रोजगार पर कोरोना का कहर

आज हमारा भारत देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आ गया है जो पिछले साल के म्यूटेंट से भी अधिक घातक है इस  कोरोना का म्यूटेंट ब्रिटेन के म्यूटेंट से मिलता जुलता बताया जा रहा हैं जिसका प्रभाव ब्रिटेन में भयावह देखने को मिला था | करीब एक साल बीतने के बाद भी हमारे देश में कोरोना का प्रभाव समाप्त होने का नाम नही ले रहा है | इस कोरोना की दूसरी लहर के कारण भारत देश कोरोना संक्रमण के मामलों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है| कोरोना के कारण आज हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है चाहे वह शिक्षा क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र या फिर रोजगार क्षेत्र | रोजगार क्षेत्र पर तो कोरोना का कहर टूट पड़ा है |

भारत सरकार द्वारा गत वर्ष 24 मार्च को पूरे देश में लॉक डाउन लगाया गया जिसके कारण पूरे भारत में रोजगार का संकट उत्पन्न हुआ जो एक साल बीतने के बाद भी जस का तस बना हुआ है | वैसे बेरोजगारी भारत में देश आजाद होने के बाद से ही बनी हुई है लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसकी स्तिथि और अधिक भयावह हो गई है जिसका असर निम्न क्षेत्रों पर पड़ा है –

1) लॉक डाउन लगने के कारण छोटे व्यापारी, दुकानदार आदि के उद्योग धंधे बंद हुए |

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2) रोज के रोज कमाने वाले व्यक्ति लॉक डाउन लगने के कारण जहा थे वही फसे रह गए जिनके सामने भोजन, रहने के स्थान आदि की समस्या उत्पन्न हुई अनेक एनजीओ , सहायता कर्मियो , और सेवा संस्थानों ने इन प्रवासी मजदूरों को अपने अपने शहरों,कस्बों, गांवों आदि में अपने स्तर पर पहुंचाया लेकिन वहां पर भी जाने के बाद इनके सामने रोजगार का संकट बना रहा |

3) अनेक लघु उद्योग, घरेलू उद्योग आदि पर भी कोरोना की मार पड़ी |

4) प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कार्मिकों को भी कंपनी में काम बंद होने के कारण निकाल दिया गया जिसके कारण कार्मिकों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हुआ |

5) कोरोना के प्रभाव को देखते हुए सरकार ने अनेक प्रतियोगिता परीक्षाओ को रद्द कर दिया जिनके एग्जाम आज तक भी सम्पन्न नही हुए है जिसके कारण प्रतियोगी छात्रों में अवसाद देखने को मिल रहे हैं और यही स्तिथि आगे भी रहने के आसार है |

6) कृषि के क्षेत्र में भी अनेक किसान भाई अपनी फसलों से उत्पन्न खाद्यान्न को मंडियों में लॉक डाउन की वजह से नही ले जा पा रहे और कम शुल्क पर छोटे स्तर पर बेचने को मजबूर है जिसके कारण उन्हें उचित परिश्रम का फल नही मिल पा रहा है |

7) देश में आवागमन बंद हुआ जिसके कारण बस,रेल,टैक्सी,ऑटो रिक्शा आदि में यात्री भार कम हुआ है और टैक्सी,ऑटो, रिक्शा वालों के जीवनयापन का संकट गहराता जा रहा है |

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8) देश के पर्यटक स्थलो को भी बंद कर दिया गया जिसका व्यापक असर पर्यटन उधोगों पर देखने को मिला है|

9) कोरोना के अधिक संक्रमण क्षेत्रों में मॉल,फिल्म सिनेमा घर,मार्केट आदि को शामिल किया गया है जिसका आर्थिक असर इन क्षेत्रों में देखने को मिला है |

10) शादी समारोह,सम्मेलन आदि को कोरोना के कारण रद्द किया गया या फिर सरकारी गाइड लाइन के अनुसार आयोजित किया गया जिसके कारण आमजन में निराशा छा गई |

जिन लोगों की नौकरियां चली गई या जिनके काम धंधे बंद पड़ गए वे सभी लोग बेरोजगारी के कारण मानसिक वेदना झेल रहे है और वर्तमान समय में अवसाद की जिंदगी जी रहे हैं| लोगो को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है जिसके कारण उनके परिवारों को संभालने में संकट उत्पन्न हो गया है| भारत की बेरोजगारी दर अप्रैल माह में लगभग 8 फीसदी पर पहुंच गई है जो 2021 के पिछले तीन महीनो में सर्वाधिक है| भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों से यह बेरोजगारी की दर और अधिक बढ़ने की आशंका है जिसके कारण लोग कोरोना से ज्यादा अपने बेरोजगार होने से डरने लगे है|

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कोरोना की दूसरी लहर के कारण आए आंकड़े  यह बताते है कि लगभग 70 लाख भारतीय बेरोजगार हो गए है और अनेक करोड़ो बेरोजगार होने के कगार पर है| इन आंकड़ों को देखते हुए भारत सरकार को बेरोजगारी पर ध्यान देना जरूरी है नही तो बेरोजगारी बढ़ने से देश में अराजकता का माहौल देखने को मिल सकता है और स्तिथि को संभालना मुश्किल होगा|

लेखक – ललित गौतम

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