दुनिया भारत को आदर से देख रही है, इससे नई जिम्मेदारियां पैदा हुई हैं: राष्ट्रपति
74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया राष्ट्र को सम्बोधित
TIS Media @rashtrapatibhvn. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि विश्व ने भारत को सम्मान की दृष्टि से देखना आरंभ कर दिया है और इससे नयी संभावनाएं और जिम्मेदारियां पैदा हुई हैं। वे 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को सम्बोधित कर रहीं थी। उन्होंने इस अवसर पर देश- विदेश में रह रहे भारतीय नागरिकों को गणतंत्र दिवस की शुभकामानाएं दी। उन्होंने कहा कि संविधान ने लागू होने के दिन से आज तक शानदार यात्रा पूरी की है, जो अन्य राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व मंच पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा है। विभिन्न विश्व मंचों पर भारत के हस्तक्षेप से सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 की भारत को मिली अध्यक्षता लोकतंत्र और बहुस्तरीयवाद को प्रोत्साहन देने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि इससे विश्व और भविष्य को बेहतर आकार दिया जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जी-20 विश्व व्यवस्था को और समान तथा सतत बनाने के प्रयासों को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि जी-20 वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने और उन पर चर्चा करने का उचित मंच है।
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श्रीमती मुर्मू ने कहा कि जी-20 में विश्व आबादी का दो तिहाई और विश्व अर्थव्यवस्था का 85 प्रतिशत हिस्सा आता है। उन्होंने वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि देश ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत विकसित करने और उन्हें लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था को विकसित राष्ट्रों के तकनीकी सहयोग की आवश्यकता है, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के संकट से प्रभावी रूप से निपट सके।
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श्रीमती मुर्मू ने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इसके लिए परंपरागत जीवन मूल्यों के वैज्ञानिक पहलुओं और प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने जीवन शैली विशेषकर खानपान के तरीकों में बदलाव लाने पर जोर दिया। अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष पर राष्ट्रपति ने कहा कि मोटे अनाज पहले से ही लोगों के लिए आवश्यक रहे हैं और वर्तमान में मोटे अनाज अपनाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बाजरे जैसे मोटे अनाज पर्यावरण के अनुकूल हैं, क्योंकि इनको उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता है और ये ज्यादा पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं।
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राष्ट्रपति ने शासन में सुधार के लिए सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों, लोगों के जीवन और सर्वोदय अभियान की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आर्थिक, शैक्षिक, डिजीटल और प्रौद्योगिकी के मोर्चों पर बहुत जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक अनिश्चितताओं, वैश्विक उथल-पुथल और कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद भारत विश्व में पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के बहुत सारे क्षेत्र महामारी के प्रभाव से उबर गये हैं और यह आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसे समय पर उठाए गए कदमों से संभव हुआ है। गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कमजोर तबकों की देखभाल करने की जिम्मेदारी उठायी है और उन्हें आर्थिक लाभ लेने के लिए सक्षम बनाया गया है।
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राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की भूमिका का उल्लेख करते हुए श्रीमती मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति दो उद्देश्य पूरा करेगी। पहला, यह आर्थिक सामाजिक बदलाव का उपकरण बनेगी और दूसरा यह सत्य की खोज करेगी। डिजीटल और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डिजीटल भारत अभियान सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के जरिये शहरी-ग्रामीण अंतर के बीच सेतु बन रहा है। उन्होंने कहा कि दूर दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट से लाभ मिल रहे हैं और लोगों को विभिन्न सरकारी सेवाएं मिल रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के गगनयान कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है।
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राष्ट्रपति ने नारी सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के क्षेत्र में भारत की प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और महिलाएं प्रगति कर रही हैं। उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में लोगों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। अनुसूचित जाति और जनजाति समेत सभी सीमांत समुदायों को सशक्त करने के लिए भारत के कदमों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार का उद्देश्य न केवल बाधा हटाना और विकास में उनकी सहायता करना है बल्कि उनसे सीखना भी है।
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भारत को विश्व की सबसे पुरानी जीवित सभ्यता और लोकतंत्र की मां करार देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के शुरूआती दिनों में असंख्य चुनौतियों और बाधाओं पर काबू पाते हुए भारत लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में सफल है। उन्होंने कहा कि यह सफलता न केवल कई सम्प्रदायों और विविध भाषाओं के कारण है बल्कि यह हमें एकजुट करती है। राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए कहा कि क्रांतिकारियों और सुधारकों ने नेताओं और विचारकों के साथ मिलकर काम किया जिससे सदियों पुराने शांति, बंधुत्व और समानता के मूल्यों को सीखने में मदद मिली। संविधान निर्माताओं की भूमिका की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र सदैव डॉक्टर बी आर आम्बेडकर, न्यायविद वी एन राउ, विशेषज्ञों और अधिकारियों का आभारी रहेगा। उन्होंने कहा कि संविधान के मूल्य भारत को निरंतर दिशा दिखाते हैं और अब राष्ट्र गरीब और निरक्षर देश से विश्व मंच पर एक आत्मविश्वासी देश के रूप में आ रहा है।