पूर्व कांग्रेसी जितिन प्रसाद नहीं हैं विधायक फिर भी बन गए मंत्री, जानिए योगी के नए मंत्रियों की कुंडली

TISMedia@Kota योगी सरकार के 7 नए सारथियों में से एक तो ऐसे हैं जो अभी विधायक ही नहीं हैं, लेकिन चुनावी समीकरण को साधने के लिए भाजपा ने मंत्री बनाकर उन पर बड़ा दांव खेला है। योगी कैबिनेट के इस विस्तार को मंत्रिमंडल का विस्तार कम और जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश ज्यादा करार दिया जा रहा है। भाजपा भी खुद ब्राह्मण, एससी, एसटी और पिछड़ों की संख्या गिनवा कर इसका फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार में अचानक मंत्री बनाए गए सात लोगों की राजनीतिक और दलगत स्थिति क्या है जानिएः- 

जितिन प्रसाद: घर बदलने का मिला तोहफा
योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में शामिल नए कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश में अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। केन्द्र की मनमोहन सरकार में सड़क परिवहन, पेट्रोलियम और मानव संसाधन विभाग में राज्यमंत्री रह चुके हैं। जितिन प्रसाद का रुहेलखंड में काफी प्रभाव है। जितिन प्रसाद कांग्रेस में बड़े कद के नेता थे। वह दो बार सांसद रहे। 2004 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने। इसके बाद 2008 में केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री बनाए गए। 2009 में परिसीमन के बाद धौरहरा से लड़े और दूसरी बार सांसद बने। हालांकि 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में धौरहरा से चुनाव हार गए। इसके साथ 2017 के विधानसभा चुनाव में शाहजहांपुर की तिलहर विधानसभा सीट से भी चुनाव हारे। इनके पिता जितेन्द्र प्रसाद भी चार बार शाहजहांपुर के सांसद रहे। वह राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के राजनितिक सलाहकार रहे हैं।

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धर्मवीर प्रजापति: बृज को किया और ताकतवर 
आगरा के एमएलसी धर्मवीर प्रजापति का नाम भी मंत्रियों की सूची में है। वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के साथ माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। वह भाजपा के महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके हैं। धर्मवीर प्रजापति मूलरूप से हाथरस जिले के बहरदोई के रहने वाले हैं। उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में समाज के लिए सेवा के कार्य आरंभ किए। इसके बाद उन्होंने भाजपा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वर्ष 2002 मे पहली बार उन्हें प्रदेश का दायित्व मिला। तत्कालीन पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में वह प्रदेश के महामंत्री बने। इसके बाद दो बार प्रदेश संगठन में मंत्री का दायित्व को भी संभाला।

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संजीव: गोंड जाति साधने की कोशिश
संजीव सिंह गोंड उर्फ संजय गोंड सोनभद्र के ओबरा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। गोंड अनुसूचित जनजाति से आते हैं। वह अपनी सादगी के लिए चर्चित हैं। गोंड जाति की सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली समेत पूर्वांचल के कई जिलों में अच्छी संख्या है। गोंड़ जाति को साधने के लिए भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाया है।

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छत्रपाल गंगवार: रुहेलखंड के रूठे कुर्मियों को साधा
बरेली के बहेड़ी से लगातार दूसरी बार विधायक बने छत्रपाल गंगवार को बरेली जिले का प्रतिनिधित्व देने के साथ पिछड़ा वर्ग के वोट को सहेजने के लिए मंत्री बनाया गया है। सरकार बनने के बाद कैंट विधायक को वित्त मंत्री और आंवला विधायक धर्मपाल सिंह को सिंचाई मंत्री बनाकर जिले का कद मजबूत किया गया था। इसके बाद दोनों से इस्तीफा ले लिया गया था। छत्रपाल गंगवार पिछड़ा वर्ग से हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उन्होंने लंबे समय तक काम किया था। इसके बाद भाजपा में आए। चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी अता उर रहमान को हराया था। छत्रपाल गंगवार को मंत्री बनाकर क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग को साधने का प्रयास होगा। बहेड़ी, नवाबगंज, भोजीपुरा और आंवला क्षेत्रों में पिछड़ा वर्ग से मंत्री बनाए जाने का सीधा प्रभाव माना जा रहा है। बहेड़ी का एक हिस्सा पीलीभीत संसदीय क्षेत्र में भी आता है।

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संगीता बिंद: पूर्वांचल के पिछड़ों को साधने की कोशिश
संगीता बलवंत बिंद निषाद समुदाय से हैं। वह गाजीपुर सदर सीट से भाजपा की विधायक हैं। वह पिछड़ी जाति बिंद समाज से आती हैं। वह पहली बार विधायक चुनी गई हैं। संगीता छात्र राजनीति और पंचायत की राजनीति से सक्रिय राजनीति में आईं। संगीता युवा नेता हैं और करीब 42 वर्ष की हैं। पूर्वांचल में बिंद (ओबीसी) का अच्छा खासा वोट बैंक है। भारतीय जनता पार्टी से इनका जुड़ाव 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुआ। मनोज सिन्हा की करीबी मानी जाने वाली डॉ संगीता को 2017 में सिन्हा के प्रयासों से ही टिकट मिला।

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पलटू राम को मिला “फल”
योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहे भाजपा विधायक पलटू राम बलरामपुर की सदर सुरक्षित सीट से जीते हैं। गोंडा जिले के परेड सरकार गांव में जन्में विधायक पलटू राम ने अवध विश्वविद्यालय से एमए तक की शिक्षा प्राप्त की। राजनीति में रुझान होने के कारण छात्र जीवन से ही सामाज कार्यों में भागीदारी करते रहे। वह सन 2000 में सबसे पहले भदुआ तरहर क्षेत्र से सदस्य और जिला पंचायत के उपाध्यक्ष चुने गए। इसके 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर वह मनकापुर सुरक्षित सीट से लड़े। उन्होंने 2015 में गिर्द गोंडा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा व समर्पण को देखते हुए उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में बलरामपुर सदर सीट से लडने का टिकट दिया गया। जहां उन्होंने जीत दर्ज की।

दिनेश खटीक लगाएंगे हस्तिनापुर में सेंध 
मेरठ के हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक को भी मंत्री बनाया गया है। 44 वर्षीय विधायक दिनेश खटीक मवाना थाना क्षेत्र के कस्बा फलावदा के रहने वाले हैं। इन्होंने 2017 में पहली बार भाजपा की ओर से हस्तिनापुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। पहली ही बार में दिनेश खटीक ने बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को पराजित कर जीत हासिल की। दिनेश खटीक शुरू से ही भाजपा में रहे हैं और संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। इनके पिता भी संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। भाई नितिन खटीक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। विधायक दिनेश खटीक का फलावदा में ईंट भट्टे का व्यवसाय है। वह मेरठ के गंगानगर में रहते हैं।

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