही उजाड़ दिया और सारे संतरे के पेड़ उखड़वा दिए।
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रोलाना निवासी किसान चेनसिंह ने बताया कि छह साल पूर्व अधिकारियों ने किसानों को नवाचार के तहत संतरे के बगीचे लगाने की सलाह दी। योजना के लक्ष्य पूर्ण करने के लिए किसानों को इसके फायदे और मुनाफा समझाकर किसानों से बगीचे लगवा लिए। बाद में अधिकारियों ने किसानों की कोई सुध नहीं ली। चेनसिंह ने भी अपने छह बीघा खेत में संतरे का बगीचा लगाया लेकिन इन छह साल में छह पौधों से भी संतरे नहीं मिले। पौधें में फूल आने के बाद नष्ठ होने से संतरे आना तो दूर पौधें भी मुरझाने लगे।
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अधिकारियों के काटे चक्कर
किसान चेनसिंह का आरोप है कि अधिकारियों के कहने पर खेत में संतरे के पौधें लगा लिए। पौधों में रोग लग गए, जब इसकी शिकायत अधिकारियों से की तो किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। पौधों के बड़े होने के बाद बीते चार साल में दर्जनों बार अधिकारियों के चक्कर काटे लेकिन किसी ने पौधों को देखने आने तक की जहमत नहीं उठाई। चेनसिंह ने बताया कि संतरे का बगीचा लगाने के लिए छह बीघा खेत बिगड़ गया और बूंद-बूंद सिंचाई एवं ड्रिप सिंचाई में भी लाखों रुपए खर्च हो गए।
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किसान का आरोप निराधार
उद्यान विभाग के अधिकारी राजवीर सिंह ने बताया कि किसान का आरोप निराधार है। किसानों को समय-समय पर जानकारी दी जाती है। किसान ने यदि बगीचा उजाड़ दिया है तो मौका देखकर कार्रवाई की जाएगी। किसान को जो अनुदान दिया है उसकी वसूली भी हो सकती है।