प्रहार: नेताजी, सोच संभल कर बोलें, ये पब्लिक है सब जानती है…

राजस्थान के बड़बोले नेताओं की पोल खोल रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार राजेश कसेरा

कहते हैं कमान से निकला तीर उतने गहरे घाव नहीं देता, जितनी टीस वाणी से निकले जहरीले बोल देते हैं। तभी तो संत कबीरदास ने भी लिखा, ऐसी बाणी बोलिए, मन का आपा खोए, औरों को शीतल करे, आपहुं शीतल होय। लेकिन, आज के दौर में हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि इस सीख को भुला चुके हैं। तभी तो बार-बार ऐसे शब्दभेदी बाण आमजन के दिलों में चुभोने का पाप करते हैं, जो उनकी भावनाओं को उद्वेलित करने का काम करते हैं।

– राजेश कसेरा

इस बार बेतुके बोलों से आघात पहुंचाने और मन को आहत करने का काम किया राजस्थान विधानसभा के प्रतिपक्ष नेता और उदयपुर से भाजपा विधायक गुलाबचंद कटारिया ने। आवेश में आकर उन्होंने कई बार ऐसे शब्दों का चयन किया हैं जो उनके साथ पार्टी के लिए भी गलफांस बन जाता है। कटारिया ने राजसमंद के कुंवारिया गांव में जनसभा के दौरान महाराणा प्रताप पर अभद्र टिप्पणी कर डाली। उनकी इस जहरीली बोली का राजपूत समाज ने कड़ा विरोध जताया। समूचे मेवाड़ में आक्रोश फैल गया। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों ने कटारिया के इस वीडियो को शेयर करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। वह भी उस रणबांकुरे और इतिहास के योद्धा के बारे में, जिन्हें मेवाड़ शिरोमणि की उपाधि दी गई। राजस्थान के इसी अंचल से महाराणा प्रताप ने अपने अदम्य शौर्य व पराक्रम से विश्वख्याति अर्जित की। प्रातः स्मरणीय प्रताप के नाम पर न जाने कितने नेताओं ने अपनी राजनीति को चमकाया है, इसके बावजूद उनके खिलाफ होने वाली अनर्गल टीका टिप्पणी को लोगों के दिलों से बरसोंबरस मिटाना कठिन है।

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पहले भी कटार सी चुभी है कटारिया की जुबान 
बयानवीर गुलाब चंद कटारिया ने ऐसा पहली बार नहीं किया। इससे पहले कई बार अपने बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं। बड़बोले कटारिया कई मौकों पर अमर्यादित शब्दों से गरजे हैं। कटारिया जब बोलते हैं तब भावनाओं में इस कदर बह जाते हैं कि क्या शब्द बोल रहे है, उसका भान ही नहीं रहता है। प्रदेश में कटारिया ने अपने भाषण में महाराणा प्रताप के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति स्तरहीन भाषा का प्रयोग किया है। पत्रकारों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करना हो या विधानसभा चुनाव में खुद के मतदाताओं को वोट कुएं में डाल देने की नसीहत देना। कटारिया कई बार जनता के निशाने पर आए हैं। ‘लव जिहाद’ पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘हमारी बेटियां पंचर वालों के साथ भाग रही हैं। वे मुस्लिमों की बढ़ती आबादी पर विवादित बयान दे चुके हैं। वे कह चुके हैं कि “अगर यही गति रही तो हर शहर में पाकिस्तान बन जाएगा।” बावजूद इसके कि वे राजस्थान की वर्तमान राजनीति के सबसे वरिष्ठतम नेताओं में शामिल हैं। उनको उदयपुर और मेवाड़ की जनता ने लगातार प्यार और समर्थन दिया है। वे राजनीति में आने वाली नई पीढ़ी पथ प्रदर्शक हैं, ऐसे में उनको हर शब्द नापतौल कर बोलना चाहिए।

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कटारिया अकेले नहीं 
राजस्थान की राजनीति में कटारिया अकेले बिगड़े बोल कहने वाले नहीं हैं। हर रोज ऐसे बयानवीर किसी न किसी अंचल से निकल कर आते हैं और माहौल को बिगाड़ने का दुःसाहस करते हैं। हाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने उनके आवास पर स्कूल समय में ज्ञापन देने पहुंचे शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को ‘नाथी का बाड़ा’ समझ रखा है क्या, कहकर चेता चुके हैं। भाजपा ने इस मुद्दा बनाया ताकि कांग्रेस को उपचुनाव में वोटों का नुकसान हो सके। इस बीच उपनेता राजेंद्र सिंह राठौड़ कूद पड़े। सुजानगढ़ की एक सभा में वे कांग्रेसी पर बिफर गए कि उनके नेता को सुजानगढ़ सीट नहीं निकालने देंगे। यह कोई ‘खालाजी का बाड़ा’ नहीं है। ‘नाथी का बाड़ा’ पर जहां सोशल मीडिया में जमकर मीम्स बने, वहीं ‘खालाजी का बाड़ा’ को राजस्थान में असम विधानसभा चुनाव के कांग्रेस नेताओं की बाड़ाबंदी से जोड़ा गया।

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जनता उखाड़ फेंके ऐसी विष बेलों को 
ये सभी मामले ताजा हैं। यहां पुराने अभद्र बोलों की सूची तैयार की जाए तो पूरा ग्रंथ तैयार हो सकता है। बड़ा सवाल यहां यही है कि जनता के बीच से निकले नेता क्यों ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए या जानबूझकर कर विवाद पैदा करने के लिए। मंशा जो चाहे हो, पर आम जनता को इस कुत्सित सोच पर कड़ा प्रहार करना होगा और उनके बीच जहर घोलने वालों को कड़ा सबक सिखाना होगा। कम से कम उन बीजों या पौधों को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा, जो विषबेल को पोषित करने का महापाप करते हैं। जनता ने सबक सिखाने का ठान लिया तो बड़बोले नेताओं की जुबान पर स्वतः लगाम लग जाएगी।

(राजेश कसेरा राजस्थान के जाने-माने पत्रकार हैं। राजेश कसेरा, राजस्थान पत्रिका सहित कई प्रमुख हिंदी समाचार संस्थानों में पत्रकार से लेकर संपादक के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।)  

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