450 रुपए की घूस, 14 तक चला मुकदमा अब 70 साल की उम्र में 3 साल की सजा

घूसखोरी की सजाः कोटा थर्मल के पूर्व वरिष्ठ लिपिक पर एसीबी कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना भी लगाया

TISMedia@Kota. महज 450 रुपए के लालच ने कोटा थर्मल के पूर्व वरिष्ठ लिपिक चंद्रशेखर दाधीच को बुढ़ापे में जेल तक पहुंचा दिया। दाधीच ने 2 जनवरी 2007 को एक बिल पास करने के लिए 950 रुपए की घूस मांगी थी। ठेकेदार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में उसकी शिकायत कर दी और 450 रुपए की घूस लेते हुए एसीबी ने उसे रंगे हाथ धर दबोचा। एसीबी कोर्ट ने 14 साल बाद मामले में फैसला सुनाया और दाधीच पर 111 गुना अर्थ दंड लगाने के साथ ही 3 साल जेल की सजा सुनाई।

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लालच ने की जिंदगी तबाह 
जरा सा लालच जिंदगी तबाह कर सकता है। इस बात पर यकीन न आए तो कोटा थर्मल के पूर्व वरिष्ठ लिपिक चंद्रशेखर दाधीच के मुकदमे को नजीर बना सकते हैं। सहायक निदेशक अभियोजन अशोक जोशी ने बताया कि 2 जनवरी 2007 को परिवादी दीपेंद्र बैरागी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) कोटा में शिकायत दी थी। जिसमें बताया था कि थर्मल पावर स्टेशन कोटा में अकाउंट सेक्शन में वरिष्ठ लेखाकार व उसके सहयोगी वरिष्ठ लिपिक चंद्रशेखर द्वारा कंप्यूटर कार्य के बिल पास करने के एवज में रिश्वत मांगी गई थी। अकाउंट सेक्शन द्वारा 3 महीने से भुगतान रोक लिया गया। बिल के 40 हजार भुगतान के लिए 2% कमीशन की मांग की गई।

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एसीबी ने दबोचा 
ठेकेदार की शिकायत का एसीबी ने 2 जनवरी 2007 को सत्यापन करवाया। जिसमें आरोपी ने 950 रुपए रिश्वत मांगी। 500 रुपए उसी दिन लिए। 3 जनवरी को ACB ने ट्रेप का जाल बिछाया और लेखाशाखा में कार्यरत चन्द्रशेखर दाधीच को 450 रुपए की रिश्वत देते रंगे हाथों पकड़ा। घूसखोरी के मामले में फंसने के एक साल बाद ही दाधीच सेवानिवृत हो गया, लेकिन उसके खिलाफ एसीबी कोर्ट में भ्रष्टाचार का मुकदमा चलता रहा।

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कोर्ट ने सुनाई सजा, की तल्ख टिप्पणी
बकाया बिलों की राशि का चेक जारी करने की एवज में रिश्वत लेने के इस 14 साल पुराने मामले में एसीबी (ACB) कोर्ट ने सजा सुनाई है। न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने थर्मल पावर स्टेशन कोटा के तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक चंद्रशेखर दाधीच (70) को 3 साल की सजा व 50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। मामले में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए लिखा, हर दिन सरकारी कर्मचारियों द्वारा सरकारी कार्यालयों में कमीशन खोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जिस पर विराम लगाया जाना आवश्यक है।

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