एसीबी कोर्ट में परिवादी ने दी पटवारी के खिलाफ झूठी गवाही, पहुंचा जेल

TISMedia@Kota. एसीबी कोर्ट में झूठी गवाही देना एक परिवादी को भारी पड़ गया। न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने भ्रष्टाचार के मामले में पटवारी के खिलाफ झूठी गवाही देने पर परिवादी को सात दिन के कारावास की सजा से दंडित किया है।

लोक अभियोजक नेमीचंद यादव ने बताया कि 16 जनवरी 2004 को परिवादी कैलाश चंद ने झालावाड़ एसीबी चौकी में रिपोर्ट दी थी कि डाबली खुर्द में उसके पिता कालूलाल के नाम से 36 बीघा सिंचित जमीन है। जमीन पर किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए नकल की जरूरत थी। इसके लिए कनवाड़ा में कार्यरत हल्का पटवारी ताराचंद तानीवाल से मिला तो उन्होंने नकल बनाने के लिए एक हजार रुपए मांगे, जिसमें से 500 रुपए पटवारी को पहले ही दे दिए थे, तब पटवारी ने नकल अधूरी असिंचित लिखकर दे दी?।

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इस पर पुन: रिकॉर्ड के अनुसार खाते की नकल में सिंचित जमीन लिखवाने के लिए झालरापाटन तहसील के कनवाड़ा में कार्यरत हल्का पटवारी ताराचंद के पास गया तो उसने सिंचित जमीन लिखने के बदले 500 रुपए रिश्वत मांगी। एसीबी ने गोपनीय सत्यापन के बाद 16 जनवरी 2004 को ट्रैप कार्रवाई कर 500 रुपए रिश्वत लेते हुए आरोपी पटवारी ताराचंद को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

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मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के बाद आरोपी पटवारी ताराचंद के खिलाफ न्यायालय में आरोप-पत्र पेश किया। न्यायालय में परिवादी पक्षद्रोही घोषित होने व अन्य आधारों पर बहस सुनने के बाद 12 अप्रेल 2019 को आरोपी पटवारी ताराचंद तानीवाल को दोष मुक्त कर दिया। वहीं, परिवादी को मिथ्या साक्ष्य देने पर उसके विरुद्ध अलग से धारा 344 आईपीसी के तहत कार्यवाही खोली गई। जिसमें सुनवाई के बाद परिवादी कैलाश चंद को सात दिन के कारावास से दंडित किया गया।

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