मुख्तार अंसारीः दादा कांग्रेस अध्यक्ष, नाना ब्रिगेडियर, चाचा उपराष्ट्रपति और वो पूर्वांचल का आतंक

पूर्वांचल में खासा रसूखदार है मुख्तार अंसारी का खानदान

लखनऊ. दादा फ्रीडम फाइटर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गांधी के बेहद करीबी… नाना हिंदुस्तानी फौज में ब्रिगेडियर… साल 1947 में पाकिस्तान को पटकनी दे महावीर चक्र हासिल किया… चाचा भारत के उप राष्ट्रपति… पिता नगर पालिका के निर्विरोध अध्यक्ष रहे… सगा भाई सांसद, चचेरा भाई भाई देश का नामचीन पत्रकार और बेटा हिंदुस्तान के लिए मैडल जीनते वाला नामचीन शूटर, लेकिन खुद मुख्तार बन बैठा पूर्वांचल का आतंक। जिसके नाम दर्ज हैं हत्या, अपहरण, वसूली, अवैध कब्जे और दंगा भड़काने तक के दर्जनों मुकदमे।

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दादा के नाम की दी जाती हैं मिसालें
अंसारी खानदान का इतिहास इतना गौरवशाली रहा है कि मऊ ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके में इस परिवार जैसा रसूख और इज्जत किसी दूसरे को अब तक हासिल नहीं हो सकी। बल्कि यह कहें कि अंसारी घराने की टक्कर का दूसरा खानदान पूर्वांचल में नहीं तो ज्यादा बेहतर होगा, लेकिन मुख्तार ने इस पर ऐसा बट्टा लगाया है जिसकी भरपाई शायद ही हो सके। मुख्तार के दादा का पूरा नाम था डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी। डॉ. अंसारी साल 1926-27 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। महात्मा गांधी के बेहद करीबियों में शुमार डॉ. अंसारी अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए कई बार जेल भी गए।

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नाना पर है हिंदुस्तान को नाज
दादा ही नहीं मुख्तार के नाना पर भी पूरे मुल्क नाज है और वह थे हिंदुस्तानी फौज के ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान। साल 1947 में उन्होंने भारत की तरफ से नौशेरा की लड़ाई लड़ी, बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई थी। इस जंग में दुश्मन फौजों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे। उनकी यादगार सेवाओं के लिए उन्हें भारत सरकार ने महावीर चक्र से नावाजा था।

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चाचा थे उपराष्ट्रपति, पिता पालिका अध्यक्ष  
अंसारी खानदान का रसूख दादा और नाना तक ही सीमित नहीं रहा। इसे अगली पीढ़ी यानि उनके बच्चों ने भी खूब रोशन किया। यकीन न आए तो मुख्तार के चाचा हामिद अंसारी को देख लीजिए। जी हां, भारत के पूर्व उपराष्ट्रपित हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा हैं। हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति बनने से पहले भारतीय विदेश सेवा के आला अधिकारी एवं राजनयिक रह चुके हैं। इतना ही नहीं खुद मुख्तार के पिता सुब्हान उल्लाह अंसारी का नाम भी मऊ में बड़े अदब के लिए साथ लिया जाता है। उनके रुतबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1971 में उन्हें नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था। वह कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे और उनकी अपनी साफ सुथरी छवि आज भी मऊ में मिसाल है।

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भाई सांसद, बेटा नामचीन शूटर
डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी की दूसरी ही नहीं तीसरी और चौथी पीढ़ी ने भी देश और दुनिया में खासा नाम रोशन किया है। मुख्तार का एक भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से अब भी सांसद है। इतना ही नहीं देश के जाने माने पत्रकार जावेद अंसारी भी रिश्ते में मुख्तार के भाई हैं। जबकि खुद मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुका हैं। टॉप शूटरों में शुमार अब्बास ने देश के लिए दुनियाभर में कई पदक भी जीते हैं।

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और दाग बन गया मुख्तार
खानदानी रसूख के उलट मुख्तार अंसारी की शौहरत उसके काले कारनामों के लिए होती है। मुख्तार अंसारी के खानदान का रसूख उसकी छवि के बिल्कुल उलट है। इतना उलट कि खानदान का इतिहास जानकर यकीन नहीं होगा कि पूर्वांचल का आंतक बन चुके मुख्तार का ऐसे लोगों से भी कोई रिश्ता हो सकता है!

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