#BanAnoopMandal जैन समाज में उबाल, अनूपमंडल पर प्रतिबंध लगाने की मांग

  • पहचान छिपाकर गुप्त संगठन के सदस्य कर रहे हैं जैन एवं बनिया समाज को बदनाम
  • कोरोना से लेकर समुद्र के खारे होने तक के लिए जैन समुदाय को जिम्मेदार बता रहा यह संगठन

TISMedia@कोटा. साल 1909 में अनूपदास नाम के साधु ने एक किताब लिखी, किताब का नाम था ‘जगतहितकारिणी’। इस किताब में अनूपदास ने जैन समाज व वैश्य समाज के खिलाफ बेहद विवादास्पद बातें लिखी। लेकिन, बवाल मचा है एक सदी यानि पूरे 112 साल बाद। बवाल की वजह है अनूपदास और उनकी किताब का समर्थन करने वाले लोग, जिन्होंने अब आकर संगठन का आकार लेने शुरू कर दिया है और जगह-जगह आश्रम खोलकर जैन एवं बनिया समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान ही छेड़ दिया है। अभियान भी ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि हर बुराई के लिए यह लोग जैन और बनियों को ही दोषी ठहराने में जुटे हैं। हालांकि इस अभियान का कोटा सहित देश भर में फैले वैश्य और जैन समाज ने खुलकर विरोध भी शुरू कर दिया है।

कौन है अनूप मंडल  
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर #BanAnoopMandal के नाम से एक हैशटैग चल रहा है। जैन समाज के लोग ‘अनूप मंडल’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन यहां सवाल उठता है कि आखिर यह कौन है… कोई संगठन या व्यक्ति? दरअसल  ‘जगतहितकारिणी’ किताब के लेखक अनूपदास के अनुयाइयों के गुट ने ही अपना नाम अनूप मंडल रख लिया है। जिसकी जड़ें सबसे ज्यादा राजस्थान के मारवाड़ इलाके में फैली हुई हैं। मारवाड़ के सिरोही, सुमेरपुर, तख्तगढ़ और गोड़वाड़ बेल्ट में अनूप मंडल की सक्रियता सबसे ज्यादा है। हालांकि इस इलाके में जैन समाज की भी खासी मौजूदगी है। राजस्थान के अलावा अनूप मंडल ने गुजरात व महाराष्ट्र के कई इलाकों में भी जैन व बनिया समाज के खिलाफ दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया है।

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क्यों हुआ विवाद
अनूप दास ने साल 1909 में जो किताब लिखी थी उसमें सभी बुराइयों की जड़ जैन और बनियों को साबित करने की कोशिश की। अनूप दास के अनुयायी इस किताब को आधार बनाकर जैन समाज पर हमले कर रहे हैं। हमलों और दुष्प्रचार की भी हद यह है कि अनूपमंडल के सदस्य समुद्र के खारे होने की वजह भी जैन और बनियों को बताने में जुटे हैं। इंतहा तो तब हो जाती है जब ये गुट मानता है कि जैन और बनियों ने दुनिया के किसी कोने में, जिसे कुछ अनुयायी बरमूडा ट्राएंगल के नीचे भी बताते हैं, जैन लोगों ने एक राक्षसी दुनिया बनाई हुई है और वहां से ये लोग दुनिया में महामारी छोड़ते हैं।

गुप्त संगठन, जानलेवा हमले भी!
जैन समाज के लोग आरोप लगाते हैं कि अनूप मंडल के सदस्य अक्सर जैन संतों और समाज के लोगों को निशाना बनाते हैं। कुछ ने जैन संतों की हत्या के आरोप भी लगाए हैं, हालांकि, अभी तक यह साबित नहीं हो सके हैं। बावजूद इसके चौंकाने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया पर जमकर हंगामा खड़ा करने वाले इस संगठन “अनूप मंडल” के सदस्यों की सही सही संख्या तो छोड़िए इस संगठन में शामिल लोगों की स्पष्ट जानकारी तक अभी किसी के पास नहीं है। जिससे साफ होता है कि अनूपमंडल एक गुप्त संगठन की तरह काम कर रहा है और इसके सदस्य अपनी पहचान छिपाकर रखते हैं।

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बेबुनियादी आरोपों से आहत है समाज
अनूपमंडल की ओर से किए जा रहे बेमतलब के दुष्प्रचार से जैन समाज के लोग खासे आहत हैं। अनूपमंडल के सोशल मीडिया पर पैठ जमाने के साथ ही जैन समाज के लोग भी इसके खिलाफ संगठित होने लगे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को चिट्ठियां लिखकर अनूप मंडल पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।

अनूप मंडल पर प्रतिबंध लगाने को दिया ज्ञापन
अनूप मंडल पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्री संघ, रामपुरा, कोटा की ओर से बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नाम एक ज्ञापन जिला कलक्टर उज्जवल राठौड़ को सौंपा। समाज के अध्यक्ष एवं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस महासचिव पंकज मेहता ने जिला कलक्टर को बताया कि विगत कुछ सालों से अनूप मंडल की जैन समाज के विरुद्ध अवांछनीय, असामाजिक एवं द्वेषपूर्ण गतिविधियां बढ़ती जा रही है। उन पर रोक लगाना अत्यावश्यक है। अनूप मंडल की गतिविधियों पर रोक के लिये समाज की तरफ से हमनें राजस्थान के मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेज चुके है। राजस्थान के बाडमेर से कांग्रेस के विधाक मेवाराम जैन ने भी सीएम गहलोत को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें अनूप मंडल को बैन करने की मांग की है। ज्ञापन सौंपने वालों में समाज के अध्यक्ष पंकज मेहता, मंत्री अशोक बोहरा, कोषाध्यक्ष ज्ञान चंद लोढ़ा एवम वीरेंद्र सिंह (गणेश जी) साथ थे।

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