कोटा कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइडः अब तक की नाकामियों को छिपाने के लिए सरकार फिर लाएगी बिल
बारां-अटरू विधायक पानाचन्द मेघवाल के सवाल पर सरकार ने फिर दिया घिसा-पिटा जवाब
Kota. कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए राजस्थान सरकार कोई ठोस रणनीति बनाने की बजाय अब भी आदेशों और निर्देशों में उलझी हुई है। हर एक कोचिंग छात्र की मौत के बाद बैठकों के मैराथन सत्र चलते हैं, लेकिन क्रियान्वयन की जब बारी आती है तो वही ढ़ाक के तीन पात हाथ लगते हैं। बीते चार साल में 52 बच्चों की जिंदगी खत्म होने के बाद इन आत्मघाती कदमों को रोकने के लिए कोई ठोक कार्ययोजना बनाने के बजाय सूबे की सरकार फिर से नई योजनाओं का पुलंदा बांधने की तैयारी में जुटी है। बारां अटरू विधायक पानाचन्द मेघवाल को दिए गए जवाब से तो यही जान पड़ता है।
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दरअसल, बारां-अटरू विधायक पानाचन्द मेघवाल ने विधानसभा में लिखित सवाल के जरिए कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइड का मामला उठाया था। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों की काउन्सलिंग और उनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाये जाने की सरकार से मांग की थी। विधायक के सवाल पर सरकार ने जो जवाब दिया है वह इस मामले में उसकी लापरवाही उजागर करने के लिए काफी है। राजस्थान सरकार ने सवाल के जवाब में बताया कि कोचिंग संस्थाओ पर नियत्रंण हेतु कानून बनाने के लिए The Rajasthan Coaching Institutes Bill 2023 लेकर आ रही है, जो प्रकियाधीन है। हालांकि सरकार यहां भी वाहवाही लूटने से बाज नहीं आई। सवाल के जवाब में बताया गया कि स्कूल शिक्षा ग्रुप 5 विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोटा सहित प्रदेशभर में संचालित कोचिंग सेन्टरो में अध्ययनरत विद्यार्थियों को मानसिक सम्बल एवं सुरक्षा प्रदान करने हेतु 13 जून 2018 व 11 नवंबर 2022 को निर्देश जारी किए गए है। लेकिन, यह कितने कारगर साबित हुए इस पर सरकारी जवाब में सन्नाटा पसरा है।
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विधानसभा में उठाया मामला
बारां-अटरू विधायक पानाचन्द मेघवाल ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न के जरिए कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले को उठाया। जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि कोटा संभाग में पिछले 4 सालों में 2019 से 2022 तक स्कूल,कॉलेज एवं कोचिंग सेन्टर के विद्यार्थियो की आत्महत्या के 53 प्रकरण दर्ज हुए। इनमें से 52 प्रकरण कोटा शहर की कोचिंगों के विद्यार्थियों के ही है। साल 2019 से 2022 तक बांरा में एक स्कूली छात्रा द्वारा आत्महत्या करने और बून्दी और झालावाड में कोई प्रकरण दर्ज नही हुआ।
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जानते सब हैं, करते कुछ नहीं
सरकार ने यह तो माना है कि कोटा शहर में कोचिंग विद्यार्थियो की आत्महत्या का प्रमुख कारण कोचिंग छात्रों के पढाई में पिछड जाना है। इसके साथ ही उनमें आत्मविश्वास की कमी होना, माता-पिता की छात्रों से उच्च महत्वकांक्षा होना, छात्रों में शारीरिक, मानसिक एवं पढाई सम्बन्धी तनाव उत्पन्न होना, आर्थिक तंगी, ब्लैकमेलिंग और प्रेम प्रसंग आदि कारण है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोटा के कोचिंग छात्रों की आत्महत्या करने की इतनी विस्तृत वजह जब सरकार को पता है तो वह हाथ बांधे क्यों बैठी है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया और न ही पढ़ाई से उत्पन्न होने वाले तनाव और बच्चों के पिछड़ेपन का कोई समाधान निकाला गया।
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विधायक जवाब से असंतुष्ट
विधायक पानचंद् मेघवाल ने बयान जारी कर कहा, देश के कोने कोने से विधार्थी अपना भविष्य बनाने के लिए कोटा आते है, लेकिन जब ये विधार्थी आत्महत्या जैसा हृदय विदारक कदम उठाते है। तो ये समाज और सरकार के लिए चिंता की बात है। कोचिंग विधार्थियो की सुरक्षा और काउंसलिंग के उचित प्रबंध किये जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने टका सा जवाब देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। जबकि, होना यह चाहिए था कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाते।