डॉ. एसएन सुब्बाराव: एनएसएस के संस्थापक और गांधीवादी विचारक का जयपुर में निधन

चंबल के बीहड़ों से मिटाया था डकैती का दाग, 654 डकैताें का कराया था सामूहिक सरेंडर

TISMedia@Jaipur राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के संस्थापक सदस्य, नेशनल यूथ प्रोजेक्ट के संस्थापक, गांधीवादी विचारक, पद्मश्री और उससे भी कहीं ज्यादा 654 डकैताें का सामूहिक आत्मसमर्पण करा चंबल के बीहड़ों के माथे से डकैती का कलंक मिटाने वाले भाई जी डॉ. एसएन सुब्बाराव (Dr. S N Subbarao passes away) का बुधवार को जयपुर में निधन हो गया। सुब्बाराव पिछले काफी समय से अस्वस्थ थे। उनका जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज चल रहा था। वहीं पर आज सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

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सन 1929 में बेंगलुरु में जन्मे डॉ. सुब्बाराव 13 वर्ष की उम्र में ही भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ गये थे। गांधीवादी विचारों को स्थापित करने के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. सुब्बाराव ने चंबल घाटी में कुख्यात डकैतों से सरेंडर करवाया था।. गांधी सेवा संघ की स्थापना कर हजारों लोगों को रोजगार दिया था। सीएम अशोक गहलोत डॉ. सुब्बाराव को अपना आदर्श मानते थे और उनसे लगातार मार्गदर्शन लेते थे। इलाज के दौरान भी बीते पांच दिनों में सीएम गहलोत तीन बार हालचाल पूछने गए थे।

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साइलेंट अटैक ने ली जान 
डॉ. सुब्बाराव से जुड़े राष्ट्रीय युवा योजना के प्रदेश संयोजक धर्मवीर कटेवा ने बताया कि उनकी पार्थिव देह को राजस्थान विश्वविद्यालाय रोड स्थित बापूनगर के विनाबा भावे ज्ञान मंदिर में दर्शनार्थ रखा जायेगा। उनका अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित जोरा आश्रम या फिर बैंग्लुरु में किया जा सकता है। बैंग्लुरु में सुब्बाराव के भाई रहते हैं। डॉ. सुब्बाराव ने शादी नहीं की थी, वे अविववाहित थे। कल शाम से पहले उनकी हालत में सुधार था, लेकिन शाम को उनको साइलेंट अटैक आया। उसके बाद उन्हें वैंटीलेटर लेना पड़ा था। आज सुबह करीब 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

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654 डकैताें का कराया था सामूहिक सरेंडर
डा एसएन सुब्बा राव का पूरा जीवन समाजसेवा काे समर्पित रहा है। डा सुब्बा राव ने 14 अप्रैल 1972 काे गांधी सेवा आश्रम जाैरा में 654 डकैताें का समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण एवं उनकी पत्नी प्रभादेवी के सामने सामूहित आत्मसमर्पण कराया था। इनमें से 450 डकैताें ने जाैरा के आश्रम में, जबकि 100 डकैताें ने राजस्थान के धाैलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डालकर समर्पण किया था। ग्वालियर चंबल संभाल में डा सुब्बा राव साथियाें के बीच भाईजी के नाम से प्रसिद्ध थे। डा सुब्बा राव ने जाैरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, जो अब श्योपुर तक गरीब व जरूरतमंदों से लेकर कुपोषित बच्चों के लिए काम कर रहा है। डा सुब्बा राव ने श्याेपुर के त्रिवेणी संगम घाट पर गांधी जी की तेरहवी का आयाेजन शुरू करवाया था। आदिवासियाें काे मूल विकास की धारा में लाने के लिए वह अपनी टीम के साथ लगातार काम करते रहे हैं।

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