सैनिकों के नाम पर जोश पैदा करतीं सरकारें और फौजी को बेरहमी से पीटती पुलिस, वीडियो वायरल हुआ तो गिरी गाज…

TIS Media @Pilibhit. “मैं दर्द से चीखता रहा. जब मरणासन्न हो गया, तो मुझे मेरी मां-बहनों को सौंप दिया…।” सैनिकों के नाम पर जोश पैदा करतीं सरकारें और फौजी को बेरहमी से पीटती पुलिस… बेरहमी भी इतनी की क्रूरता की सारी हदें ही पार कर डाली… एक फौजी को ऐसी यातनाएं दी जिनके आगे दुश्मन सेनाओ की क्रूरता भी कम पड़ गई। और, यह सब हुआ योगी सरकार के बेकाबू पुलिसिया राज में।

आम नागरिकों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की बर्बरता के किस्से अक्सर सुने होंगे, लेकिन देश की खातिर लड़ने वाला एक फौजी भी इनकी क्रूरता का शिकार हो जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं था… खास तौर पर राष्ट्रवाद के नाम पर सीना फुलाए घूमने वाली सरकार में ऐसी क्रूरता की किसी को उम्मीद न थी… क्रूरता भी ऐसी कि जिसकी किसी ने कल्पना तक न की होगी… पहले पुलिस ने फौजी को बेरहमी से पीटा और जब इससे भी उनका मन न भरा तो उनके गुप्तांगों में डंडा डाल दिया। ऐसी अमानवीयता शायद सीमा पार बैठा दुश्मन भी न करता, जैसी, यूपी पुलिस ने भारतीय सेना के एक पूर्व सैनिक के साथ की है।

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महिलाओं के साथ भी की अभद्रता 
यूं तो घटना 3 मई की है। पीलीभीत जिले के पूरनपुर स्थित मथना निवासी फौजी रेशम सिंह अपने परिवार के साथ रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने लखीमपुर जा रहे थे। पूरनपुर मंडी में पंचायत चुनाव की मतगणना चल रही थी। रेशम सिंह जैसे ही पूरनपुर मंडी पहुंचे, पुलिस ने उनकी गाड़ी रोक ली। पुलिस कर्मी उनसे सीधे गाड़ी के कागज मांगने लगे और जब रेशम सिंह को कागज निकालने में थोड़ा वक्त लगा तो पुलिस कर्मी उनसे गाली-गलौज करने लगे।

तहरीर के मुताबिक पुलिस को कागज दिए, तो सब इंस्पेक्टर राम नरेश ने रेशम के मुंह पर दे मारे। विरोध करने पर सीधे मारपीट करने लगे। जब रेशम की मां बलजिंदर कौर, बहन सुखजिंदर कौर, रबिंदर कौर ने उनकी पिटाई होती देखी तो वह बचाने के लिए गाड़ी से उतरीं, लेकिन पुलिस ने उनके साथ भी हाथापाई कर डाली। मारपीट करने के बाद महिलाओं को पुलिस ने गाड़ी में बिठा दिया। जबकि मौके पर एक भी महिला पुलिस कर्मी मौजूद नहीं थी। पुरुष पुलिसकर्मियों के परिवार की महिलाओं के साथ धक्कामुक्की करता देख रेशम ने विरोध किया तो पुलिस उन्हें उठाकर पार्किंग में ले गए। जहां उनकी जमकर पिटाई की गई। इसके बाद पुलिस उन्हें थाने ले आई और इतनी बेरहमी से पीटा कि अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाएं।

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गुप्तांगों में डाला डंडा
पुलिस रेशम सिंह को उठाकर थाने ले आई। मां-बहनों को अलग बिठा दिया और फिर सिपाही उसे उठाकर बैरक में ले गए। जहां चारपाई पर पटक कर बेरहमी से पीटा। उनकी पूरी पीठ से लेकर नीचे गुप्तांगों तक बेरहमी से पीटा गया। पुलिस कर्मियों का इससे भी मन न भरा तो उन्होंने एक डंडा मंगाकर रेशम के गुप्तांगों में डाल दिया। रेशम ने बताया कि “मैं दर्द से चीखता रहा. जब मरणासन्न हो गया, तो मुझे मेरी मां-बहनों को सौंप दिया.”।

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18,500 का चालान भी काटा, दो निलंबित 
उत्तर प्रदेश पुलिस की अराजकता यहीं पर न रुकी। रेशम सिंह की गाड़ी के कागज पूरे होने के बाद भी पुलिस ने उनका 18,500 रुपये का चालान काट दिया। ये क्रूरता एक फौजी के साथ की गई है, जो सीमा पर अपनी जान कुर्बान करने के लिए सीना ताने खड़े रहते हैं। इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक आम नागरिक के साथ पुलिस का बर्ताव कैसा होगा? खासकर उन जिले, तहसीलों में जहां, बड़ा राजनीतिक दखल नहीं रहता है और पुलिस मनमानी पर तुली रहती है। घटना को लेकर जब पुलिस की चारों ओर थू-थू होने लगी, तक पुलिस सक्रिय हुई और कार्रवाई दर कार्रवाई की डिटेल जारी की जाने लगी। पुलिस का सोशल मीडिया सेल तो पूरी तरह से खाकी की इमेज बचाने के लिए अभियान में जुट गया। हालांकि, जब बात न बनी तो आखिर में पीलीभीत एसपी किरीट राठौर ने रेशम सिंह के परिवार से बात की और दो सब इंस्पेक्टरों को निलंबित कर दिया। पहले आरोपी सब इंस्पेक्टर रामनरेश सिंह को सस्पेंड किया और अब फौजी की तहरीर पर राम नरेश सिंह, सब इंस्पेक्टर रईस अहमद और पांच-छह अज्ञात सिपाहियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। इसे पुलिस की अपनी छवि बचाने का प्रयास भी कह सकते हैं। जो फिलहाल दूर-दूर तक बचती नहीं दिख रही।

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