एसीबी ने 10 लाख की घूस लेते सिपाही को रंगे हाथ दबोचा
विनीत सिंह/जयपुर. राजस्थान पुलिस का दामन एक बार फिर दागदार हो गया। महकमे में भ्रष्टाचार की लगातार आ रही शिकायतों के बीच मंगलवार सुबह जोधपुर एसीबी ने सिपाही को 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ धर दबोचा। एनडीपीएस एक्ट के एक मामले को रफा दफा करने के लिए यह सिपाही पीड़ित से 15 लाख रुपए की रिश्वत पहले ही ले चुका था। लेकिन, इसके बाद भी नीयत इतनी खराब हुई कि 25 लाख रुपए की रिश्वत और मांग बैठा।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) जोधपुर सिटी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेंद्र चौधरी ने बताया कि एक परिवादी ने 14 अक्टूबर 2020 एसीबी चौकी जोधपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह अपने भतीजे पवन कुमार अरोडा के साथ मिलकर उत्तरप्रदेश के कानपुर में बिरहाना रोड स्थित नाचघर इलाके में श्री गुरू तेगबहादुर फार्मा नाम की फर्म चलाता है। श्रीगंगानगर की सदर थाना पुलिस ने इनके के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में मुकदमा (नं. 224/ 20) किया था। जिसकी जांच श्रीगंगानगर के जवाहर नगर थानाधिकारी राजेश कुमार सियाग कर रहे हैं। परिवादी ने दावा किया कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका न होने के बावजूद थानाधिकारी ने पवन कुमार अरोड़ा को 91 सीआरपीसी का नोटिस जारी कर दिया।
कानपुर जाकर की 15 लाख की घूस
परिवादी ने एसीबी को बताया कि 18 सितंबर को जवाहर नगर थाने से सिपाही नरेश चन्द मीणा और एएसआई सोहनलाल कानपुर जा पहुंचे और जांच के नाम पर पूरे दिन शहर में घुमाने के बाद शाम को गंगानगर ले जाने की धमकी देने लगे। इसी दौरान सिपाही नरेश चन्द मीणा ने कानपुर के माल रोड़ स्थित होटल ग्लेक्सी प्लाजा में पवन को छोड़ने के लिए 15 लाख रूपए की रिश्वत ली।
फिर मांगी 25 लाख की घूस
सिपाही नरेश चन्द मीणा 25 सितंबर को फिर से कानपुर आ धमका। परिवादी ने बताया कि मीणा ने दवाईयो की सूचना से थानाधिकारी के सन्तुष्ट नहीं होने की बात कह कर 25 लाख रूपए की रिश्वत और देने को कहा। मीणा ने परिवादी को बताया कि पहले दिए गए 15 लाख में से 2.50 लाख मेरे, 2.50 लाख सोहनलाल एएसआई के और 10 लाख थानाधिकारी को देने पड़े थे। जिस पर पीड़ित ने घूस की यह रकम 15 अक्टूबर तक देने की बात कह टालने की कोशिश की तो वह कुछ खर्चा देने पर अड़ गया और एक लाख रुपए लेकर ही कानपुर से लौटा।
दिल्ली तक नहीं छोड़ा पीछा
रिश्वत की रकम लेने के लिए सिपाही नरेश चन्द मीणा परिवादी के इस कदर पीछे पड़ गया कि 22 अक्टूबर को फिर कानपुर जा धमका। इस दौरान परिवादी कोरोना की चपेट में आने के कारण दिल्ली के अस्पताल में अपना इलाज करा रहा था। जब उसने बीमारी की बात बताई तो मीणा को यकीन नहीं हुआ और कानपुर से दिल्ली तक इमरजेंसी में फ्लाइट की टिकटें कराकर अस्पताल में भी जा धमका। हद तो तब हो गई जब कोरोना संक्रमित होने के बाद भी पीड़ित से दो हजार रुपए तक ले लिए। परिवादी ने बताया कि उसने सिपाही नरेश चन्द मीणा को 10 लाख और 15 लाख के दो टुकड़ों में रिश्वत की रकम 26 अक्टूबर तक पहुंचाने की वायदा किया तब जाकर वह अस्पताल से निकला।
एसीबी ने रंगे हाथ दबोचा
सिपाही ने परिवादी को रिश्वत की पहली किश्त देने के लिए जयपुर बुलाया। परिवादी हरदीपसिंह सिपाही के कहे मुताबिक फ्लाइट से जयपुर पहुंच गया। रिश्वतखोरी का आरोपी सिपाही नरेश चन्द मीणा परिवादी को एयरपोर्ट से लेकर होटल रेडिसन ब्ल्यू पहुंचा और 10 लाख रूपये की रिश्वत उसे सौंप दी। इसी दौरान पहले से मुस्तैद एसीबी की टीम ने सिपाही को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा। एसीबी अधिकारियों के मुतिबक गंगापुर के जवाहर नगर थानाधिकारी के साथ वॉट्सएप चैट और बातचीत के रिकॉर्ड भी एसीबी को मिले हैं। हालांकि सिपाही के पकड़े जाने की भनक लगते ही थानाधिकारी जवाहर नगर फरार हो गया।
टीम में यह थे शामिल
डीजी एसीबी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एमएन के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम में जोधपुर सिटी एसीबी के इंस्पेक्टर मनीष वैष्णव, हैड कांस्टेबल प्रभुराम, जेठाराम, कांस्टेबल भूरसिंह, दलेश कुमार, भागीरथ राम, छैलाराम, ओमप्रकाश, दिलीप कुमार, रूप सिंह और लालाराम आदि शामिल थे।