बेटी की जिंदगी पर भारी पड़ी संविदा की नौकरी, मां-बाप ने नहर में फेंक मार डाला
दिसंबर में ही सिर्फ दो बच्चे होने का दिया था झूठा शपथ पत्र, स्थाई होने की थी उम्मीद
TISMedia @Bikaner आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है। वह दिन जब पूरा देश मासूम बच्चियों को बचाने और उनके बेहतर पालन-पोषण की कसमें खा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके कहीं उलट है। खासतौर पर बात राजस्थान की हो तो हालात और भी ज्यादा खराब हैं। यहां बेटियों की स्थिति कभी भी निकाल बाहर फेंके जाने वाली संविदा की नौकरी से भी बद्तर है। यकीन न आए तो बीकानेर की ही घटना देख लीजिए। जहां संविदा कर्मी पिता की नौकरी पर ज्यादा बच्चे होने से आंच आई तो कभी भी निकाल फेंके जाने वाले इस नौकरी को बचाने के लिए माता-पिता ने कुछ महीनों पहले ही जन्मी अपनी मासूम बेटी को मारने के लिए नहर में फेंक दिया। लोगों ने उस मासूम को बचाने की कोशिश की, लेकिन जिसे उसके पालनहार ही त्याग चुके हों उसकी जान भला बच भी कैसे पाती।
राजस्थान सरकार ने नौकरियों के लिए बच्चों से जुड़ा नियम बना रखा है। इस नियम के मुताबिक नियुक्ति के समय सरकारी कर्मचारियों के दो से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए। यदि ऐसा होगा तो उस आवदेक की नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके साथ ही सेवारत सरकारी कर्मचारियों के तीन बच्चे होते हैं तो उन्हें तरक्की नहीं मिलेगी। दरअसल, यही नियम बीकानेर में पांच महीने की एक मासूम बच्ची के लिए जानलेवा साबित हो गया।
चौथा बच्चा भी बेटी
राजस्थान के बीकानेर में पांच महीने की बच्ची को उसके मां-बाप ने ही नहर में फेंक कर मार डाला। घटना बीकानेर के छत्तरगढ़ थाना इलाके की है। जहां, झंवरलाल नाम का शख्स चांडासर गांव में विद्यालय सहायक के पद पर संविदा पर काम करता है। बीकानेर के पुलिस अधीक्षक योगेश यादव ने बताया कि झंवरलाल के पहले से ही तीन बच्चे थे। जिसमें से बड़ी बेटी को उसने अपने भाई को गोद दे दिया था। लड़के की उम्मीद लगाए बैठे झंवरलाल की पत्नी को पांच महीने पहले तीसरा बच्चा हुआ। जो बेटी थी।
पक्की नौकरी की उम्मीद ने बनाया हत्यारा
बीकानेर पुलिस ने बताया कि झंवरलाल को उम्मीद थी कि वह जल्द ही स्थाई हो जाएगा, लेकिन उसकी इस उम्मीद के आड़े नवजात बेटी आ गई। ऐसे में उसने अपनी बच्ची से ज्यादा सरकारी नौकरी की उम्मीद को तवज्जो दी और पत्नी के साथ मिल उसकी हत्या की घिनौनी साजिश रच डाली। वह दो दिन पहले ही छत्तरगढ़ स्थित अपने साले के घर गया था। जहां से रविवार शाम को चार सीएचडी स्थित साले के घर से वापस दियातरा लौटते समय रास्ते में बच्ची को नहर में फेंक दिया। फिर यहां से दियातरा के लिए रवाना हो गया।
राहगीरों की कोशिश रही नाकाम
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक झंवरलाल बाइक पर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ था। रविवार शाम 5 बजे दंपती ने 5 महीने की बच्ची को इंदिरा गांधी नहर प्रोजेक्ट में फेंक दिया। मासूम को फेंकते देख कुछ लोग चिल्लाए तो बाइक सवार भाग गए। लोगों ने बच्ची को नहर से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। घटना की जानकारी मिलने पर छत्तरगढ़ और खाजूवाला एरिया में नाकेबंदी कर दी गई। जहां खाजूवाला के ट्रेनी सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार ने दंपती की बाइक को रोका। पूछताछ करने पर झंवरलाल ने साले के यहां आना बताया। शक होने पर मुकेश कुमार ने उनकी फोटो खींच ली। बाइक का भी फोटो लिया। झंवरलाल का आधार कार्ड का फोटो भी मोबाइल से खींचा। इसके बाद जाने दिया। आला अधिकारियों को इस बारे में पता चला तो दियातरा से झंवरलाल के बारे में जानकारी ली गई। इसके बाद दंपती को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि दुर्घटनावश ही बच्ची नहर में गिर गई थी। झंवरलाल ने पिछले साल दिसंबर में ही खुद की दो संतान होने का शपथ पत्र दिया था। उसे अंदेशा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर उसका स्थाईकरण नहीं होगा। ऐसे में उसने एक बच्ची को नहर में फेंककर मार दिया।