सोचकर देखिए ! 0.001 फीसदी आबादी का इलाज करने में यह हाल है, तो…. क्या होगा
कोरोना संक्रमण और इलाज के लिए मौजूदा संसाधनों पर प्रो. पीएस बिसेन की बेबाक टिप्पड़ी
-प्रो. पीएस बिसेन
यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है, जब हम इस आपदा से पिछले एक साल से ज्यादा समय से जूझ रहे हैं, तब हमारी तैयारी क्या है? हर 20 लाख की आबादी पर दो हजार बिस्तर का कोविड हॉस्पिटल बनाने का सुझाव विश्व स्वास्थ्य संगठन पिछले साल ही दे चुका था। मतलब देश की आबादी के हिसाब से हमारे पास करीब एक करोड़ कोविड बेड का इंतजाम होना चाहिए था। लेकिन अगर असली आंकड़ा देखें तो महज साढ़े चार लाख बेड का इंतजाम देश के भीतर किया जा सका है। अब सरकारें दिखावे के लिए बेड संख्या बढ़ाने का दावा कर रही हैं।
खैर, विजनरी मुख्यमंत्रियों और उनके सेनापतियों की व्यवस्थाओं का हाल यह है कि सभी ने ट्रैवल गाइडलाइन के तौर पर कोविड की आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य की है, लेकिन अब यही आफत बन गई है। हर कोई टेस्ट कराने जा रहा है, ऐसे में सामान्य तौर पर दो से तीन दिन की वेटिंग रिजल्ट में हो गई है। मतलब पॉजिटिव को पॉजिटिव पता चलने में जितना वक्त लगता है, उतने में उसकी तबीयत अस्पताल के भीतर पहुंचने के लिए काफी हो जाती है।
वैक्सीन को दुनिया भर को देने की जल्दबाजी ने हमें जमीन पर ला दिया। हम अपने देश के लोगों को वैक्सीन देने में असमर्थ रहे और टीका उत्सव शुरू कर दिया। अगर पिछले एक हफ्ते के आंकड़ों पर नजर डालें तो टीकाकरण कमजोर हुआ है, क्योंकि टीकों की पर्याप्त उपलब्धता ही नहीं है। जब हमें मॉडर्ना और फाइजर जैसे टीकों की जरूरत थी, तब हम देश के भीतर स्वदेशी टीके की वकालत कर खुद को विश्वगुरू बताने में लगे थे। अब नीति आयोग के वीके पॉल कहते घूम रहे हैं कि हमें मॉडर्ना और फाइजर जैसे टीकों की जरूरत है।
हमें कुछ महीने सुधरने के लिए मिले थे, लेकिन हमें सत्ता से प्रेम था। हमें भी सिकंदर बनना था। बिना यह जाने के लिए सिकंदर बनने के लिए खामियाजे क्या भुगतने पड़ेंगे। खैर, देश है ही अंधभक्त, तो जयकारे लगाइए और आनंद लीजिए इस मौत के उत्सव का।
एक बात याद रखना, इतिहास यह सब कुछ देख रहा है और इतिहास कभी किसी को माफ नहीं करता है। उनको भी नहीं, जो मूकदर्शक बने हुए हैं और उनको भी नहीं जो अंधभक्ति की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
( प्रो. प्रकाश सिंह बिसेन ने देश से तपेदिक को खत्म करने और कैंसर का आसान इलाज तलाशने वाले वैज्ञानिक के तौर पर अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रोफेसर बिसेन, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के पूर्व कुलपति, भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी एवं बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के संस्थापक डीन, एमेरिटस साइंटिस्ट (सीएसआईआर) एमेरिटस साइंटिस्ट (सीएसआईआर) डीआरडीईओ रक्षा मंत्रालय, सीडलिंग अकादमी ऑफ़ डिज़ाइन, टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, जयपुर जो बाद में जयपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ के प्रमुख निदेशक, अमेरिका, कनाडा और चीन जैसे 45 प्रमुख राष्ट्रों की जैव प्रौद्योगिकी आधारित योजनाओं के सदस्य एवं वहां विश्वविद्यालयों में मानद प्रोफेसर रह चुके हैं।)