आसान नहीं होगा अब डॉक्टर बनना, MBBS फर्स्ट ईयर में सप्लीमेंट्री आई तो करनी पड़ेगी दोबारा पढ़ाई
- नेशनल मेडिकल कमीशन ने शिक्षा व्यवस्था में किया बड़ा बदलाव, अब प्रमोट नहीं होंगे फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स
TISMedia@Kota नेशनल मेडिकल कमीशन (NATIONAL MEDICAL COMMISSION) ने देश की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। एनएमसी के नए नियमों के मुताबिक एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery) फर्स्ट ईयर पास किए बिना विद्यार्थियों को आगे पढ़ाई का मौका नहीं दिया जाएगा। MBBS 1st Year में सप्लीमेंट्री आने आने पर स्टूडेंट्स को MBBS 2nd Year में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं सप्लीमेंट्री एग्जाम में फेल होने पर उन्हें दोबारा पहले साल की ही पढ़ाई करनी होगी।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को अभी तक सहूलियत दे रखी थी कि यदि वह प्रथम वर्ष में फेल हो जाते हैं तो सप्लीमेंट्री एग्जाम की परमीशन देकर एमबीबीएस सेकिंड ईयर की पढ़ाई के लिए प्रमोट कर दिया जाता था। कई बार सप्लीमेंट्री एग्जाम देर से होने तो कभी बार इस परीक्षा में भी विद्यार्थियों के फेल होेने पर वह दूसरे साल की न सिर्फ पढ़ाई पूरी कर लेते थे, बल्कि परीक्षाएं भी दे देते थे। नतीजन, चिकित्सा शिक्षा की इस खामी की वजह से ऐसे विद्यार्थियों को मर्सी चांस मिल जाता था।
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एनएमसी ने बदली व्यवस्था
नेशनल मेडिकल कमीशन ने अब इस व्यवस्था को पूरी तरह बदलने का आदेश जारी कर दिया है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने 27 अक्टूबर 2021 को आदेश जारी किया है। एनएमसी के अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (UNDER-GRADUATE MEDICAL EDUCATION BOARD ) के प्रेसीडेंट डॉ. अरुणा वी. वाणीकर की ओर से जारी इस आदेश के मुताबिक मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 1997 के परीक्षा पास करने संबंधी 8वें क्लॉज में बदलाव किया गया है। जिसके मुताबिक अब एमबीबीएस फर्स्ट ईयर में सप्लीमेंट्री आने पर स्टूडेंट्स को सेकंड ईयर में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं यदि कोई विद्यार्थी फर्स्ट ईयर सप्लीमेंट्री में फेल होता है तो उसे दोबारा से नए बैच के साथ पहले साल की पढ़ाई करनी होगी।
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सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था
मेडिकल एजुकेशन एक्सपर्ट्स ने इस फैसले पर मिलीजुली राय दी है। विशेषज्ञों के मुताबिक एनएमसी के इस आदेश के बाद एमबीबीएस प्रथम वर्ष में पढ़ाई का स्तर सुधरेगा और विद्यार्थी भी गंभीरता से पढ़ाई करेंगे। क्योंकि मेडिकल में दाखिले के बाद यदि विद्यार्थी पहले ही साल में फेल हो जाता है तो उसके आगे की पढ़ाई करने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने सप्लीमेंट्री एग्जाम की व्यवस्था को भी सुधारने की बात कही है, क्योंकि कोई मेडिकल यूनिवर्सिटी सप्लीमेंट्री एग्जाम देरी से करवाती है और रिजल्ट आने में देरी होती है तो सेकंड ईयर की पढ़ाई का नुकसान होगा। इसलिए एनएमसी को सप्लीमेंट्री एग्जाम समय पर कराने के भी निर्देश जारी करने होंगे, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो।