फिर लगेगा महंगी बिजली का करंट! 18 रुपए यूनिट तक बिजली खरीद रही “लापरवाह” सरकार
कोयला और बिजली प्रबंधन हुआ फेल, कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल प्लांट पड़े हैं ठप
- कोयले की कमी से राजस्थान में गहराया बिजली संकट, कोयला लेने दिल्ली दौड़े ऊर्जा मंत्री
- कोयले की कमी से बंद होने लगे राजस्थान के थर्मल पॉवर प्लांट, नहीं चुकाया 3600 करोड़ का कर्ज
TISMedia@Jaipur राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर है। प्रदेश सरकार की लपरवाही के चलते उन्हें कई गुना बढ़े हुए बिजली बिलों की मार झेलनी पड़ सकती है। दरअसल, मंत्रिमंडल की उठापटक में मशगूल सरकार बिजली घरों के लिए कोयला खरीदना ही भूल गई। ऐसे में कोयला खत्म होने के राजस्थान के थर्मल पॉवर प्लांट बंद हुए तब जाकर ऊर्जा मंत्री को कोयला खरीदने की सुध आई। लेकिन, कोल कंपनियों ने हजारों करोड़ रुपए का पुराना बकाया न चुकाने पर कोयला देने से मना कर दिया। तब जाकर ऊर्जा मंत्री अपने आला अफसरों को लेकर कोयला लेने के लिए दिल्ली दौड़े।
राजस्थान में कोयले की कमी के कारण बिजली का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कोयला खत्म होने से कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल प्लांट की सभी यूनिट कई दिनों से ठप पड़ी हैं। वहीं गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ने और बिजली उत्पादन कम होने के बाद हालात पर काबू पाने के लिए राजस्थान सरकार ने ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में अघोषित बिजली कटौती शुरू कर दी है। बिजली उत्पादन गड़बड़ाने से प्रदेश के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है। बिजली की किल्लत इतनी भयावह हो गए हैं कि पॉवर सप्लाई ग्रिड से राजस्थान सरकार को सीलिंग तोड़कर 18 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ रही है।
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कालीसिंध और सूरतगढ़ में उत्पादन हुआ ठप
झालावाड़ के कालीसिंध थर्मल पॉवर प्लांट की 600-600 मेगावाट की दोनों इकाइयां कोयले की कमी के कारण 12 दिनों से बंद पड़ी हैं। कालीसिंध थर्मल की पहली इकाई 11 अगस्त और दूसरी इकाई 16 अगस्त से ठप पड़ी है। दोनों इकाइयां बंद होने से प्लांट को हर रोज करीब 8 करोड़ रुपए का घाटा उठाना रहा है। वहीं सूरतगढ़ थर्मल पॉवर स्टेशन की 250-250 मेगावाट की सभी 6 इकाइयां कोयले की कमी के चलते करीब सप्ताह भर से बंद पड़ी हैं। जिसके चलते सूरतगढ़ थर्मल पॉवर प्लांट की सभी इकाइयों को चलाने के लिए 30 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत पड़ती है, लेकिन कोयला खत्म होने के कारण इन्हें बंद करना पड़ा है। वहीं कोटा थर्मल पॉवर प्लांट में भी 5-6 दिन का कोयला बचा है। जबकि चौथी यूनिट बिजली उत्पादन नहीं कर रही।
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3600 करोड़ से ज्यादा का बकाया
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के ऊपर निजी और सरकारी क्षेत्र की कोयला कंपनियों का हजारों करोड़ रुपया बकाया है। राजस्थान सरकार ने समय रहते देनदारी नहीं चुकाई तो इन कोयला कंपनियों ने कोयले की सप्लाई बंद कर दी। जिसके चलते राजस्थान में पिछले एक पखवाड़े से बिजली उत्पादन तेजी से घटा और बिजली की किल्लत हो गई। सूत्रों के मुताबिक अकेले कालीसिंध थर्मल पॉवर प्लाट पर छत्तीसगढ़ की कोयला खदानों का 350 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। पैसा न मिलने के बाद इन खदानों ने कालीसिंध कोयला भेजना बंद कर दिया। उत्पादन निगम की बात करें तो कोयले की खरीद का करीब 600 करोड़ बकाया रुपया नॉर्दन कोल लिंकेज और साउथ ईस्टर्न कोल लिंकेज को देना है। जबकि निजी कंपनी अडानी पावर लिमिटेड के 3000 करोड़ रुपये की देनदारी ऊपर से है। ऐसे में करीब 4 हजार करोड़ रुपए बकाया होने के कारण इन थर्मल पॉवर प्लांटों को कोयला मिलना बंद हो गया। ऊर्जा मंत्रालय इस मुसीबत से पूरी तरह वाकिफ था, लेकिन सूबे में छिड़े सियासी घमासान में अपनी कुर्सियां बचाने के लिए न तो सरकार और न ही मंत्री एवं अफसरों ने इस ओर ध्यान दिया। नतीजन, अब जब हालात बिगड़े तो उन्हें संभालने के लिए पैबंद लगाने की कोशिश की जा रही है।
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सरकार खरीद रही पांच गुने दामों पर बिजली
बिजली की कमी से जूझ रहे राजस्थान को अंधेरे में डूबता देख जब तक सरकार ने होश संभाला तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हालत यह है कि सूबे में छाए बिजली संकट से निपटने के लिए राजस्थान को सीलिंग तोड़कर कोटे से ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ रही है। बिजली संकट के हालात इतने भयावह हो चले हैं कि सरकार किसी भी सूरत में बिजली खरीदने को राजी है। नतीजन, अब सरकार को 18 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने के लिए अधिकतम खरीद दर की सीलिंग भी हटानी पड़ी है। इतनी महंगी दरों पर बिजली खरीदने के बावजूद राजस्थान को एक्सचेंज से मांग की केवल 20 फीसदी ही बिजली मिल पा रही है। समय रहते सरकार चेत जाती तो सूबे पर बेवजह पड़ने वाले इस आर्थिक बोझ से बचाया जा सकता था, क्योंकि इससे पहले 6.50 रुपये प्रति यूनिट तक की सीलिंग रेट से बिजली खरीदी जा रही थी। वहीं कोयला संकट में फंसने से पहले सरकार करीब 4 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीद रही थी।
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अब जागे सरकार
सरकार में फेरबदल के साथ ही राजस्थान में बिजली और कोयला प्रबंधन फेल होने के बाद ऊर्जा विभाग के मंत्री और अफसरों की नींद टूटी। कोयला मिलता न देख ऊर्जा मंत्री डॉ बीडी कल्ला और ऊर्जा सचिव दिनेश कुमार केंद्र सरकार से मदद मांगने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। दिल्ली पहुंच कर वह केन्द्रीय कोयला मंत्री, मंत्रालय के अफसरों और कोल इंडिया के अफसरों से मिलकर राजस्थान के बिजली घरों को चलाने लायक कोयला खरीदने की कोशिश करेंगे। हालांकि, सारा मसला बकाए के भुगतान पर ही अटकता नजर आ रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार जब तक मदद नहीं करेगी राजस्थान का अंधेरा खत्म होने वाला नहीं है। वहीं, खाली खजाने को भरने और कोयला कंपनियों का कर्जा उतारने के लिए सरकार टैक्स और सरचार्ज के नाम पर जनता से ही भरपाई करेगी। जिसके चलते राजस्थान के लोगों को एक बार फिर से महंगी बिजली का करंट लगने की पूरी आशंका है।