कोरोना से लड़ेगा इंडिया जीतेगा इंडिया: आओ मिलकर बेहतर जहान बनाएं
कोरोना हमारे रहने सोचने और विचार करने के तरीके में बदलाव ला रहा है। यह लगातार सजग और सतर्क रहने के साथ आत्मसंयम की मांग करता है। कोरोना ने हम सबको एक नये आचार शास्त्र में लेकर आया है। कोरोना के साथ चलते हुए कोरोना के अनुरूप व्यवहार करना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि आप कोरोना समय में रहते हुए कोरोना से परे जाकर व्यवहार करें। अब समय आ गया है कि हमें अपने आसपास की दुनिया को साफ सुथरा रखने के लिए लगातार आगे आना चाहिए। इस एक वाइरस ने पूरी मानव जाति को सावधान कर दिया है कि तुम अपने आसपास के वातावरण को साफ सुथरा रखने में मदद करों। हर समय साफ सुथरा रहने के लिए तत्पर रहो। सफाई इस समय का सबसे बड़ा उपकरण है। मनुष्य को बचाने के लिए इसी तरह सोचना और कर्म रूप में अपने व्यवहार को ढ़ालना होगा। कोरोना है और हां है इसमें कोई शक नहीं की कोरोना है और कोरोना का खौफ भी लोगों में है पर यह काफी नहीं है।
कोरोना की मार
हमारी जीवनशैली जीने की आदतों और हम कैसे व्यवहार करते हैं इस पर बहुत कुछ निर्भर करता। साहस के साथ कोरोना समय में रहने की जरूरत है। अपना मानसिक स्तर लगातार मजबूत रखने और निरंतर अपडेट रहते हुए समय संसार को देखने की जरूरत है। मानव जाति ने इस पृथ्वी पर एक से एक भयानक दृश्य देखे हैं दुनिया के किसी ने किसी कोने में एक त्रासदी चलती रहती है एक सुनामी आती है और दूसरी जाती है। इन सब के बावजूद मनुष्य निरापद बचा रह जाता है।
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आज दहलीज पर एक नन्ही चिड़िया / सुंदर सी चिड़िया आई और कह गई कि देखो न मैं हूं। मुझे किसी कोरोना से भय नहीं लगता। फिर तुम तो मनुष्य हो… उनमें भी सबसे ज्यादा पढ़े लिखे – फिर इतने डरे , परेशान , हैरान क्यों रहते हो ? कोरोना आया है तो चला जायेगा। उसका जो काम है वह करेगा तुम्हें तो वह करना है जो तुम्हारा काम है। कोरोना की चिंता मत करो जो तुम्हें करना है वह करों। देखो फिर कैसे टिकता है कोरोना। भाग छुटेगा। कोरोना का हाहाकार मत मचाओ। डरों मत न किसी को कोरोना से डराओ। कोरोना से बचाव का सबसे बढ़िया तरीका है कि तुम अपने आसपास का वातावरण साफ रखो। मन से शरीर से साफ – सुथरा रहो। एक दूसरे से दूरी बनाकर रहो। इस तरह रहो की कोरोना टिके ही नहीं। कोरोना पृथ्वी पर घूम रहा है फिर आप इतने बेफिक्र होकर क्यों घूम रहे हैं।
थोड़ा अपने लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं। अब वह समय आ गया है जब आपका सही कदम परिवार समाज और देश को बचाने में मदद करेगा। कोरोना की जीवित दुनिया को कोई दूर करेगा तो तुम्हारी सजगता व सतर्कता। यहीं बचायेगी कोरोना से…. इसलिए चलते हुए कुछ जरूरी बातें अपने आचरण का हिस्सा बनाते हुए चलें –
- अनावश्यक घर से बाहर कदम नहीं रखें फिर भी जाना पड़े तो मास्क लगाकर ही निकलें, समय समय पर हाथ धोते रहें तथा सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते रहें।
- स्वयं सकारात्मक होते हुए आसपास सकारात्मक भाव का परिसर बनाते चलें। आपके पास देने के लिए कुछ हो न हो पर सकारात्मकता तो है, यहीं दीजिए यह सबसे बड़ी मानव सेवा होगी कि आपके सामने जो आया वह खुश होकर हंसते हुए जा रहा है। किसी को दुख देने की जगह किसी के खुशी का कारक बनकर देखिए। दुनिया बदली हुई दिखेंगी।
- सुबह – सुबह ध्यान, प्राणायाम, व योग आदि क्रियाएं खुले में छत पर करें। यह आपकी आंतरिक मजबूती का आधार है। सुबह के धुप का सेवन करें। गर्म पानी पीते रहे।
- कोरोना एक महामारी है, इससे बचाव के लिए दिये गये दिशा निर्देशों, गाइडलाइंस का पालन करें।
- कोरोना किसी को देखता नहीं कि कौन है? क्या उसका प्रभाव है? किसी को भी हो सकता है। जो इस वाइरस के संपर्क में आया उसे कोरोना हो गया। कोरोना को लेकर कोई पहचान अलग से काम नहीं आती।
- कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करें। खुद करें और अपने आसपास, समाज को अधिक से अधिक पालन करने के लिए प्रेरित करें।
- खांसते झींकते समय रुमाल या टिशु पेपर का प्रयोग करें। इधर – उधर थुके नहीं।
- आत्मसंयम व दृढ़ता से ही कोरोना से बचाव कर सकते हैं।
- कोरोना वैक्सीन आ चुकी है। इसके बारे में बिना किसी भ्रम, अपने पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रथम और द्वितीय डोज लगवा लें।
- कोरोना समय में कोरोना के अनुरूप व्यवहार कर आप सामाजिक होने और जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज पूरा कर रहे हैं।
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कोरोना समय मानव समाज को समझने और उत्पन चुनौती से जूझने के लिए एक समय संसार बनाते रहने का समय है । इस भयावह समय ने बताया कि हमें कैसे रहना चाहिए, किस तरह अपने को संयोजित करना चाहिए। एक बार यदि आप इस तरह रहना सीख लें यह जान समझ लें कि क्या करना है कैसे रहना है? फिर कुछ भी मुश्किल नहीं। आपदाएं आती रही हैं और आती रहेगी। इसे सहज भाव से स्वीकार करने की जरूरत है। कोरोना ने यह सीखाया है कि अपने आप का रोना छोड़िए। इस संसार के लिए क्या कुछ कर सकते हैं वह करें। इस संसार को बेहतर बनाने में हमारा क्या योग होगा यह देखिए। कोरोना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उसकी उपस्थिति पर उसके अहं पर पंचर लगाने के लिए एक वाइरस ही काफी है। महल / बंगला आगे-पीछे लोग सब धरा रह जाएगा। इसलिए अपने अहं के घेरे से बाहर निकल कर आसपास के लोगों के लिए कुछ न कुछ करते रहिए। दुनिया को अपनी उपस्थिति से रहने लायक और सुंदर बनाइये।
लेखक – डॉ. विवेक कुमार मिश्रा