कोरोना रिपोर्ट निगेटिव फिर भी मौत… पता है क्यों !
-कोरोना का कहर : पुरानी किट से हो रही कोरोना के नए म्यूटेंट की जाँच
-यूपी में हालात संभल नही रहे डबल म्यूटेंट पर आंख मूंदे हैं जिम्मेदार
लखनऊ. चिताओं के अम्बार से निकलती लपटों को टीन शेड से छुपाने की नाकाम कोशिश करते उत्तर प्रदेश की सरकार के अफसर लगता है हालात के और बिगड़ने का इंतज़ार कर रहे हैं। महाराष्ट्र, झारखंड में डबल म्यूटेंट के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। एक्सपर्ट लगातार चेता रहे हैं कि देश के अन्य राज्यों में भी डबल म्यूटेंट के मरीज़ होंगे लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के अफसर आँख बंद किये बैठे हैं। सच्चाई ये है कि पूरे प्रदेश में कहीं भी डबल म्यूटेंट की जांच की कोई भी व्यवस्था अबतक नहीं की गयी है। विपक्ष का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जनता भगवान भरोसे है।
यूपी में विभिन्न शहरों में कई मरीज़ ऐसे मिले हैं कि जिनके करोना के स्पष्ट लक्षण हैं लेकिन RT-PCR रिपोर्ट में वो निगेटिव आ रहे हैं। इस वजह से उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कई मरीजों की मौत भी हो गयी है। अफसर शायद इस बात पर खुश हो रहे होंगे कि इन मौतों से उनके कोरोना के आंकड़े नहीं बढ़ रहे हैं। यह किसी से छुपा नहीं कि प्रदेश में कोरोना तांडव कर रहा है। लखनऊ, वाराणसी और प्रयागराज सहित कई शहरों में लाशों का अम्बार लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है व्यवस्था का निकम्मापन।
प्रदेश में अफसर RT-PCR टेस्ट के भरोसे बैठे हुए हैं जबकि नए म्यूटेंट के मरीज़ इस तरीके से पकड़ में नहीं आएँगे। कई मरीजों के मामले में ये नज़र भी आया है। अगर डबल म्यूटेंट तेज़ी से फैला तो उत्तर प्रदेश के हालात और भयावह हो जाएंगे और संभाले नहीं संभलेंगे, जबकि हकीकत ये है कि इतने बड़े प्रांत में कहीं भी नए म्यूटेंट की जांच की व्यवस्था नहीं है. खुद उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी ने इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है, “पुरानी ही किट से RTPCR टेस्ट हो रहे हैं क्यूँकि हमको सिर्फ़ वायरस ही डिटेक्ट करना होता है। उनका दावा है कि फिलहाल डबल म्यूटेंट को डिटेक्ट करने वाली किट सिर्फ़ महाराष्ट्र के पुणे में आई है। अभी उत्तर प्रदेश में वह किट नहीं आई है।”
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डबल म्यूटेंट की किट नही, पुरानी किट से चलाया जा रहा काम
अब जब यूपी में डबल म्यूटेंट की जांच के लिए नई किट मंगाई ही नहीं गई तो इस आपदा से निपटा कैसे जाएगा? ये बड़ा सवाल है। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कोविड-19 के डबल म्यूटेंट न सिर्फ ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहे हैं बल्कि यह रहस्यमयी भी बने हुए हैं। कोरोना जैसे लक्षण होने के बावजूद भी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आ रही है पीड़ित गंभीर अवस्था तक पहुंच रहा है। रिपोर्ट निगेटिव होने के कारण वह व्यक्ति नॉन कोविड मरीजों के साथ भी रह कर खतरा बढ़ा रहा है।
वरिष्ट पत्रकार आलोक पांडेय बताते है “मुझमें कोविड के सारे सिम्टम्स थे लेकिन RTPCR कराने पर मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आयी। उसके बाद डॉक्टरो की सलाह पर मैंने चेस्ट का एक्सरे करवाया तो निमोनिया मिला। उसके बाद मैंने HRCT करवाया तो मुझे पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूँ।” आलोक ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं, लखनऊ में ऐसे दर्जनों केस सामने आ चुके हैं।
अगर हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो देश में कोरोना के डबल म्यूटेंट न सिर्फ ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहे हैं बल्कि यह जानलेवा भी हो गए हैं। लोहिया अस्पताल के डॉ एसके श्रीवास्तव का कहना है कि “30 प्रतिशत RTPCR जांच से कोरोना के डबल म्यूटेंट डिटेक्ट नही हो पा रहे है। ऐसे में जब सीटी स्कैन कराया जा रहा है तो कोरोना के सिम्टम्स नज़र आ रहे है। तो हम लोग उसी का इलाज शरू कर देते हैं।”
यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि जब कोरोना आया था तब कई राज्यो ने इसकी भरपूर व्यवस्था की थी लेकिन योगी सरकार सत्ता के नशे में चूर थी। आज कोरोना संक्रमण से लोग मर रहे है डबल म्यूटेंट की किट नही और खुद मुखिया आइसोलेट है। अब यूपी की जनता भगवान भरोसे है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता उदयवीर सिंह का कहना है कि कोरोना सक्रमण के बावजूद जिन लोगो की RTPCR जांचे हो रही हैं, उनकी जांच नेगेटिव आ रही है। सरकार के पास डबल म्यूटेंट वाली किट ही नही है। पुरानी किट से काम चलाया जा रहा है। सच तो ये है कि योगी सरकार ने एक साल में कोई तैयारी नही की, आज जनता को उसके हाल पे मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
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क्या है नए म्यूटेंट के मरीजों में लक्षण
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना का डबल म्यूटेंट शरीर पर अलग-अलग तरीके से हमला कर रहा है। नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा संक्रामक है और श्वसन तंत्र पर तेजी से कब्जा कर लेता है। इससे सिरदर्द जैसी समस्याएं भी दिख रही हैं, जो कि पहले नहीं दिखी थीं। यही कारण है कि कोरोना के पुराने लक्षणों से मिलान करने पर संक्रमित भी धोखे में खुद को स्वस्थ मान बैठते हैं और जांच नहीं कराते। इससे संक्रमण की रफ्तार और बढ़ी है।
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क्या थे पुराने मरीजों में लक्षण
पिछले यानी सबसे शुरुआती म्यूटेंट के कारण मरीज में बुखार, सर्दी-खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते थे। साथ में कई मरीजों में स्वाद और गंध की क्षमता अस्थायी तौर पर खत्म हो जाती थी। समय के साथ दवा लेने पर ये लक्षण ठीक हो जाते थे। आगे चलकर पैरों की अंगुलियों पर लाल या बैंगनी चकत्ते जैसे लक्षण भी दिखे। वहीं ज्यादातर मरीजों में बेचैनी और थकान थी। देश के कई बड़े हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मरीज देखे हैं, उन्हें बुखार, खांसी, सांस की समस्या थी और फेफड़े के सीटी स्कैन में लक्षण दिखे। इसे मेडिकल टर्म में पैची ग्राउंड ग्लास ओपेसिटी कहा जाता है। कुछ मरीजों की जांच ब्रोन्चोल्वियोलर लैवेज (BAL) के जरिए की गई यह रोगों को पहचानने का एक तरीका है, जिसमें एक लचीले पाइप को एक निश्चित मात्रा में केमिकल के साथ मुंह या नाक के जरिए फेफड़े तक ले जाया जाता है और फिर उसकी जांच की जाती है, जिसके बाद बीमारी की पहचान होती है। जो भी मरीज कोविड-19 के पुराने टेस्टिंग तरीकों में निगेटिव पाए गए लेकिन जिनमें लक्षण थे, वे लैवेज टेस्ट में पॉजिटिव आए।
इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर और बाइलियरी साइंसेस में क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ प्रतिभा काले के अनुसार, “यह संभव है कि इन मरीजों में वायरस नाक या गले को संक्रमित नहीं किया हो। जबकि स्वैब सैंपल इन्हीं जगहों से ली जाती है। वायरस ACE रिसेप्टर्स से खुद को जोड़ता है, यह फेफड़े की कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। इसलिए जब वहां से फ्लुइड सैंपल लेकर जांच की जाती है तो उनमें कोविड-19 की पुष्टि होती है.”
इस बारे में जब यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से बात करने का प्रयास भी किया गया तो वो खुद अपने परिवार के कोविड पॉजिटिव होने का दुखड़ा सुनाते नजर आए। ऐसे में सरकार ज़िम्मेदारी है कि कोरोना के डबल म्यूटेंट की जांच और इलाज का तरीक़ा बदले, जैसा कि दिल्ली सरकार ने किया। जब कोरोना के डबल म्यूटेंट ने यूके, ब्राज़ील, साउथ अफ़्रीका और दुबई जैसे देशों में अपना प्रकोप दिखाना शुरू किया तो दिल्ली सरकार में इस म्यूटेंट को डिटेक्ट करने वाली टिक सबसे पहले मंगवा ली। यही काम अगर यूपी सरकार भी समय रहते कर लेती तो शायद कोरोना का ये भयावह रूप हमें न देखने को मिलता।