सर गंगा रामः 10 साल बाद मुक्त हुआ महान शिल्पी का समाधि स्थल
TISMedia@Central_Desk
जिन लाहौर नी वेख्या ओ जन्मया ही नहीं… कोई तो बात रही होगी महान नाटककार असगर वजाहत ने अपने भावों को इन शब्दों में पिरोया… वह भी उस दौर का लाहौर जब यह लाजवाब शहर हिंदुस्तान का हिस्सा हुआ करता था…। यह बात और है कि न तो पाकिस्तान अब इस नाटक के मंचन की अपने मुल्क में इजाजत देता है और न ही लाहौर वो लाहौर रहा जिसकी कल्पना कभी सर गंगाराम ने की थी…। जी हां, इस नाम से हिंदुस्तान का गरीब और मध्यमवर्गीय तबका खासा वाकिफ है। हो भी क्यों नहीं, दिल्ली के दिल में बसता है इस नाम का अस्पताल, लेकिन उंगलियों पर गिने जाने लायक ही हैं वह लोग जो जानते भी हैं कि सर गंगाराम सिर्फ एक अस्पताल भर का नाम नहीं है, बल्कि एक भरी-पूरी शख्यिसत है जिसने दुनिया का सबसे खूबसूरत लाहौर में नायाब शिल्पकारी की जान डाली। यह बात और है कि असगर वजाहत के नाटक पर पाबंदियों की तरह इस खूबसूरत शहर के महान शिल्पी सर गंगाराम की समाधि तक पर एक दशक से ज्यादा समय तक नापाक कब्जा रहा। बड़ी मुश्किलों से उनकी समाधि अब जाकर आजाद हो सकी है।
कभी हिंदुस्तान का हिस्सा रहा लाहौर है ही ऐसा, जिसे देख हर कोई सम्मोहित हो उठे। अब यह सवाल तो बनता ही है कि आखिर इसे इतना खूबसूरत बनाया किसने? तो जनाब जवाब है… सर गंगाराम। थॉमसन इंजीनियरिंग कॉलेज रुड़की के छात्र गंगाराम ने इस शहर में लम्बा वक्त गुजारा। इस शहर की तमाम खूबसूरत बिल्डिंग उन्होंने ही डिज़ाइन की। यहां तक कि प्रख्यात समाजसेवी और शीर्ष वास्तुकार सर गंगाराम ने आखिरी सांस तक इस शहर में ली। पंजाब प्रांत के लाहौर में टक्साली गेट के पास उनकी समाधि बनाई गई, लेकिन लाहौर के इस महान शिल्पी के अंतिम स्मृति स्थल पर ही लाहौरियों ने अवैध कब्जा कर लिया। नतीजन, एक दशक से उनके चाहने वाले उनके अंतिम स्मृति स्थल तक पहुंच कर श्रद्धा सुमन तक अर्पित नहीं कर पा रहे थे। गुरुवार को इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के उपनिदेशक फराज अब्बास ने बताया कि “हमने कुछ लोगों के समूह के कब्जे से इस जमीन को वापस ले लिया है और सर गंगाराम समाधि के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया है। जीर्णोद्धार कार्य पूरा करने के बाद समाधि को इस महीने के आखिर में आम जनता के लिए खोल दी जाएगी।“ इतना ही नहीं इस महान वास्तुकार की स्मृति में उनके द्वारा किए गए महान कार्यों से दुनिया को रूबरू कराने के लिए यहां एक आर्ट गैलरी भी खोली जाएगी। पाकिस्तान सरकार की ओर से दावा किया गया है कि “जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद उद्घाटन समारोह में स्थानीय हिंदुओं को आमंत्रित किया जाएगा।“
READ MORE: शार्ली हेब्दो ने फिर की नापाक हरकत, अब हिंदुओं की भावनाएं भड़काने की कोशिश
गजब के शिल्पी थे गंगाराम
इंजीनियर वास्तुकार सर गंगाराम ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर की शहरी संरचना में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जनरल पोस्ट ऑफिस लाहौर, लाहौर संग्रहालय, एचिसन कॉलेज, मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स), गंगा राम अस्पताल लाहौर, 1921, लेडी मक्लेगन गर्ल्स हाई स्कूल, सरकारी कॉलेज विश्वविद्यालय के रसायन विभाग का डिजाइन और निर्माण किया। यह लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने मेयो अस्पताल के अल्बर्ट विक्टर विंग, सर गंगा राम हाई स्कूल (अब लाहौर कॉलेज फॉर विमेन), हैली कॉलेज ऑफ कॉमर्स (अब बैंकिंग एंड फाइनेंस के हैली कॉलेज), विकलांगो के लिए रवि रोड हाउस, गंगा राम ट्रस्ट बिल्डिंग “द मॉल” और लेडी मेनार्ड इंडस्ट्रियल स्कूल तक का निर्माण सर गंगाराम ने ही किया।
घुड़सवार ट्रेन तक बनाई
सर गंगाराम ने लाहौर के सर्वश्रेष्ठ इलाकों, रेनाला खुर्द में पावरहाउस के साथ-साथ पठानकोट और अमृतसर के बीच रेलवे ट्रैक के बाद मॉडल टाउन और गुलबर्ग शहर का भी निर्माण किया। लाहौर में अस्पताल के निर्माण के लिए जमीन दान में दी। लाहौर के मौजांग क्षेत्र में 1921 में सर गंगाराम अस्पताल की स्थापना हुई। वह पटियाला राज्य में सेवानिवृत्ति के बाद राजधानी की पुनर्निर्माण परियोजना के लिए अधीक्षक अभियंता बने। उनके कार्यों में मोती बाग पैलेस, सचिवालय भवन, विक्टोरिया गर्ल्स स्कूल, लॉ कोर्ट और पुलिस स्टेशन थे। जिला लीलपुर (अब फैसलाबाद) के तहसील जारनवाला में, गंगा राम ने एक अद्वितीय घुड़सवार ट्रेन बनाई। यह बुकियाना रेलवे स्टेशन से गंगापुर तक रेलवे लाइन पर चलती थी।
READ MORE: कोटा की अचर्चित दशावतार पट्टिका
गंगाराम अग्रवाल वल्द दौलतराम
सर गंगाराम अग्रवाल का जन्म 1851 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गांव मंगलनवाला में हुआ था। उनके पिता, दौलत राम वहीं पुलिस स्टेशन में जूनियर सब इंस्पेक्टर थे। बाद में वह अमृतसर की अदालत के एक प्रति लेखक बने। गंगा राम ने अमृतसर केसरकारी हाईस्कूल से मैट्रिक पास कर 1869 में लाहौर के सरकारी कॉलेज में गए। 1871 में, उन्होंने रुड़की में थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रवृत्ति प्राप्त की। उन्होंने 1873 में स्वर्ण पदक के साथ अंतिम निचली अधीनस्थ परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्हें सहायक अभियंता नियुक्त किया गया और शाही असेंबली के निर्माण में मदद के लिए दिल्ली बुलाया गया।उन्हें 1903 में राय बहादुर का खिताब मिला। वह सेवानिवृत्ति के बाद ब्रितानी राजदरबार में नाइटहुड समेत कई सम्मानों से नवाजे गए।
भारत और पाक में बंटी अस्थियां
10 जुलाई 1927 को लंदन में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी राख भारत वापस लाई गई। एक हिस्सा गंगा में प्रवाहित किया गया और दूसरा हिस्सा लाहौर में दफनाया गया था।
किसान गंगाराम
उन्होंने मोंटगोमेरी जिले में 50,000 एकड़ बंजर, अनियमित भूमि से पट्टे पर प्राप्त किया, और तीन वर्षों के भीतर विशाल मरुस्थल को मुस्कुराते हुए खेतों में परिवर्तित हो गया। एक जलविद्युत संयंत्र और एक हजार मील सिंचाई चैनल अपनी लागत पर बनाया। पंजाब के गवर्नर सर मैल्कम हैली ने उन्हें नायक और संत जैसे संबोधन दिए।
उनका परिवार
गंगा राम के तीन पुत्र थे, सेवक राम, हरि राम और बालक राम। भारत के विभाजन के बाद, परिवार के कई लोग भारत के पंजाब में बस गये।
READ MORE: पुरातत्व विभाग की राह तकता गुगोर दुर्ग
इंदु वीरा और नई दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल के संस्थापक धर्म वीरा के पुत्र समेत आज उनके नाते पोते के दुनिया में कई जगह रहते हैं। उनके एक पोते डॉ अश्विन राम जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटिंग कॉलेज में इंटरेक्टिव कंप्यूटिंग स्कूल में एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जबकि उनकी बड़ी पोती, श्रेला फ्लैदर, बैरोनेस फ्लदर, एक शिक्षक और ब्रिटिश राजनेता हैं। 1951 में नई दिल्ली का एक और अस्पताल सर गंगा राम अस्पताल उनकी याद में बनाया गया था।