#TISCampaign: कोटा थर्मल को बचाने के लिए कांग्रेसियों ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महासचिव ने ऊर्जा मंत्री और नगर विकास मंत्री को भी लिखी चिट्ठी

TISMedia@Kota. कोटा थर्मल की उम्रदराज इकाइयों को बंद करने का आदेश आते ही कोटा के लोग कांग्रेस के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। हालात बिगड़ते देख कांग्रेस के दिग्गज नेता भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महासचिव पंकज मेहता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कोटा के हालातों से अवगत कराते हुए, कोटा थर्मल की पहली और दूसरी इकाई को बंद करने का फैसला वापस लिए जाने की मांग की है। मेहता ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि सरकार के इस फैसले से पार्टी को जमीनी स्तर पर खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

उर्जा विभाग की संयुक्त सचिव अनुपमा जोरवाल ने 17 जून 2021 को विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी को कोटा थर्मल की पहली और दूसरी इकाई को 30 जून 2021 तक चरणबद्ध ढ़ंग से बंद करने के आदेश दिए तो सभी का माथा ठनका। साल 2019 में भी कोटा थर्मल को बचाने के लिए आगे आए राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव पंकज मेहता ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर वास्तविक स्थिति से अवगत कराया है।

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2023 तक मंजूरी फिर बंदी की जल्दी क्यों
पंकज मेहता ने मुख्यमंत्री को बताया कि कांग्रेस की कोशिशों के बाद ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कोटा थर्मल में प्रदूषण निवारण मानकों की अनुपालना सुनिश्चित करने पर 6 नवंबर 2020 में वर्ष 2023 तक सभी इकाइयों को संचालित करने के लिये पर्यावरणीय सहमति प्रदान कर दी थी। जिसके बाद कोटा थर्मल के अभियंताओं कार्मिकों व श्रमिकों को विश्वास हो चुका था कि कांग्रेस सरकार कोटा थर्मल को बंद नहीं होने देगी, लेकिन अचानक दो यूनिटों के बंद करने का आदेश जारी होने के बाद अभियंताओं, कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों सहित शहरवासियों एवं व्यापारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

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कांग्रेस को उठाना पड़ेगा नुकसान 
पंकज मेहता ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को साफ-साफ लिखा है कि कोटा थर्मल की दो यूनिटों को बंद करने के फैसले से कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिये आपके नेतृत्व में तत्काल उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित कर इस पर पुनर्विचार किया जाये। दोनों पुरानी इकाइयां आज भी पूरी क्षमता के साथ विद्युत उत्पादन कर रही हैं और पर्यावरण मानकों को लेकर उठी आपत्तियों का भी निस्तारण कर लिया गया है। ऐसे में इन्हें बंद करने के बजाय स्टेंडबाई मोड पर रखा जाए क्योंकि जब नार्दन ग्रिड फेल हुई थी तब इन्हीं दोनों यूनिटों ने पूरे उत्तर भारत में बिजली सप्लाई कर उसे अंधेरे से बाहर निकाला था।

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सैकड़ों लोग हो जाएंगे बेरोजगार 
पंकज मेहता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि कोटा सुपर थर्मल परिसर के 426 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विशाल एश डाइक एरिया है। इस रिक्त भूमि पर प्रदेश में प्रस्तावित 810 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र में से 300 मेगवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र खोलने की घोषणा की जाये। जिससे कोटा शहर में रोजगार के नये अवसर मिलेंगे। इसके लिये धर्मल प्लांट परिसर में सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। कोटा की गर्म जलवायु भी सौर ऊर्जा संयंत्र के अनुकूल है। कोटा में ही नया सौर उर्जा प्लांट स्थापित होने पर धर्मल की पुरानी ईकाइयों में कार्यरत अभियंताओं तकनीकी कर्मचारियों तथा ठेका श्रमिकों को बेरोजगार का सामना नहीं करना पड़ेगा। मेहता ने अपने पत्र में लिखा है कि “कोरोना महामारी से प्रत्येक परिवार आर्थिक संकट में है फुटकर व्यापार व्यवसाय रूप हो गये हैं. प्रत्येक क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ रही है। ऐसे समय नये उद्योग लगाने की जगह पुराने चालू उदयोग को बंद करने का निर्णय जनहित में उचित नहीं होगा।”

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