मन, मस्तिष्क व अनुभवों का संयोजन है विचाराभिव्यक्ति
व्यक्ति के अस्तित्व की पहचान है विचारों से होती है
जीवन में नवाचार नयापन सब कुछ विचारों पर ही निर्भर करता है इसका अनुमान विश्व में होने वाली विभिन्न क्रांतियों से लगाया जा सकता है जिनका आरंभ विचारों से ही हुआ | लेकिन प्रश्न उठता है की आखिर यह विचार है क्या ? तार्किक दृष्टि से सोचने और समझने की शक्ति के आधार पर विचारों को हम निम्न रूप से प्रदर्शित कर सकते है
व्यक्ति विचारों से ही ज़िंदा है-जीवन विचारों के साथ आरंभ होता है और विचारों के साथ ही समाप्त हो जाता है | … कभी शुन्य से आरंभ तो कभी शुन्य पर समाप्त अर्थ यह हुआ की जीवन का आरम्भ और अंत दोनों ही विचारों पर निर्भर करता है जब तक विचार हैं तब तक हम हैं जिस दिन विचार नहीं समझो हम भी नहीं |
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विचार जीवन का आधार है- विचार जीवन का आधार है | जीवन विचारों के साथ आरंभ होता है और विचारों के साथ ही समाप्त हो जाता है | एक अद्भुत विचित्र लगने वाला यह जीवन, कुछ और नहीं विचारों का एक सिलसिला मात्र है | विचारों के बिना जीवन की सजीवता और रंग समाप्त हो जाते है | विचार हमारी समझ व हमारे ज्ञान के धोतक है वह विचार ही है जो व्यक्ति को मान-सम्मान दिलते हैं यदि व्यक्ति महान बनता है तो अपने विचारों से | घर- परिवार ,कार्य -व्यापार सब की सफलता व असफलता विचारों पर ही निर्भर करती है | इस प्रकार विचार हमारे संबंधों को जोड़ने वाली कड़ी का काम करते हैं अतः इस प्रकार यह हमारे संबंधों को सींचने वाला वाला अमृत है |
बुद्धिमत्ता की पहचान- विचार आते कहां से हैं ? विचार हमारे मन और मस्तिष्क के सयोजन व अनुभवों का परिणाम हैं जहां मन और मस्तिष्क अपने अनुभवों के साथ मिलते हैं तो वहीं विचार उत्पन्न होते है मन और मस्तिष्क का यह अद्भुत संबंध केवल मनुष्यों में ही पाया जाता है सोच समझ के लिए एक विकसित मस्तिष्क की आवश्यकता होती है जो समस्त जीवधारियों की अपेक्षा केवल मनुष्य में ही पाया जाता है | विचार परिवर्तनशील होते हैं जो परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तित होते रहते हैं, परिस्थिति और विचारों का यह अद्भुत संबंध भी केवल मनुष्यों में ही देखने को मिलता है तभी तो मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान कहलाता है |
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विचार परिवर्तन के धोतक है- विचारों ने समाज में एक बड़ा परिवर्तन ला दिया और जब ये परिवर्तन क्रांतिकारी होते है तो इतिहास का निर्माण करते है | जब इन्हीं विचारों ने प्रेम का रूप धारण किया तो हीर-राँझा, सोनी-महीवाल, रोमियो-जूलियट को बना दिया | करुणा, दया, ममता, सुख -दुख और जाने क्या-क्या ? यह सब कुछ इन विचारों के ही इर्द-गिर्द घटित होती है | कभी बंधन युक्त कर लेते हैं तो कभी बंधन मुक्त | यह जीवन को आधार प्रदान करते हैं और निराधार भी यही बनाते हैं कभी हमें अपने सुख के लिए जीने को प्रेरित करते हैं तो कभी अन्यों की भावनाओं को आहत ना करने के लिए, अतः इस प्रकार विचारों की स्वाधीनता और पराधीनता का नाम ही जीवन है |
विचार व्यक्ति के अस्तित्व की पहचान है- विचारों को हमें निरंतर बनाये रखना चाहिए क्योंकि ये वैचारिक निरंतरता से ही जीवन चलायमान है | अपनी वैचारिक निरंतरता को जारी रखते हुए आगे बढ़ते रहिये | अपने विचारों में हमेशा सकारात्मकता, जीवंतता और नवीनता बनाये रखे |
लेखक: पंकज नागर
विचारक और विद्यार्थी