कोरोना का कहरः कोविड-19 से 18 दिनों में एएमयू के 34 प्रोफेसरों की मौत!
कुलपति तारिक मंसूर की चिट्ठी से हुआ खुलासा, वीसी ने आईसीएमआर से मांगी मदद

- 16 सेवारत और 18 सेवानिवृत्त शिक्षक तोड़ चुके हैं दम, मौत पर एमएयू प्रशासन दे रहा है सफाई
अलीगढ़. कोरोना की दूसरी लहर देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शुमार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के शिक्षकों के लिए काल साबित हो रही है। आलम यह है इन मौतो से एएमयू के वीसी तारिक मंसूर तक सिहर उठे हैं। उन्होंने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक को चिट्ठी लिखकर एमएमयू में कोरोना का नया वेरिएंट होने की आशंका जताई है। इसी चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि एएमयू में पिछले 18 दिनों में कोरोना से 16 सेवारत और 18 सेवानिवृत्त शिक्षक दम तोड़ चुके हैं।
आईसीएमआर को लिखे इस पत्र में एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने आशंका जताई है कि एएमयू परिसर और आस-पास के इलाकों में कोरोना का कोई विशेष वैरिएंट हो सकता है। जिसके कारण ये मौते हो रही हैं। शनिवार को एएमयू विधि संकाय के डीन प्रोफेसर शकील समदानी की अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कोरोना के इलाज के दौरान मौत हो गई। प्रोफेसर शकील समदानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य थे। उन्हें 10 दिन पहले जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। प्रोफेसर समदानी डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से भी पीड़ित थे। इतना ही नहीं इससे पहले कुलपति के भाई उमर फारूख की भी कोरोना से मौत हो गई। वह यूनिवर्सिटी कोर्ट के पूर्व सदस्य और मोहम्मडन शैक्षिक सम्मेलन के सदस्य थे।
एएमयू में मौत का तांड़व
इससे पहले चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष 58 वर्षीय प्रोफेसर शादाब अहमद खान और कंप्यूटर विभाग के 55 वर्षीय प्रोफेसर रफीकुल जमान खान ने भी कोरोना की चपेट में आकर दम तोड़ दिया था। इसके बाद कुलपति तारिक मंसूर ने आईसीएमआर से गुहार लगाई है कि एएमयू कैंपस और उसके आसपास के वातावरण में वायरस के सभी स्वरूपों की जांच करे, ताकि लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। उन्होंने पत्र में लिखा है कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब ने शहर में पाए जाने वाले कोरोना के स्वरूपों के नमूने इकट्ठा किया है। इन नमूनों को नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटेड बायोलॉजी प्रयोगशाला भेज रहे हैं ताकि उनके वायरल जीनोम अनुक्रमण को ट्रेस किया जा सके।
ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा अस्पताल
वहीं दूसरी ओर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ऑक्सीजन की खासी कमी से जूझ रहा है। कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। हालत यह कि खासी कोशिशों को बाद भी अस्पताल को पिछले 12 दिनों से ऑक्सीजन का सिलेंडर नहीं मिला है।
चिट्ठी पर सफाई भी दी
एमएयू के कुलपति की चिट्ठी लीक होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर सफाई भी दी है। एमएयू प्रशासन ने अधिकारिक बयान जारी करके बताया कि एएमयू के अनुसार कोविड की दूसरी लहर के बाद एएमयू में 18 शिक्षकों की मृत्यु हुई है। जिनमें से 15 कोविड या संदिग्ध कोविड मरीज थे। तीन शिक्षकों की मृत्यु ब्रेन ट्यूबरकुलोसिस और लिवर की बीमारी जैसे गैर-कोविड कारणों से हुई है। इसके अलावा, 15 कोविड या संदिग्ध कोविड मृत्यु में भी चार अलीगढ़ के बाहर हुई हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और प्रिंसिपल प्रोफेसर शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर की शुरुआत के साथ, 18 सेवारत शिक्षक दुर्भाग्य से मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। जिनमें से 11 का निधन जेएनएमसी में हुआ, 03 अलीगढ़ के निजी अस्पतालों में और 04 की मृत्यु अलीगढ़ के बाहर हुई है। उन्होंने कहा कि सभी की मौत हमारे ही अस्पताल में नहीं हुई।
लोगों को बचाने में जी जान से जुटे हैं
जेएनएमसी प्रशासन और उसके डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम 24 घंटे अपनी क्षमता के अनुसार काम कर रही है और हमारे कई स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी सेवायें देते हुए कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं। हम सभी संबंधित विशेषकर एएमयू के कर्मचारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर जल्द से जल्द टीकाकरण करवाने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि टीका लगवाए हुए लोगों में मृत्यु की घटना बहुत कम है। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भी एक निर्दिष्ट टीकाकरण केंद्र है और हम सभी से कोविड संगत व्यवहार और सामाजिक दूरी का पालन करने का आग्रह करते हैं। हम सभी मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अलीगढ़ में किसी नए कोविड वेरिएंट कि आशंका से जेएनएमसी लैब द्वारा एकत्रित नमूनों की जांच के लिए आईसीएमआर से भी संपर्क किया है। जिससे संभवतः बीमारी की गंभीरता में बढ़ोत्तरी हुई है।