BJP Rajasthan: राजस्थान में “राजे” को रोकने के लिए हुआ शेखावत-पूनिया गुट में गठजोड़

TISMedia@Jaipur राजस्थान में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा ही नहीं उनके अंदरूनी धड़ों में भी जमकर घमसान मचा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भगवा सियासत और सूबे की सत्ता पर अपनी पकड़ कतई कमजोर नहीं होने देना चाहतीं। इसीलिए बीते एक साल से वह जयपुर से लेकर दिल्ली तक लगातार सक्रिय हैं। हालांकि, उनकी सक्रियता बढ़ती देख वसुंधरा विरोधी खेमा चौकन्ना हो गया है। बदली हुई परिस्थितियों में एक-दूसरे के विरोधी रहे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया एक साथ आ गए है।

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मुख्यमंत्री चेहरे की दौड़ में शामिल गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूनिया गुट से हाथ मिलाकर पूर्व सीएम वंसुधरा राजे के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। शेखावत और पूनिया गुट के एक साथ आने से वसुंधरा राजे के लिए मुख्यमंत्री की रेस में बने रहना मुश्किल हो सकता है। शेखावत-पूनिया वसुंधरा राजे का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने सतीश पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने का विरोध किया था, लेकिन अब हालात बदल गए है। दोनों नेता चाहते हैं कि वसुंधरा राजे राज्य की राजनीति का मोह छोड़कर केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे।

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भाजपा में तीन गुट सक्रिय
राजस्थान भाजपा में तीन गुट है। वसुंधरा गुट। शेखावत गुट। पूनिया गुट। तीनों ही नेताओं के समर्थक गाहे-बगाहे एक- दूसरे पर कटाक्ष करते रहे हैं। इनकी गुटबाजी समय-समय पर खुलकर सामने भी आती रही है। लेकिन वसुंधरा राजे के दिल्ली दौरे के बाद हालात बदल गए है। शेखावत-पूनिया चाहते हैं कि वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया जाए। राजे गुट के नेता तो आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की मांग पर अड़े हुए है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के दिल्ली दौरे को पार्टी आलाकमान पर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के दबाव के तौर पर देखा जा रहा है।

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गुटबाजी से जेपी नड्डा नाराज
शेखावत-पूनिया के गठजोड़ की भनक पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भी लग गई है। वसुंधरा राजे ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सवाई माधोपुर जिले में हुए एसटी मोर्च के कार्यक्रम से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले प्रदेश भाजपा में गुटबाजी से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बेहद खफा बताए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने हाल ही में दिल्ली में पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी समेत समेत भाजपा के सांसदों से मुलाकात की थीं। वसुंधरा राजे के दिल्ली दौरे से शेखावत- पूनिया गुट चिंतित हो गया। बदलते सियासी हालात के तहत दोनों नेता एक साथ आ गए है। पूनिया अपने संगठनात्मक दौरों के माध्यम से अपनी ताकत का अहसास करा रहे हैं। जबकि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी सक्रिय हो गए है।

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सतीश पूनिया के संगठनात्मक दौरों ने गति पकड़ी
वसुंधरा राजे के दिल्ली दौरे के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के संगठनात्मक कार्यक्रमों ने भी गति पकड़ ली है। पूनिया के संगठनात्मक दौर को वसुंधरा राजे को जवाब देने के तौर पद देखा जा रहा है। सतीश पूनिया के रोड शो और देव दर्शन के सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड ही तय करेगा की मुख्यमंत्री कौन होगा। पूनिया के इस बयान के वसुंधरा पर कटाक्ष के तौर पर देखा जा रहा है। समर्थक लगातार वसुंधरा राजे को विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया गया तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भाजपा हाईकमान ने फिलहाल सीएम फेस पर चुप्पी साध रखी है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभा विधानसभा चुनाव होने के काफी समय है। ऐसे में जल्दबाजी ठीक नहीं है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत तक होने है।

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