VIDEO: 8 घंटे तक नाचती रही मौत और सोते रहे भगवान

कोटा. कोटा का जेकेलोन अस्पताल एक बार फिर अपनी बदइंतजामी के लिए सुर्खियों में है। यहां 8 घंटे में 9 बच्चों की मौत से जेकेलोन की चिकित्सा व्यवस्था कठघरे में आ गई। इतनी संख्या में बच्चों की मौत का मामला नया नहीं है। पिछले वर्ष 2019 में 963 बच्चों की मौत हुई थी। तब यह मामला पूरे देशभर में गर्मा गया था। इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ। इसके बाद राजस्थान सरकार को भी बार-बार सफाई देनी पड़ी थी। इसके बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार होता नहीं दिख रहा। हालांकि जेकेलोन अस्पताल प्रशासन ने आठ घंटे में नौ मौतों को सामान्य नहीं माना। हर महीने 60 से 100 मौतों का आंकड़ा रहता है। इस लिहाज से 2 से 5 मौतें औसतन होती हैं, लेकिन रात से सुबह के बीच नौ मौतों ने नींद उड़ाकर रख दी है।

यूं चला मौत का सिलसिला
-पहली मौत   सुबह 2.57 पर
-दूसरी मौत   सुबह 3.19
-तीसरी मौत  सुबह 5.30
-चौथी मौत   सुबह 6.40
-पांचवी मौत सुबह 8 बजे
-छठी मौत    सुबह 8.56
-सातवीं मौत सुबह 9.45
-आठवीं मौत सुबह 10
-नौवीं 10.24 बजे। जैसे जैसे समय बढ़ता गया वैसे वैसे बच्चों की सांसे उखड़ती चली गई। मौत का सिलसिला बुधवार देर रात 2.57 बजे से शुरू हुआ जो गुरुवार सुबह 10.24 बजे तक चला।

BIG News: बच्चों की मौत से फिर दहला कोटा का जेकेलोन हॉस्पिटल

           पद                                            कितने स्वीकृत       अभी कितने हैं
प्रोफेसर                                                    3                        1
एसोसिएट प्रोफेसर                                       4                        1
असिस्टेंट प्रोफेसर                                        7                        7
सीनियर रेजिडेंट                                          7                        5

सात बच्चे अस्पताल में जन्मे थे, दो रेफर हुए थे

मृत 9 नवजातों में से 7 बच्चों का जन्म जेकेलोन अस्पताल में ही हुआ था। 2 बच्चे बूंदी से रेफर होकर आए थे। सभी बच्चे 1 से 7 दिन के थे।

छलका माता-पिता का दर्द

  • सिविल लाइन गावड़ी निवासी सोनू आपबीती बताते रो पड़े। उन्होंने कहा, अस्पताल में कोई नहीं सुनता। बच्चा तड़पता रहा। डॉक्टर को दिखाने लाए तो जवाब मिला कि बच्चे तो रोते रहते हैं। वापस वार्ड में आए तो स्टाफ ने भी ध्यान नहीं दिया। समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या। स्टाफ भी यही कहता रहा, हम क्या करें, डॉक्टर ही देखेंगे। सुबह बच्चे को डॉक्टर को दिखाने फिर ले गए लेकिन तब तक उसकी सांसे थम चुकी थी।
  • कापरेन निवासी जितेंद्र अस्पताल व्यवस्था को कोस रहे थे। उन्होंने कहा, 7 दिसंबर को अस्पताल पहुंचे थे। सामान्य प्रसव हुआ। कल जिस जगह शिफ्ट किया गया वहां बेड नहीं था। नीचे ही सोना पड़ा। किसी ने ध्यान नहीं दिया।

धारीवाल ने दिए व्यवस्था मुक्कमल करने के निर्देश

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला कलक्टर व संभागीय आयुक्त को शिशुरोग विभाग की व्यवस्थाओं को मुक्कमल करने के निर्देश दिए। इसके बाद संभागीय आयुक्त कैलाशचंद मीणा व कलक्टर उज्जवल राठौड़ ने अस्पताल पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
उन्होंने बताया कि शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष से जानकारी लेने पर सामने आया कि जिन नवजातों की मौत हुई है उनमें से तीन बच्चे गंभीर बीमारी से ग्रसित थे, जो रेफर होकर जेकेलोन आए थे। वहीं, तीन नवजात जन्मजात गंभीर बीमारी से ग्रसित थे और तीन शिशुओं के ब्रॉड डेड होने की जानकारी मिली है।

चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार अति संवेदनशील
स्वायत्त शासन मंत्री धारीवाल ने कहा कि सरकार चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर अति संवेदनशील है। जेकेलोन सहित सभी अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं में लगातार इजाफा किया जा रहा है। मंत्री ने चिकित्सा अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि इलाज में लापरवाही की शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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