हर देश की अपनी संप्रभुता है जिसका अन्य देशों को सम्मान करना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष

पी-20 शिखर सम्मेलन में बोले बिरलाः सभी संसदों को मिलकर विश्व कल्याण के लिए प्रयास करने होंगे

TISMedia@NewDelhi हर देश की अपनी संप्रभुता है जिसका अन्य देशों को सम्मान करना चाहिए। किसी भी देश को अपनी संसद में अन्य देशों के आंतरिक मामलों को उठाने की इजाजत तब तक नहीं देनी चाहिए, जब तक कि वह मामले उस देश के हितों को प्रभावित नहीं करते हों। जी 20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी 20) में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात गुरुवार को यूनाइटेड किंगडम के हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष सर लिंडसे होयले के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कही। इस अवसर पर  दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों संसदों के सदस्य संसदीय राजनय के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान करें और यह जानने का प्रयास करें कि जनता के हित में लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कैसे मजबूत किया जा सकता है।

इससे पहले बिरला ने गुरुवार को जी 20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन पी 20 के पहले सत्र में “महामारी से उत्पन्न सामाजिक और रोज़गार संकट का सामना करने हेतु कार्यवाही” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर बोलते हुए, बिरला ने कहा कि वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए हमें पूरी दुनिया को एक कुटुंब मानते हुए एक समन्वित रणनीति तैयार करनी होगी और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सभी संसदों को एक साथ मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें ऐसी विकास नीतियाँ तैयार करनी चाहिए जिससे समाज के सभी वर्गों का कल्याण हो । उन्होंने यह भी कहा कि इन विकास नीतियों के बारे में बहुपक्षीय मंचों पर व्यापक रूप से विचार विमर्श और चर्चा होनी चाहिए ताकि सामाजिक और आर्थिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित उपयुक्त और साझा वैश्विक रोडमैप तैयार किया जा सके ।

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कोरोना से ऐसे लड़ा भारत
महामारी के प्रभाव के बारे में बताते हुए बिरला ने कहा कि कोविड-19 से भारत की अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस महामारी का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए, भारत में जीवन और आजीविका – दोनों को बचाने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। बिरला ने बताया कि जब महामारी चरम पर थी, ऐसे समय में भी भारत की संसद ने अपने लोकतांत्रिक दायित्वों का निर्वहन किया और रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही देशवासियों के लिए मजदूरी सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चार ऐतिहासिक श्रम कानूनों सहित कई कानून पारित किए। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने पर विशेष जोर दिया और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 420 बिलियन डॉलर का विशेष पैकेज जारी किया गया है।

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प्रशासनिक-आर्थिक सुधारों की दी जानकारी 
हमारा उद्देश्य एक ऐसे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है जो न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी बनेगा। बिरला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का और विस्तार किया गया है और हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में 15 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। इसके अलावा, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को सशक्त करने के लिए, चालू वर्ष के दौरान इस क्षेत्र के लिए 15,700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उन्होंने भारत में सुशासन और पारदर्शिता की नीति के बारे में बात करते हुए यह जानकारी दी कि भारत अब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में शीर्ष 100 देशों में आ गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शीघ्र ही भारत ऐसा प्रमुख देश बन जाएगा जहां अधिकाधिक निवेश होगा।

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द्विपक्षीय चर्चा में सफलताओं का उल्लेख 
बिरला ने यह भी कहा कि देश की आर्थिक बुनियाद को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की गई हैं जिससे न केवल आर्थिक विकास बदेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। बिरला ने प्रतिनिधियों को यह भी बताया कि भारत में पहली बार 43 करोड़ लोगों को सीधे बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 165 मिलियन नागरिकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अतिरिक्त लोक सभा अध्यक्ष ने नीदरलैंड्स और जर्मनी की सांसदों के पीठासीन अधिकारियों से भी द्विपक्षीय चर्चा की।

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